तुर्की के बाद अब चीन की बारी, अडानी समूह ने खत्म किया वहां की कंपनी से करार

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नई दिल्ली. अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड (AAHL) ने चीनी कंपनी ड्रैगनपास के साथ अपनी साझेदारी को अचानक समाप्त कर दिया है. यह करार हाल ही में हुआ था, जिसमें ड्रैगनपास के ग्राहकों को अडानी द्वारा संचालित मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर, गुवाहाटी, मंगलुरु और तिरुवनंतपुरम जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर प्रीमियम लाउंज सुविधाएं मिलनी थीं. यह फैसला ऐसे समय आया है जब भारत-पाकिस्तान तनाव और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर देश में काफी चर्चा हो रही है.

ड्रैगनपास एक चीनी कंपनी है, जो दुनियाभर में 1300 से अधिक एयरपोर्ट लाउंज और प्रीमियम यात्रा सेवाएं देती है. अडानी डिजिटल लैब्स ने 8 मई को इस साझेदारी की घोषणा की थी, जिससे भारतीय हवाई अड्डों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जोड़ने, यात्रियों को कैशलेस और डिजिटल अनुभव देने की बात कही गई थी. इस सहयोग के तहत बिजनेस और अवकाश यात्रियों के लिए विशेष सेवाएं देने की योजना थी.

क्यों खत्म हुई साझेदारी?

अडानी एयरपोर्ट के प्रवक्ता ने घोषणा की कि ड्रैगनपास के साथ साझेदारी तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई है और अब उनके ग्राहक अडानी के हवाई अड्डों पर लाउंज का उपयोग नहीं कर पाएंगे. हालांकि आधिकारिक कारण नहीं बताया गया, लेकिन इसके पीछे कई संभावित कारण माने जा रहे हैं:

राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा गोपनीयता

ड्रैगनपास यात्रियों का संवेदनशील डेटा जैसे पासपोर्ट डिटेल्स और ट्रैवल हिस्ट्री संभालता है. ऐसे में चीन की कंपनियों पर डेटा शेयरिंग को लेकर पहले से ही संदेह बना हुआ है. गलवान संघर्ष के बाद भारत-चीन रिश्तों में खटास के बीच यह साझेदारी सवालों के घेरे में आ गई थी.

भारत-पाकिस्तान तनाव और चीन का रुख

मई 2025 में भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत की गई एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के समर्थन में चीन के खड़े होने से ड्रैगनपास जैसी चीनी कंपनियों के साथ समझौते को लेकर आलोचना तेज हो गई थी.

सार्वजनिक और राजनीतिक दबाव

सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने इस डील को “राष्ट्रविरोधी” कहा और ड्रैगनपास के साथ करार रद्द करने की मांग की. विपक्षी दलों और कुछ संगठनों ने भी इसे लेकर नाराज़गी जताई थी. इसके चलते अडानी पर राजनीतिक दबाव भी बढ़ा.

वाणिज्यिक मूल्यांकन

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह साझेदारी आर्थिक रूप से उतनी लाभकारी नहीं दिखी होगी, हालांकि इसकी संभावना कम मानी जा रही है क्योंकि शुरुआत में इसे रणनीतिक रूप से फायदेमंद बताया गया था.

यात्रियों पर असर

इस फैसले से ड्रैगनपास के ग्राहकों को नुकसान होगा, जो अडानी एयरपोर्ट्स पर लाउंज का इस्तेमाल करते थे. हालांकि, अडानी ने स्पष्ट किया है कि अन्य प्लेटफॉर्म्स जैसे प्रायोरिटी पास या क्रेडिट कार्ड आधारित लाउंज एक्सेस वाले ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा.

अडानी की छवि और भविष्य की रणनीति

यह कदम अडानी ग्रुप को राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सजग और संवेदनशील दिखाता है. सोशल मीडिया पर भी इस फैसले का स्वागत किया गया है. भविष्य में अडानी समूह उन साझेदारों के साथ सहयोग कर सकता है जो राजनीतिक और सुरक्षा दृष्टि से विवादित न हों.

भारत में चीनी कंपनियों की स्थिति

यह घटना दर्शाती है कि भारत में चीनी कंपनियों के लिए काम करना अब पहले की तरह आसान नहीं रहा, खासकर जब मामला डेटा, डिजिटल सेवाओं और रणनीतिक क्षेत्रों से जुड़ा हो. यह आत्मनिर्भर भारत की नीति और विदेशी निवेश पर सख्ती की दिशा में एक और संकेत माना जा सकता है.

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