Last Updated:March 05, 2025, 11:21 ISTBank Liquidity : महाकुंभ के दौरान लोगों ने बैंकों से इतना पैसा निकाला कि वहां नकदी की कमी हो गई. एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है. इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक को जल्द ही तरलता बढ़ाने के लिए क…और पढ़ेंरिजर्व बैंक ने पिछले महीने सीआरआर घटाकर बैंकों में 1.10 लाख करोड़ डाले थे. हाइलाइट्समहाकुंभ के कारण बैंकों में नकदी की कमी हुई.आरबीआई सीआरआर घटाकर तरलता बढ़ाएगा.एसबीआई रिपोर्ट में नकदी संकट का खुलासा.नई दिल्ली. महाकुंभ ने देश-दुनिया को अपनी भव्यता से चकित कर दिया, लेकिन बैंकों खाता खाली कर दिया. यह सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन करोड़ों लोगों ने महाकुंभ जाने के लिए बैंकों से जमकर पैसा निकाला. आलम ये है कि अब बैंकों के पास लोन बांटने के लिए भी पैसे नहीं हैं. बैंकों की इस हालत को सुधारने के लिए आरबीआई अब बड़ा कदम उठाने जा रहा है. एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया कि बैंकिंग सेक्टर में पूंजी तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआई को जल्द कुछ करना होगा.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई को बैंकों में पूंजी डालने के लिए नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में कटौती करनी होगी. वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) में सरकारी प्रतिभूतियों (G-secs) के स्वामित्व में कोई बदलाव नहीं होने पर, ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) का अंतर लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये हो सकता है. इसका मतलब है कि अतिरिक्त तरलता उपायों की जरूरत है.
10 साल में सबसे कम पूंजीरिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बैंकिंग प्रणाली में तरलता का संकट पिछले एक दशक से भी अधिक समय का सबसे बुरा संकट देखा जा रहा है. नवंबर में प्रणाली की तरलता 1.35 लाख करोड़ रुपये के बैलेंस से घटकर दिसंबर में 0.65 लाख करोड़ रुपये के घाटे में चली गई. जनवरी में यह घाटा बढ़कर 2.07 लाख करोड़ रुपये हो गया और फरवरी में 1.59 लाख करोड़ रुपये का घाटा रहा.
महाकुंभ ने बढ़ाई मुसीबतएसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन के कारण भी बैंकों में नकदी की कमी आई है. महाकुंभ के दौरान खुदरा जमाकर्ताओं ने बड़ी मात्रा में बैंकों से पैसे निकाले और उसे महाकुंभ में खर्च किया. इस दौरान जमा का अनुपात निकासी से काफी कम रहा है और बैंकों के पास लगातार नकदी की कमी होती चली गई. इसका परिणाम यह है कि निकाली गई मुद्रा का एक बड़ा हिस्सा अभी तक बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं आ सका है.
आरबीआई को उठाना ही पड़ेगा कदमदेश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की इस रिपोर्ट को मानें तो अब आरबीआई को तरलता संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए सीआरआर घटाना ही पड़ेगा. फरवरी की एमपीसी बैठक में भी आरबीआई ने सीआरआर में 0.50 फीसदी की कटौती की थी, जिससे बैंकिंग सिस्टम में 1.10 लाख करोड़ रुपये की पूंजी आई थी. हालांकि, यह रकम तरलता बढ़ाने के लिए नाकाफी है और जल्द सीआरआर में और कटौती करनी पड़ेगी, ताकि बैंक अपने बफर में रखी रकम का इस्तेमाल कर सकें.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 05, 2025, 11:21 ISThomebusinessमहाकुंभ ने खाली कर दिया बैंकों का खाता! लोन बांटने के लिए पैसे नहीं
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