भारत पर 94% निर्भर है बांग्‍लादेश, हम चाह लें तो बिना हथियार चलाए बर्बाद हो जाएगा मुल्‍क!

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नई दिल्‍ली. कहते हैं ‘डूबने को बचाने कोई तिनका आएगा, जो खुद डूबना चाहे उस तिनके को कौन बचाएगा.’ कुछ ऐसे ही हालात आजकल बांग्‍लादेश के हो गए हैं. साल 1971 में जब बांग्‍लादेश डूब रहा था तो भारत ने अपना पैसे, हथियार और सैनिक सभी दांव पर लगाकर उसकी रक्षा की और आजादी दिलाई. तब बांग्‍लादेश डूब रहा था और भारत ने उसे बचा लिया. पर आज बांग्‍लादेश डूबना चाहता है, तो भला उसे कौन बचा सकता है. अगस्‍त में जबसे शेख हसीना सरकार का तख्‍तापलट हुआ और भारत विरोधी ताकतों ने कब्‍जा जमाया है, तबसे बांग्‍लादेश के दुर्दिन शुरू हो गए हैं. दुनियाभर के एक्‍सपर्ट यही कहते हैं कि भारत अगर चाह ले तो बांग्‍लादेश बिना किसी हथियार के ही बर्बाद हो जाएगा, लेकिन फिर भी यह पड़ोसी मुल्‍क खुद डूबना चाहता है तो कोई क्‍या करे.

भारत पर बांग्‍लादेश की निर्भरता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उसकी 94 फीसदी सीमा भारत से लगी हुई है. दोनों देशों की 4,367 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है, जो बांग्‍लादेश की कुल अंतरराष्‍ट्रीय सीमा का 94 फीसदी है. जाहिर है कि बिना भारत के सहयोग के उसका व्‍यापार चल नहीं पाएगा. पाकिस्‍तान के बहकावे में आकर उसने भारत का विरोध तो शुरू कर दिया है और चीन व पाकिस्‍तान उसे व्‍यापार करने का प्रलोभन भी दे रहे, लेकिन बांग्‍लादेश तक पहुंचने के एकमात्र रास्‍ते बंगाल की खाड़ी के जरिये वहां सामान भेजना मुश्किल तो होगा ही महंगा भी बहुत पड़ेगा.

किन चीजों के लिए हम पर निर्भर है बांग्‍लादेश94 फीसदी सीमा साझा कर बांग्‍लादेश सामरिक और सुरक्षा की दृष्टि से तो पूरी तरह हम पर निर्भर है ही, इसके अलावा कपास, लहसुन, प्‍याज, गेहूं, चावल, चीनी, अनाज, पेट्रोल-डीजल, इलेक्ट्रिक उपकरण, प्‍लास्टिक और इस्‍पात के लिए भी उसका एकमात्र साथी भारत ही है. अगर भारत ने इन चीजों के निर्यात से मुंह मोड़ लिया तो उसकी बर्बादी तय है. रही बात भारत के लिए बाजार की तो उसकी भरपाई दूसरे रास्‍तों से हो जाएगी. दक्षिण एशिया में भारत और बांग्‍लादेश सबसे बड़े व्‍यापारिक साझेदार हैं. 2022-23 में दोनों देशों का कुल व्‍यापार करीब 16 अरब डॉलर का था, जिसमें बांग्‍लादेश से निर्यात महज 2 अरब डॉलर और भारत से 14 अरब डॉलर था. जाहिर है कि भारत के सामानों पर बांग्‍लादेश की निर्भरता किस कदर है, यह बात किसी से छुपी नहीं है.

