1.5 लाख की सैलरी पाकर भी मुश्किल है गुजारा, नौकरी करने वालों पर ‘बोझ’ बना भारत का यह शहर

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Last Updated:March 18, 2025, 13:44 ISTमहीने में 1.5 लाख रुपये कमाने के बावजूद लोग जूझ रहे हैं. यह कहानी बैंगलोर में रहने वाले एक टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट की है, जो नौकरी करता है. उसने सोशल मीडिया पर अपनी व्यथा बयां की है.Image – Canvaहाइलाइट्सबेंगलुरु में 1.5 लाख की सैलरी पर भी मुश्किल है गुजारा.महंगाई और रियल एस्टेट की कीमतें बढ़ने से जीवन कठिन.परिवार की जिम्मेदारी और लोन की किस्तें बढ़ा रहीं बोझ.बेंगलुरु को भारत की सिलिकॉन सिटी कहा जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां हैं. कई युवा तो सपना देखते हैं कि काश उनकी नौकरी बेंगलुरु स्थित कंपनियों में लग जाए. मगर वहां की हकीकत ऐसी है कि लाखों रुपये कमाने वाले भी चैन की नींद नहीं ले पा रहे. एक युवा प्रोफेशनल ने अपनी व्यथा सोशल मीडिया के माध्यम से बयां की है. और यकीन कीजिए, उसकी बातें सुनने के बाद लगता है कि बेंगलुरु की लाइफ आसान नहीं है.

Reddit पर onepoint5zero के नाम से एक टेक प्रोफेशनल ने हाल ही में अपने बेंगलुरु के जीवन के बारे में चिंताजनक कहानी शेयर की. उसने बताया कि कैसे उसका सपनों का शहर बेंगलुरु उसके लिए एक बोझ बन गया है. वह महीने में 1.5 लाख रुपये से अधिक कमाता है, फिर भी उसके जीवन स्टैबिलिटी की कमी है. उसका कहना है कि अगर उसकी नौकरी चली गई, तो उसकी बचत कुछ ही महीनों में खत्म हो जाएगी.

उसकी आय भले ही बाहर से शानदार लगे, लेकिन उस पर अपने परिवार की जिम्मेदारी और लोन की किस्तों का बोझ है. इन सबके बाद उसके पास महीने में केवल 30,000 से 40,000 रुपये बचते हैं. लेकिन, उसकी मुख्य चिंता पैसे को लेकर नहीं है. वह अपने बचपन के सपनों को याद करता है, जब उसने बेंगलुरु को एक ऐसे शहर के रूप में देखा था, जहां बहुत मौके होंगे और, रोमांच और ग्लैमर से भरी जिंदगी होगी. लेकिन आज, वह खुद को एक नाजुक फूलदान की तरह महसूस करता है, जो किसी भी पल टूट सकता है.

मंगेतर के साथ किराये का फ्लैटउसकी चिंता उसकी आर्थिक सुरक्षा है. उसके पास आपात स्थिति के लिए बहुत कम बचत है, और अगर उसकी नौकरी चली गई, तो उसकी बचत तीन से चार महीनों में खत्म हो जाएगी. वह और उसकी मंगेतर फिलहाल एक पेइंग गेस्ट (PG) में रह रहे हैं, क्योंकि बेंगलुरु में किराए का फ्लैट ढूंढना उनके लिए एक बड़ी चुनौती है. शहर का रियल एस्टेट बाजार बेहद महंगा है, जो उसकी चिंता को और बढ़ा देता है.

इसके अलावा, उस पर अपने परिवार वालों की जिम्मेदारी भी है. उसके माता-पिता पूरी तरह से उसके मासिक योगदान पर निर्भर हैं. अगर वह उन्हें पैसे नहीं भेजे तो उनका गुजारा मुश्किल हो जाएगा. यह भावनात्मक और आर्थिक दबाव उसके लिए और मुश्किलें पैदा करता है.

महंगाई भी परेशानी का एक बड़ा कारणबेंगलुरु की महंगाई भी उसकी परेशानी का एक बड़ा कारण है. वह कहता है कि शहर में रहने का खर्च इतना ज्यादा है कि उसे बुनियादी चीजें भी खरीदने में दिक्कत होती है. महंगाई के कारण अच्छी क्वालिटी वाली खाने-पीने की चीजें, किराए और सेवाएं बहुत महंगी हो गई हैं. सस्ते विकल्प चुनने पर क्वालिटी खराब हो जाती है, जिससे वह एक चक्रव्यूह में फंसा हुआ महसूस करता है.

अपनी इन चुनौतियों के बीच, वह सोचता है कि क्या यह समस्या सिर्फ बेंगलुरु की है या पूरे देश के युवा पेशेवरों को इसका सामना करना पड़ रहा है. वह यह भी सोचता है कि कब जिंदगी इतनी मुश्किल हो गई, जबकि उसकी आय को कभी अच्छा माना जाता था.

Indian Workplace सबरेडिट पर शेयर की गई उनकी यह पोस्ट वायरल हो गई. एक यूजर ने लिखा, “इनकम धन नहीं है. यह एक दुखद सच्चाई है. केवल वही लोग सुरक्षित महसूस करते हैं, जिनके पास पुश्तैनी संपत्ति होती है. बाकी सभी को संघर्ष करना पड़ता है.” एक अन्य यूजर ने व्यंग्य करते हुए कहा, “वयस्क जीवन में आपका स्वागत है. लगातार चिंता और पैसों की टेंशन आम बात है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :March 18, 2025, 13:44 ISThomebusiness1.5 लाख की सैलरी, पर मुश्किल है गुजारा, नौकरी करने वालों पर ‘बोझ’ बना ये शहर

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