Last Updated:May 13, 2025, 11:40 ISTIndian Railways – इस संबंध में रेलवे मंत्रालय के एग्जक्यूटिव डायरेक्टर इनफार्मेशन एवं पब्लिसिटी दिलीप कुमार ने बताया कि बर्थ का हुक यात्री द्वारा ठीक से लॉक न करने की वजह से हादसा होने की संभावना लग रही है.रेलवे ने कहा, चेन ठीक से लॉक नहीं थी. एआई फोटोहाइलाइट्स लोवर बर्थ पर लेटी थी महिलाचेन खुलने से बर्थ िगरीरेलवे ने कहा,कोच फिट थानई दिल्ली. अगर आप ट्रेन से रात में सफर कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है. वरना यात्रा के दौरान आप परेशानी में पड़ सकते हैं. स्लीपर या थर्ड एसी में सोने से पहले बर्थ पर लगी चेन को ठीक से चेक कर लें. अगर ठीक से नहीं लगी तो खुलकर गिर सकती है और आपको चोट लग सकती है. तमिलनाडु में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला यात्री घायल हो गयी है. इस संबंध में रेलवे ने यात्रियों से अपील की है.
भारतीय रेल के अनुसार चेन्नई-पलक्कड़ एक्सप्रेस ट्रेन नंबर 22651 में महिला यात्री सुरिया मुरुगन लोअर बर्थ नंबर 1 पर सो रही थीं. रात करीब 1:15 बजे खाली मिडिल बर्थ अचानक गिर गयी. इससे महिला घायल हो गयी है. उसके सिर में गंभीर चोट लगी. यह हादसा जोलारपेट स्टेशन पार करने के बाद हुआ. उसके पति ज्योति जयशंकर ट्रेन में दूसरे कोच में सफर कर रहे थे. आसपास के यात्रियों ने पति को सूचना दी. उन्होंने टीटीई और रेलवे कर्मचारियों से मदद मांगी. लेकिन तुरंत फर्स्टएड नहीं मिला. पति के अनुवार टीटीई ने कहा कि अगले स्टेशन मोरप्पुर पर उतरकर मदद मिल पाएगी. लककिन रात में अनजान जगह पर उतरना मुश्किल था. पत्नी को लगातार खून बह रहा था. करीब डेढ़ घंटे बाद सलेम स्टेशन पहुंचने का इंतजार करना पड़ा.
सलेम में मिला प्राथमिक उपचार
सुबह 2.40 बजे सलेम स्टेशन पर एम्बुलेंस से पत्नी को प्राथमिक उपचार के लिए सरकारी अस्पताल ले जाया गया. हालांकि बाद में उन्हें ऑटोरिक्शा से निजी अस्पताल ले गए, जहां माथे पर टांके लगाए गए. पति ने कहा कि सफर के दौरान रेलवे से कोई मदद नहीं मिली. उनकी शिकायत थी कि ट्रेन में कोई भी फर्स्ट एड बॉक्स नहीं था, जिससे तत्काल उसे उपचार मिल सकता.
भारतीय रेलवे ने कहा, लाकिंग सिस्टम ठीक था
भारतीय रेलवे का कहना है कि लॉकिंग सिस्टम की जांच अगले स्टेशन डिंडीगुल जंक्शन पर की गई, वह ठीक था. जांच में यह बात सामने आयी कि मिडिल बर्थ की आखिरी ओवरहॉल मार्च 2025 में चेन्नई में हुई थी. इस संबंध में रेलवे मंत्रालय के एग्जक्यूटिव डायरेक्टर इनफार्मेशन एवं पब्लिसिटी दिलीप कुमार ने बताया कि बर्थ का हुक यात्री द्वारा ठीक से लॉक न करने की वजह से हादसा होने की संभावना लग रही है. कोच 19 साल पुराना है, लेकिन टेस्टिंग में चलाने के लिए फिट पाया गया था. रेलवे ने यह भी कहा कि मोरप्पुर में मेडिकल मदद की व्यवस्था की गई थी, लेकिन यात्री ने वहां उतरने से मना कर दिया. इस वजह से उपचार नहीं मिल पाया.
बदला जा रहा है पुराने कोचों को
भारतीय रेलवे आईसीएफ कोचों को एलएचबी में बदल रहा है. इसका काम शुरू हो चका है. दक्षिण मध्य ज़ोन में 154 पुराने आईसीएफ के कोच चल रहे हैं, जिन्हें आधुनिक एलएचबी कोच से बदला जा रह है. संभावना है कि जल्द ही इन्हें बदल दिया जाएगा.
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