Last Updated:February 14, 2025, 18:20 ISTभारत की छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) निर्माण की निजीकरण प्रक्रिया में अडानी समूह सहित तीन फाइनलिस्ट चुने गए हैं. यह कदम भारत के कमर्शियल स्सेप सेक्टर को बढ़ावा देने और ग्लोबल सैटेलाइट लॉन्च मार्केट में हिस…और पढ़ेंहाइलाइट्सअडानी समूह SSLV निजीकरण के फाइनलिस्ट में शामिल.भारत का लक्ष्य ग्लोबल सैटेलाइट लॉन्च मार्केट में हिस्सेदारी बढ़ाना.SSLV 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट LEO में स्थापित कर सकता है.स्पेस सेक्टर में भारत एक नया चैप्टर लिखने जा रहा है, जिसमें निजी कंपनियों को स्पेस टेक्नोलॉजी को बनाने और उन्हें मैनेज करने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है. इसी कड़ी में भारत के छोटे सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) के निजीकरण की प्रक्रिया में तीन फाइनल नाम चुने गए हैं, जिनमें अडानी ग्रुप भी शामिल है. यह कदम न केवल भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला साबित हो सकता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान को और मजबूत करने का मौका भी देता है.
SSLV को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया गया है. यह एक कम लागत वाला लॉन्च व्हीकल है. यह 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइटों को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low-Earth Orbit या LEO) में स्थापित करने में सक्षम है. LEO सैटेलाइट लॉन्च मार्केट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां दुनिया भर की कंपनियां अपने सैटेलाइटों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए कंपीटिशन कर रही हैं.
2023 में SSLV के पहले सफल लॉन्च के बाद, सरकार ने इसके निर्माण और टेक्नोलॉजी को निजी क्षेत्र को सौंपने का फैसला किया था. यह कदम भारत के कमर्शियल स्पेस सेक्टर को विस्तार देने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसके माध्यम से सरकार का लक्ष्य ग्लोबल सैटेलाइट लॉन्च मार्केट में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना है, जो अभी तक SpaceX जैसी निजी कंपनियों के दबदबे में है.
20 कंपनियों ने दिखाई थी रुचिटाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी वेबसाइट पर लिखा कि इस प्रक्रिया में लगभग 20 कंपनियों ने शुरुआती रुचि दिखाई, लेकिन अंतिम चरण में तीन कंसोर्टियम चुने गए हैं. इनमें अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज की हिस्सेदारी वाली अल्फा डिज़ाइन टेक्नोलॉजीज (Alpha Design Technologies), सरकार समर्थित भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL), और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) शामिल हैं. हालांकि, इन ग्रुप्स की सटीक संरचना अभी सार्वजनिक नहीं की गई है.
कहा जा रहा है कि जीतने वाली कंपनी SSLV के डिज़ाइन, निर्माण प्रक्रिया, गुणवत्ता प्रशिक्षण, और 24 महीने तक तकनीकी सहायता के लिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को लगभग 3 अरब रुपये (30 मिलियन डॉलर) की पेमेंट करेगी. इसके अलावा, बोली लगाने वाली कंपनियों को SSLV के निर्माण, संचालन और बिक्री की क्षमता भी प्रदर्शित करनी होगी.
तेजी से बढ़ रहा है सैटेलाइट लॉन्च मार्केटविशेषज्ञों का मानना है कि LEO सैटेलाइट लॉन्च बाजार में तेजी से वृद्धि हो रही है, और यह नई कंपनियों के लिए एक बड़ा अवसर है. दिल्ली के एक स्पेस टेक विशेषज्ञ दामोदरन रमन के अनुसार, “LEO आज के समय में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है, और इस बाजार में प्रवेश करने वाली कंपनी के लिए यह एक बड़ा मौका है.”
वैश्विक स्तर पर, सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्केट 2025 तक 5.6 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 113 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. इसमें LEO लॉन्चों की हिस्सेदारी सबसे अधिक होगी. हालांकि, भारत की वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी केवल 2 फीसदी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का लक्ष्य इसे इस दशक के अंत तक 44 अरब डॉलर तक पहुंचाना है.
इस प्रक्रिया में भाग लेने वाली कंपनियों के लिए लाभदायक होना और कम से कम 5 वर्षों का निर्माण अनुभव होना अनिवार्य था. साथ ही, मुख्य बोलीदाता की वार्षिक आय कम से कम 4 अरब रुपये (50 मिलियन डॉलर) होनी चाहिए.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :February 14, 2025, 18:20 ISThomebusinessअडानी अब करेंगे स्पेस में भी राज! दो सरकारी कंपनियों से है तगड़ा कंपीटिशन
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