जाम्बिया में कॉपर माइन खरीदेंगे बिहारी बाबू, 5 साल बाद सरकार से मिलेगा हक

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जाम्बिया में कॉपर माइन खरीदेंगे बिहारी बाबू, 5 साल बाद सरकार से मिलेगा हक

Last Updated:February 10, 2025, 14:43 ISTVedanta Copper Mines : वेदांता समूह के संस्‍थापक अनिल अग्रवाल जाम्बिया में एक बड़ी कोल माइंस को खरीदने की तैयारी में हैं. इसके लिए उनकी कंपनी फंड जुटाने की तैयारी कर रही है. इस माइंस में वेदांता की 80 फीसदी हिस…और पढ़ें
अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता जाम्बिया में कॉपर माइंस खरीद रही है. नई दिल्‍ली. बिहार के दिग्‍गज बिजनेसमैन और वेदांता समूह के मालिक अनिल अग्रवाल मेटल और केमिकल सेक्‍टर में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए जाम्बिया में कॉपर माइन्‍स खरीदने की तैयारी में हैं. वेदांता समूह की कंपनी वेदांता रिसोर्सेज ने इसके लिए फंड जुटाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. कंपनी 1 अरब डॉलर (करीब 8,700 करोड़ रुपये) का फंड जुटा रही है, ताकि वह जाम्बिया की कोंकोला कॉपर माइंस (KCM) को खरीद सके. इससे भारत के रसायन उद्योग को भी काफी फायदा मिलेगा.

वेदांता के बेस मेटल्स यूनिट के प्रमुख क्रिस ग्रिफिथ का कहना है कि कंपनी तांबे के उत्पादन को बढ़ाने के लिए धन जुटा रही है. यह निवेश वेदांता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो KCM के तांबे के उत्पादन को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है. कंपनी अगले पांच वर्षों में इस खदान से कॉपर उत्पादन को 3 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष बढ़ाएगी.

कहां इस्‍तेमाल होगा कॉपरकॉपर यानी तांबा का उपयोग कई उत्‍पादों में किया जाता है. तांबा उत्प्रेरकों, बिजली के तारों, मिश्र धातुओं और अन्य रासायनिक प्रयोग जैसे सोलर पैनल या सेमीकंडक्‍टर बनाने में भी उपयोग किया जाता है. दुनियाभर में सोलर प्रोडक्‍ट और सेमीकंडक्‍टर की मांग बढ़ने पर तांबे की डिमांड भी बढ़ेगी और उसकी कीमतों में भी उछाल आएगा. लिहाजा KCM में कॉपर का उत्पादन बढ़ाने की वेदांता की योजनाएं तांबे की कीमतों और ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन पर बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं.

2019 से चल रहा विवादवेदांता और अनिल अग्रवाल के लिए यह माइंस इसलिए भी बहुत जरूरी है, क्‍योंकि साल 2019 से ही उनका जाम्बिया सरकार के साथ विवाद चल रहा है. 2019 में जाम्बिया के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति एडगर लुंगु ने उत्‍पादन न बढ़ाने का आरोप लगाते हुए वेदांता से इसे वापस ले लिया था. तब से ही कंपीन और जाम्बिया सरकार के बीच विवाद चल रहा है. लंबी लड़ाई के बाद पिछले साल जुलाई में जाम्बिया की अदालत ने वेदांता के पक्ष में फैसला सुनाया था. तब कंपनी ने 24.6 करोड़ डॉलर का भुगतान कर इस पर फिर से दावा किया.

क्‍यों इतनी खास है यह खदानजाम्बिया की कोंकोला कॉपर माइंस न सिर्फ वेदांता, बल्कि देश के भी खास मानी जा रही है. इसकी वजह है, इसमें छुपा खनिजों का खजाना. यह माइंस दुनिया की सबसे बड़ी हाई ग्रेड कॉपर वाली खदानों में शामिल है. यहां पूरी दुनिया का 2.4 फीसदी से भी ज्‍यादा हाई ग्रेड कॉपर है. इसके अलावा इस खदान में कोबाल्‍ट का भी बड़ा खजाना है. इस खदान में 4.12 लाख टन का कोबाल्‍ट रिजर्व भी है.

हिस्‍सा बेचना चाहती थी वेदांताअनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता ने इस माइंस को अपने कब्‍जे में पाने के लिए 1 अरब डॉलर की पेशकश की है. कंपनी पिछले साल अपनी हिस्‍सेदारी में से कुछ हिस्‍सा बेचकर यह फंड जुटाना चाहती थी, लेकिन अब उसने कर्ज लेने सहित अन्‍य विकल्‍पों पर विचार करना शुरू कर दिया है. वेदांता के पास केसीएम की 80 फीसदी हिस्‍सेदारी है, जबकि शेष 20 फीसदी जाम्बिया सरकार की एक कंपनी के पास है. वेदांता ने अपनी 80 फीसदी में से 30 फीसदी हिस्‍सा पिछले साल बेचने की बात कही थी, लेकिन अब इस पर विचार करना बंद कर दिया है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :February 10, 2025, 14:43 ISThomebusinessजाम्बिया में कॉपर माइन खरीदेंगे बिहारी बाबू, 5 साल बाद सरकार से मिलेगा हक

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