2 सालों से सेबी को ‘टरका’ रहे अडानी के निवेशक, अब जुर्माना देकर रफा-दफा करना चाहते केस, लेकिन…

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नई दिल्ली. भारत की बाजार नियामक संस्था सेबी ने मॉरिशस आधारित 2 फंड्स इलारा इंडिया ऑपर्चुनिटी फंड (Elara India Opportunities Fund) और वेस्परा फंड (Vespera Fund) को नोटिस भेजा है. नोटिस में कहा गया है कि अगर उन्होंने अडानी ग्रुप में अपने निवेश और शेयरधारकों की पूरी जानकारी नहीं दी तो उनके लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं, और जुर्माना भी लग सकता है. ये दोनों फंड्स अडानी ग्रुप की कंपनियों में भारी निवेश किए हुए हैं और सेबी का कहना है कि इससे “मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग” नियमों की जांच में रुकावट आ रही है. भारत में आम निवेशकों का हितों का ध्यान रखने वाली सेबी बीते 2 सालों से इस बाबत जानकारी मांग रही है, लेकिन जवाब अब तक नहीं मिला.

भारतीय नियमों के अनुसार, किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में कम-से-कम 25 फीसदी शेयर पब्लिक के पास होने चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे. लेकिन पिछले साल हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने आरोप लगाया था कि अडानी ग्रुप ने इस नियम का उल्लंघन किया है और कुछ विदेशी फंड्स के जरिए खुद ही शेयर खरीद रखे हैं.

2023 से भेजे जा रहे हैं नोटिस

इकॉनमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मॉरिशस में स्थित दोनों फंडो को साल 2023 से ही सेबी की ओर से यह निर्देश दिया गया था कि वे अपने सभी शेयरधारकों की विस्तृत जानकारी दें. इसकी वजह यह थी कि इन फंड्स ने अडानी ग्रुप में भारी निवेश कर रखा था. यह जानकारी 28 मार्च को जारी सेबी के एक दस्तावेज में दी गई है, जिसे रायटर्स ने देखा.

सेबी के मुताबिक, अब तक इन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने न तो मांगी गई जानकारी दी है और न ही किसी तरह की कोई वजह बताई है. इस देरी की वजह से अडानी ग्रुप के न्यूनतम पब्लिश शेयरहोल्डिंग नियमों के पालन की जांच में रुकावट आ रही है. भारत की इलारा और सेबी ने रॉयटर्स के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया. अडानी ग्रुप ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

सेबी के दस्तावेज में यह भी बताया गया है कि इलारा फंड्स ने कुछ अडानी शेयरों में 5 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी खरीदने के बाद भी इसका खुलासा नहीं किया, जबकि भारतीय नियमों के तहत ऐसा करना जरूरी होता है. हालांकि, दस्तावेज में यह नहीं बताया गया कि किस शेयर की बात हो रही है.

FPI के रूप में रजिस्टर्ड हैं दोनों फंड

भले ही ये फंड्स मॉरिशस में स्थित हैं, लेकिन वे सेबी के पास FPI के रूप में रजिस्टर्ड हैं, इसलिए उन्हें भारतीय नियामक नियमों का पालन करना पड़ता है और उनकी जांच भी हो सकती है.

सेबी की जांच से जुड़े दो सूत्रों के अनुसार, इन दोनों फंड्स ने किसी भी दोष को स्वीकार किए बिना जुर्माना देकर मामला निपटाने के लिए सेबी के पास आवेदन किया है. हालांकि, यह अभी साफ नहीं है कि उन्हें आखिर में कितनी सजा या जुर्माना भुगतना पड़ सकता है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि अडानी के शेयरों में निवेश करने वाले दो अन्य विदेशी निवेशक मॉरिशस की लोट्स इन्वेस्टमेंट और एलटीएस इन्वेस्टमें ने भी सेबी को जानकारी देने से इनकार किया है. इन दोनों निवेशकों की ओर से भारत में वकील पी.आर. रमेश ने सेबी की ओर से बार-बार पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया.

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