Last Updated:March 18, 2025, 11:03 ISTIndian Railways ICF Coaches News- रेलमंत्री ने राज्यसभा में बताया है कि सारे आईसीएफ कोचों को एलएचबी में बदला जा रहा है. लोगों के मन एक सवाल उठने लगा कि क्या आईसीएफ वंदेभारत का क्या होगा? आइए जानें -रेल मंत्री ने आईसीएफ कोच हटाने को लेकर राज्यसभा में दी जानकारी.हाइलाइट्सरेल मंत्री ने राज्यसभा में दी जानकारीवंदेभारत आईसीएफ में बनी है150 से अधिक सर्विस चल रही हैं वंदेभारत कीनई दिल्ली. मौजूदा समय आईसीएफ वंदेभारत एक्सप्रेस यात्रियों की पसंदीदा ट्रेन बनती जा रही है. यही वजह है कि भारतीय रेलवे का फोकस वंदेभारत ट्रेनों को अधिक से अधिक चलाने का है. मौजूदा समय करीब 150 सर्विस वंदेभारत की चल रही हैं. वहीं रेलमंत्री अश्विवनी वैष्णव ने राज्यसभा में बताया है कि सारे आईसीएफ कोचों को एलएचबी में बदला जा रहा है. लोगों के मन एक सवाल उठने लगा कि क्या वंदेभारत का क्या होगा? क्योंकि यह ट्रेन आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) में तैयार की जा रही है, इसी वजह से इंजन में आईसीएफ लिखा होता है. आइए जानें –
रेलमंत्री ने राज्यसभा में कहा है कि इस सरकार के तीसरे कार्यकाल में सभी आईसीएफ कोचों को एलएचबी में बदला दिया जाएगा. रेल मंत्रालय के अनुसार वंदेभारत एक्सप्रेस आईसीएफ में तैयार की जा रही है. इसके अलावा इसी फैक्ट्री में अन्य कोचों को भी तैयार किया गया है. जिनका रंग नीला होता है. रेल मंत्री के बयान के अनुसार इन नीलें रंग वाले कोचों को हटाया जाना है. इनके स्थान पर एलएचबी कोच लगाए जाएंगे.
दो तरह के हैं मौजूदा समय कोच
मौजूदा समय भारतीय रेलवे में दो तरह के कोच चल रहे हैं, आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) और एलएचबी (लिंक हॉफमेन बुश). आईसीएफ फैक्ट्री के नाम के साथ साथ तकनीक का भी नाम है जो पुरानी हो चुकी है जबकि एलएचबी नई तकनीक है. आईसीएफ के कोच नीले और एलएचबी के लाल रंग के ( राजधानी जैसे) होते हैं.
740 ट्रेन आईसीएफ तकनीक वाली
मौजूदा समय कुल 740 रेक ( ट्रेन) आईसीएफ तकनीक के दौड़ रहे हैं. रेलवे ने इस सभी कोचों को बदलने के लिए डेडलाइन तय कर दी है. इस तरह 2029 से पहले कोचों को बदलने की डेडलाइन तय कर दी गयी है.
ऐसे दूर से पहचाने आईसीएफ कोचों को
नीले रंग के कोच आईसीएफ हैं. इंटीग्रल कोच फैक्ट्री , चेन्नई में 1952 में शुरू हुई थी. आईसीएफ कोच स्टील के बने होते हैं, इस वजह से भारी होते हैं. इसके रखरखाव में भी ज़्यादा खर्चा होता है. इसमें इसमें यात्रियों की क्षमता कम होती है. स्पीलर में कुल सीट 72 और थर्ड एसी में 64 होती है. ये कोच एलएचबी कोच से 1.7 मीटर छोटे होते होते हैं. दुर्घटना के समय डिब्बे एक के ऊपर एक चढ़ जाते हैं. आईसीएफ कोचों को 18 महीनों में ओवरहाल की भी जरूरत होती है.
नई तकनीक है एलएचबी
लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच को बनाने की फैक्ट्री कपूरथला, पंजाब में स्थित है. ये तकनीक 2000 में जर्मनी से भारत लाई गई है. ये स्टेनलेस स्टील से बनाए जाते हैं, इस वजह से हल्के होते हैं. इनकी अधिकतम स्पीड 200 किमी. प्रति घंटे होती है. इसके रखरखाव में कम खर्चा होता है. इसमें बैठने की क्षमता ज़्यादा होती है. स्लीपर में 80, थर्ड एसी में 72. दुर्घटना के बाद इसके डिब्बे एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं . एलएचबी कोच को 24 महीनों में एक बार ओवरहाल की आवश्यकता होती है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 18, 2025, 11:03 ISThomenation…तो ICF वंदेभारत का क्या होगा, क्योंकि LHB में बदले जाएंगे सारे कोच
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