Last Updated:June 18, 2025, 18:23 ISTएयर इंडिया AI-171 की दुर्घटना में 241 यात्रियों और 29 जमीन पर मौजूद लोगों की मौत हुई. बीमा कंपनियों के लिए क्लेम निपटाना मुश्किल हो गया है. IRDAI ने जल्द प्रक्रिया के निर्देश दिए हैं.हाइलाइट्सएयर इंडिया क्रैश में 241 यात्रियों की मौतबीमा कंपनियों के लिए क्लेम निपटाना मुश्किलIRDAI ने बीमा कंपनियों को जल्द प्रक्रिया के निर्देश दिएनई दिल्ली. अहमदाबाद से लंदन जा रहे एयर इंडिया के विमान AI-171 की भयावह दुर्घटना ने न सिर्फ 241 यात्रियों की जान ले ली, बल्कि जमीन पर मौजूद 29 लोगों की भी जिंदगी छीन ली. 12 जून को हुए इस हादसे ने सैकड़ों परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया. अब एक और जटिल स्थिति सामने आ रही है – बीमा कंपनियों के लिए क्लेम निपटाना मुश्किल हो गया है क्योंकि कई मामलों में बीमाधारक और उनके द्वारा नामित नॉमिनी – दोनों की ही इस त्रासदी में मौत हो गई है. बीमा नियामक संस्था भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी बीमा कंपनियों को निर्देश दिया कि वे मृतकों की पहचान अपने डाटाबेस से मिलाएं और ओवरसीज मेडिकल इंश्योरेंस, पर्सनल एक्सीडेंट और लाइफ इंश्योरेंस से जुड़े दावों की जल्द से जल्द प्रक्रिया शुरू करें.IRDAI ने यह भी स्पष्ट किया कि पुख्ता तौर पर मृत घोषित किए गए व्यक्तियों के दावों को किसी भी तरह की प्रक्रिया की देरी या औपचारिकताओं के कारण रोका नहीं जाना चाहिए. इसके बाद LIC, न्यू इंडिया एश्योरेंस, HDFC लाइफ, इफ्को टोकियो, बजाज आलियांज और टाटा AIG जैसी बड़ी बीमा कंपनियों ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल में हेल्पडेस्क स्थापित कर दिए हैं ताकि पीड़ित परिवारों को सहायता मिल सके. LIC के प्रशासनिक अधिकारी आशीष शुक्ला ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि अब तक अस्पताल और विभिन्न कार्यालयों में 10 क्लेम दर्ज किए जा चुके हैं. उन्होंने एक खास केस का जिक्र करते हुए कहा कि एक पॉलिसीधारक ने अपने जीवन बीमा में जीवनसाथी को नामित किया था, लेकिन दुर्भाग्यवश इस हादसे में दोनों की मृत्यु हो गई.
बड़ी कानूनी चुनौती
यह स्थिति बीमा कंपनियों के लिए एक बड़ी कानूनी और प्रशासनिक चुनौती बन गई है, क्योंकि अब यह देखना होगा कि ऐसे मामलों में बीमा राशि किसे दी जाए – खासकर तब जब परिवार का कोई सदस्य बचा ही न हो. ऐसे मामलों में उत्तराधिकारी तय करने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं की जरूरत पड़ सकती है, जिससे क्लेम की प्रक्रिया लंबी हो सकती है.
क्या हो रहा है अब
यह हादसा न केवल मानवीय त्रासदी है, बल्कि बीमा सिस्टम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता है. बीमा कंपनियां अब पीड़ित परिवारों तक पहुंच रही हैं और प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन कई परिवारों में अब कोई नहीं बचा जिसे मुआवजा दिया जा सके. ऐसे मामलों में सरकार को भी हस्तक्षेप कर स्पष्ट दिशा-निर्देश देने की जरूरत है.Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessबीमा का पैसा तो दे दें लेकिन लेने वाला है कौन? क्रैश के बाद पैदा हुआ नया सवाल
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