नीदरलैंड में होते L&T चीफ तो क्या करते, वहां तो सप्ताह में केवल 29 घंटे ही काम करने का कल्चर

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Last Updated:January 10, 2025, 15:09 ISTभारत में काम के घंटों पर बहस तेज हो चुकी है. इंफोसिस के नारायण मूर्ति ने 70 घंटे काम करने का सुझाव दिया था, मगर L&T प्रमुख एसएन सुब्रह्मण्यन ने 90 घंटे काम करने की वकालत कर दी है. दूसरी ओर, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों…और पढ़ेंसप्ताह में काम के घंटों पर बड़ी बहस छिड़ी है.नई दिल्ली. भारत में वर्क-कल्चर और प्रोडक्टिविटी पर चल रही बहस के बीच एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर बड़े बिजनेस लीडर्स और सीईओज़ (CEOs) से एक बड़ा सवाल किया. उसने सप्ताह में 70-90 घंटे काम करने के मुद्दे पर उनके विचार पूछे. क्योंकि हाल ही में लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन ने सप्ताह में 90 घंटे और रविवार को भी काम करने की नसीहत देते हुए नई बहस छेड़ दी है. हालांकि अगर वे नीदरलैंड्स में होते तो ‘माथा पटकने’ के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता, क्योंकि वहां तो सप्ताह में केवल 29 घंटे काम करने का कल्चर है. खैर… एक्स यूजर से सवाल के जवाब में हेलिओस कैपिटल के संस्थापक और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर समीर अरोड़ा ने अपने अनुभव साझा किए.

समीर अरोड़ा ने बताया कि अपने करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने दिल्ली में प्रतिदिन सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक काम किया. यह 13 घंटे होते हैं. साथ ही आने-जाने में भी एक-एक घंटे का समय लगता था. मतलब कुल 15 घंटे. उन्होंने इस अनुभव को आनंददायक बताया, लेकिन बाद में उन्होंने वर्क-बैलेंस वाले काम की तलाश में एक नई नौकरी कर ली. वहां काम का समय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक था. सब लोग 4 बजे घर निकलने की तैयारी करने लगते और 5 बजे ऑफिस खाली हो जाता. समीर अरोड़ा ने बताया कि इसी वजह से वहां नीरसता महसूस होने लगी. तंग आकर वे वे पहले वाली कंपनी में लौट गए.

उन्होंने यह भी शेयर किया कि अमेरिका में व्हार्टन स्कूल में पढ़ाई के दौरान उनकी पहली कंपनी ने उन्हें अपने हेडक्वार्टर में समर सीजन में नौकरी दी और 2 वर्षों तक उन्हें यूके में ढाई महीने के बिजनेस टूर पर भेजा. इस टूर में वेतन के साथ यात्रा, होटल, टैक्सी, भोजन और कपड़ों की प्रेस जैसी सुविधाएं शामिल थीं. अरोड़ा ने कहा कि एलायंस और हेलिओस के साथ काम करते हुए उन्होंने अपने काम का इतना आनंद लिया कि अधिकांश समय काम को काम नहीं माना.

यूजर से सवाल का निष्कर्ष निकालते हुए उन्होंने कहा- यह कहना उचित नहीं है कि सीईओ या प्रमोटर केवल इसलिए 70 घंटे काम करते हैं, क्योंकि वे मालिक हैं और अधिक वेतन पाते हैं. बल्कि, यह समझना आवश्यक है कि वे उस स्थान तक कैसे पहुंचे?

नारायण मूर्ति से शुरू हुई थी ये बहसइस चर्चा की शुरुआत इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति से हुई थी. उन्होंने अक्टूबर 2023 में सुझाव दिया था कि भारत के युवाओं को देश की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए सप्ताह में कम से कम 70 घंटे काम करना चाहिए. उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे सुबह 6:20 बजे से रात 8:30 बजे तक, सप्ताह में छह दिन काम करते थे, जो प्रति सप्ताह लगभग 85-90 घंटे होता था. उनके अनुसार, गरीबी से बचने का एकमात्र तरीका कड़ी मेहनत है.

हालांकि, नारायण मूर्ति के इस सुझाव पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आईं. कुछ उद्योगपतियों ने उनका समर्थन किया, जबकि अन्य ने इस पर असहमति जताई. फिल्म निर्माता रोनी स्क्रूवाला ने कहा कि प्रोडक्टिविटी बढ़ाना केवल लंबे समय तक काम करने से संभव नहीं है.

मूर्ति से भी आगे निकल गए L&T चीफ एसएन सुब्रह्मण्यनअभी दो दिन पहले लार्सन एंड टुब्रो (Larsen & Toubro) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने नारायण मूर्ति के 70 घंटे काम करने के बयान को पीछे छोड़ दिया. सुब्रह्मण्यन ने कहा है कि प्रतिस्पर्धी रहने के लिए कर्मचारियों को हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए, और तो और रविवार को भी काम करना चाहिए. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ. वीडियो में पूछा गया कि एलएंडटी अपने कर्मचारियों से शनिवार को काम क्यों करवाता है? उसके उत्तर में सुब्रह्मण्यन ने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो मुझे खेद है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं. अगर मैं आपको रविवार को काम करवा पाऊं तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को भी काम करता हूं.” पूरी खबर यहां – क्लिक करें. 

फ्रांस में काम के घंटे काफी कम, प्रोडक्टिविटी ज्यादाइस बहस के बीच प्रश्न यह उठता है कि क्या अधिक घंटे काम करना वास्तव में प्रोडक्टिविटी बढ़ाता है, या काम के घंटे और परिणामों के बीच कोई संबंध है? विकसित देशों जैसे कि फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड, वर्क वीक में काम के घंटे क्रमशः 36, 38 और 29 हैं, फिर भी उनकी प्रोडक्टिविटी काफी ज्यादा है.

दुनिया के विभिन्न देशों में एवरेज वीकली वर्क ऑवर में काफी भिन्नता है. कोलंबिया में काम करने वालो का एवरेज काम का समय 47.3 घंटे है, जबकि मैक्सिको में यह 46.7 घंटे है. भारत में, श्रमिक प्रति सप्ताह 48 घंटे काम करते हैं. दक्षिण कोरिया में यह संख्या 41.9 घंटे है, जबकि जर्मनी और स्पेन में औसत कार्य समय 40 घंटे है.

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