एक ही वार से हो जाएगा धराशायीबांग्‍लादेश को संकट में डालने के लिए भारत का सिर्फ एक ही वार काफी है. बांग्‍लादेश की एक चीज है, जिसे पूरी दुनिया सलाम करती है और वह है कपड़ा उद्योग. सिर्फ इसी उद्योग की बांग्‍लादेश की जीडीपी में 11 फीसदी हिस्‍सेदारी है. कपड़ा उद्योग को चलाने के लिए चाहिए कपास और यह कच्‍चा माल भारत से जाता है. भारत अपने कुल कपास उत्‍पादन का 35 फीसदी सिर्फ बांग्‍लादेश को भेजता है. आंकड़े साफ बताते हैं कि अगर यह निर्यात रुक गया तो बांग्‍लादेश का कपड़ा उद्योग ध्‍वस्‍त हो जाएगा और वहां बेरोजगारी व महंगाई चरम पर पहुंच जाएगी.

4 महीने में डूब गए 2 लाख करोड़बांग्‍लादेश ने अगस्‍त से अब तक कितना नुकसान उठाया इसकी बानगी आंकड़े खुद पेश करते हैं. शेख हसीना के कार्यकाल में साल 2009 से जुलाई 2024 तक बांग्‍लादेश की जीडीपी की विकास दर 6.3 फीसदी रही, जिसे अब मूडीज और एडीबी जैसी रेटिंग एजेंसियों ने 5 फीसदी से भी नीचे का अनुमान लगाया है. उसकी जीडीपी जहां 455 अरब डॉलर तक पहुंच गई थी और प्रति व्‍यक्ति आय 2,784 डॉलर तक, वहीं अगस्‍त से अब तक महज 4 महीने में ही बांग्‍लादेश की अर्थव्‍यवस्‍था को करीब 2 लाख करोड़ रुपये की चपत चल चुकी है.

भारत ने थाम रखी है महंगाईकिंग्‍स कॉलेज लंदन में अंतरराष्‍ट्रीय मामलों के प्रोफेसर हर्ष पंत का कहना है कि बांग्‍लादेश की महंगाई को भारत ने ही थाम रखा है. भारत से जिस कीमत पर सामान बांग्‍लादेश में पहुंचता है, उस कीमत पर दुनिया का कोई भी देश उसे नहीं दे सकता है. चाहे चीन हो या पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश में सामान पहुंचाने के लिए बंगाल की खाड़ी के रास्‍ते आएंगे, जो काफी खर्चीला और जोखिम भरा है. बावजूद इसके बांग्‍लादेश ने हाल में करीब 25 हजार टन चीनी पाकिस्‍तान से मंगाई है. अब सवाल ये उठता है कि जो पाकिस्‍तान खुद बदहाल है, वह कम कीमत पर बांग्‍लादेश को कितनी मदद पहुंचा सकता है.

क्‍या है चीन-पाक की मंशा और नुकसान किसेकहावत है कि दूसरों का घर जलाकर हाथ सेंकना भी दुश्‍मनी का एक हुनर है और इसी कहावत को पाकिस्‍तान आजकल बांग्‍लादेश पर आजमा रहा है. चीन और पाक मिलकर बांग्‍लादेश को भारत के खिलाफ खड़ा करना चाहते हैं, ताकि वे हमें पूरब और पश्चिमी दोनों तरफ से घेर सकें. बांग्‍लादेश में तो यहां तक सुर उठने लगे हैं कि उसे पाकिस्‍तान से परमाणु तकनीक लेनी चाहिए. अगर बांग्‍लादेश को परमाणु तकनीक मिल भी जाती है तो भी उसे नुकसान ही होगा, क्‍योंकि ऐसा होने पर पश्चिमी देशों का भयंकर प्रतिबंध उसे झेलना पड़ सकता है. इतना ही नहीं ऊपर दिए आंकड़े भी साफ कहते हैं कि भारत से दुश्‍मनी करके बांग्‍लादेश का अस्तित्‍व बिना किसी हथियार के ही बिखर जाएगा, क्‍योंकि भुखमरी, बेरोजगारी और महंगाई किसी भी युद्ध से ज्‍यादा नुकसान पहुंचाते हैं.
Tags: Bangladesh news, Business news, Indian economyFIRST PUBLISHED : December 19, 2024, 15:55 IST

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