भारत को जिस स्पेस मिशन से मिली दुनिया में नई पहचान, उसके पीछे थी एक प्राइवेट कंपनी

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नई दिल्ली. भारत की शीर्ष स्पेस एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने 30 दिसंबर को अपना नाम कुछ चुनिंदा देशों की फेहरिस्त में दर्ज कराने के लिए बड़ा कदम उठाया. इसरो ने स्पेस में डॉकिंग के लिए पहली बार कोई अभियान भेजा. डॉकिंग क्या होती है और इसका महत्व है इसके बारे में हम आगे बात करेंगे. लेकिन पहले आपको यह बता दें कि अगर डॉकिंग सफल हुई तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का केवल चौथा देश बन जाएगा. भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन ऐसा कर चुके हैं. हालांकि, यह मिशन केवल डॉकिंग के प्रयास के लिए ही नहीं जाना जाएगा बल्कि यह पहला ऐसा अंतरिक्ष अभियान है जिसमें किसी प्राइवेट कंपनी ने लगभग पूरा दारोमदार अपने कंधों पर ले लिया था.इस कंपनी का नाम अनंत टेक्नोलॉजीज लिमिटेड है. यह कंपनी 1992 में स्थापित हुई थी. इसकी स्थान इसरो के ही पूर्व प्रमुख डॉक्टर सुब्बाराव पव्वलुरी हैं. कंपनी पहले से ही स्पेस प्रोग्राम में महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स की सप्लाई करके अपना योगदान देती आई है. लेकिन इस बार अंतरिक्ष में भेजे गई दोनों स्पेसक्राफ्ट की असेंबली, इंटीग्रेशन और टेस्टिंग (AIT) भी इसी कंपनी ने की. यह भारतीय स्पेस प्रोग्राम के इतिहास में पहली बार हुआ है जब किसी प्राइवेट कंपनी ने खुद से स्पेसक्राफ्ट का एटीएल किया हो. कंपनी की इस काम में इसरो के इंजीनियर्स ने भी मदद की. केवल स्पेसक्राफ्टही नहीं जिस पोलर लॉन्च व्हीकल-सी60 (PSLV-C60) से इन्हें लॉन्च किया गया उसकी भी असेंबली इंटीग्रेशन और टेस्टिंग अनंत टेक्नोलॉजीज ने अपनी फैसिलिटी में की थी. स्पेसक्राफ्ट को कंपनी की बेंगलुरु स्थित 10,000 वर्ग मीटर में फैली स्टेट ऑफ द आर्ट फैसिलिटी में तैयार किया गया था. जबकि पीएसएलवी का एटीएल तिरुवनंतपुरम में हुआ था.क्या है ये मिशनइसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDex) के तहत 2 स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भेजे हैं. पहला एक चेजर है जिसे SDX01 नाम दिया गया है. दूसरा टारगेट है जिसे SDX02 नाम दिया गया है. चेजर जाकर टारगेट में बिना किसी मानवीय नियंत्रण के खुद को अटैच करेगी. इसी अटेचमेंट को डॉकिंग कहा जाता है. हॉलीवुड की फिल्म इंटरस्टेलर में डॉकिंग दिखाई गई है. हालांकि, वहां डॉकिंग करते समय स्पेसशिप एक इंसान के कंट्रोल में है. जबकि इसरो का लक्ष्य इसे मानवीय हस्तक्षेप के बिना करने का है. इसरो ने कहा है कि इस मिशन में करीब 1 हफ्ते का समय लग सकता है.क्या है इसका महत्वअगर डॉकिंग सफल होती है तो इसका असर इसरो के आने वाले मिशंस पर भी देखने को मिलेगा. इसरो को आगे चांद पर इंसान भेजने हैं. इसके अलावा डीप स्पेस मिशन के लिए भी डॉकिंग बहुत मददगार साबित हो सकती है. भारत अंतरिक्ष में खुद का स्पेस स्टेशन बनाना चाह रहा है. स्पेस स्टेशन बनने के बाद वहां बिना किसी मानवीय सहारे के सामान पहुंचाने में डॉकिंग का बड़ा योगदान साबित हो सकता है. कई बार आप एक ही स्पेसक्राफ्ट में सारा जरूरी सामान अंतरिक्ष में नहीं भेज सकते और इसके लिए आपको अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट की जरूरत होती है. डॉकिंग के जरिए यह लक्ष्य किया जा सकता है.FIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 12:00 IST

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