मनमाने हवाई किराये पर सांसद ने समझा पब्लिक का दर्द, AI से निगरानी की मांग

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नई दिल्ली. देश में हवाई किराया अक्सर त्योहार या यात्रा करने के एक-दिन पहले काफी महंगा हो जाता है. इस बढ़ते फेयर से पैसेंजर हमेशा परेशान रहते हैं.  इस मुद्दे पर संसद की एक समिति ने हवाई किराये की कड़ी निगरानी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) आधारित सख्त रेगुलेटरी सिस्टम बनाने की अनुशंसा की है, और कहा है कि नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) के तहत मौजूदा नियामक प्रणाली ज्यादा प्रभावी नहीं है. परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी समिति ने अपनी 375वीं रिपोर्ट ‘नागर विमानन मंत्रालय की अनुदान की मांगों (2025-26) में यह भी अनुशंसा की है कि डीजीसीए को अनुचित गतिविधियों में लिप्त विमानन कंपनियों पर जुर्माना लगाने के लिए अर्ध-न्यायिक शक्तियां दी जानी चाहिए.

जनता दल (यूनाइटेड) के राज्यसभा सदस्य संजय कुमार झा की अध्यक्षता वाली समिति ने निर्वाचन आयोग के ‘सी-विजिल’ मोबाइल ऐप की तर्ज पर ‘एयरफेयर विजिल’ ऐप विकसित करने की भी सिफारिश की है ताकि लोग ‘‘मनमाने हवाई किराये’’ के संबंध में शिकायतें कर सकें.

रिपोर्ट के अनुसार, कार्यान्वयन की समयसीमा 18-24 महीने होनी चाहिए, जिसमें प्रथम चरण में छह महीने के भीतर अधिक यातायात वाले मार्गों पर ध्यान केंद्रित किया जाए और 2026 तक देश भर में लागू कर दिया जाए. संसद में पेश रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘समिति ने 2025-26 के लिए नागर विमानन मंत्रालय की अनुदान मांगों की पड़ताल करते हुए, एआई-आधारित पूर्वानुमान निगरानी प्रणाली के ढांचे के तहत सख्त हवाई किराया मूल्य निर्धारण नियमन तंत्र की स्थापना की सिफारिश की है. अस्थायी रूप से इसका नाम ‘एयरप्राइस गार्डियन’ रखा गया है.’’

इसमें कहा गया है कि इस प्रणाली का उद्देश्य अप्रत्याशित और ‘‘हवाई किराये में अत्यधिक वृद्धि’’ से संबंधित उपभोक्ता शिकायतों का समाधान करना होगा, विशेष रूप से यात्रा की व्यस्त अवधि और आपात स्थितियों के दौरान. साथ ही, यह किराया निर्धारण में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करेगी.

DGCA के मौजूदा नियम अप्रभावी

समिति ने कहा कि डीजीसीए के तहत मौजूदा नियामक प्रणाली में हवाई किराये के रुझानों की सक्रिय निगरानी और नियमन करने की दक्षता का अभाव है, जिसके लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण की आवश्यकता है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रस्तावित ‘‘एयरप्राइस गार्डियन’’ प्रणाली पूर्व के डेटा, मांग पैटर्न, ईंधन लागत, किराये में मौसमी उतार-चढ़ाव और त्योहारों या आपात स्थितियों जैसे बाहरी कारकों के आधार पर हवाई किराये के रुझान का पूर्वानुमान करने के लिए ‘मशीन लर्निंग एल्गोरिदम’ और पूर्वानुमान विश्लेषण का उपयोग करेगी.

समिति ने सिफारिश की है, ‘‘डीजीसीए को अनुचित गतिवधियों में लिप्त एयरलाइनों पर जुर्माना लगाने के लिए अर्ध-न्यायिक शक्तियां दी जानी चाहिए.’’ इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि एयरलाइनों को उचित मूल्य निर्धारण मानदंडों के पालन के आधार पर रेटिंग देने के लिए ‘‘मूल्य निर्धारण पारदर्शिता सूचकांक’’ तैयार किया जाना चाहिए.

क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना (उड़ान) पर मंत्रालय के जोर दिये जाने के संदर्भ में समिति ने कहा कि हवाई किराये की निगरानी कम उड़ानों वाले मार्गों तक विस्तारित की जानी चाहिए, ताकि अत्यधिक किराये पर रोक लगाई जा सके.

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