Explainer: भारत चौथी बड़ी इकोनामी बना, क्या है इसका मतलब, इससे क्या फर्क पड़ेगा

spot_img

Must Read

करीब 140 करोड़ की आबादी वाला भारत दुनिया की चौथी बड़ी इकोनॉमी बन गया है. उसने जापान को चौथे से पांचवें नंबर खिसका दिया. अब दुनिया में शीर्ष इकोनामी वाले देशों में भारत से अमेरिका, चीन और जर्मनी हैं. पहले जापान चौथे नंबर पर था. कोई देश कैसे दुनिया की बड़ी इकोनॉमी वाले देशों में शामिल होता है. इसका मतलब क्या होता है, इसका रिश्ता देश के लोगों की समृद्धि से कितना होता है.

1. अमेरिका – दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी, GDP करीब 30.5 ट्रिलियन डॉलर2. चीन – दूसरे नंबर पर, GDP करीब 19.2 ट्रिलियन डॉलर3. जर्मनी – तीसरे स्थान पर, GDP करीब 4.7–4.9 ट्रिलियन डॉलर4. भारत – चौथे स्थान पर, GDP लगभग 4.2–4.4 ट्रिलियन डॉलर5. जापान – पांचवें स्थान पर, GDP करीब 4.18–4.27 ट्रिलियन डॉलर.

भारत की दुनिया की चौथी बड़ी इकोनॉमी बनने का मतलब क्या

जब हम कहते हैं कि भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी है, तो इसका मतलब है –– भारत का कुल वार्षिक GDP (Gross Domestic Product) अब दुनिया के चौथे नंबर पर है.– GDP यानी देश में साल भर में पैदा होने वाली सारी वस्तुओं और सेवाओं की कुल वैल्यू.

कैसे भारत चौथी बड़ी इकोनामी बना

– भारत की GDP लगातार तेज़ी से बढ़ी है, जिससे देश का आर्थिक आकार 4 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच गया.– IMF के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत की GDP अब 4.19 ट्रिलियन डॉलर हो चुकी है, जो जापान से अधिक है.– केंद्र सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) जैसी योजनाओं के जरिए निवेश और औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया.– Ease of Doing Business और टैक्स सुधारों से भी विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।– भारत का IT, सर्विस और टेक्नोलॉजी सेक्टर वैश्विक स्तर पर कंपटीटीव हुआ है, जिससे निर्यात और रोजगार दोनों में वृद्धि हुई.

भारत के आईटी और सर्विस सेक्टर ने दुनियाभर में अपनी धाक जमाई है (OXBIG NEWS NETWORK AI)

– भारत की बड़ी और युवा आबादी ने उपभोग, श्रम और उद्यमिता में अहम भूमिका निभाई.– वैश्विक सप्लाई चेन में बदलाव, चीन+1 रणनीति और जापान में आर्थिक सुस्ती जैसे अंतरराष्ट्रीय कारकों ने भी भारत के लिए अवसर बढ़ाए.– नीति आयोग के अनुसार, यह उपलब्धि देश की आर्थिक नीतियों, नागरिकों की सामूहिक मेहनत और निजी क्षेत्र के योगदान का परिणाम है।

दुनिया में शीर्ष इकोनॉमी वाले देशों में गरीबी कितनी

इसको एक खास तरीके से मापा जाता है. – इसका मानक गिनी कोएफिशिएंट होता है. इसे हिंदी में गिनी गुणांक भी कह सकते हैं. ये किसी देश या समाज में आय या संपत्ति के वितरण में असमानता को दिखाता है. इसे इटली के सांख्यिकीविद कोराडो गिनी ने 1912 में विकसित किया.गिनी कोएफिशिएंट का मान 0 से 1 (या 0% से 100%) के बीच होता है. 0 का अर्थ है – पूर्ण समानता, यानी सभी लोगों की आय या संपत्ति एक जैसी है. 1 का अर्थ है – पूर्ण असमानता, यानी सारी आय या संपत्ति केवल कुछ के पास है, बाकी के पास कुछ नहीं. इस हिसाब दुनिया की पांच शीर्ष इकोनॉमी वाले देशों की स्थिति

देश                   – गिनी कोएफिशिएंट          – असमानता का स्तरअमेरिका            0.41                                 ज़्यादाचीन                   0.47                                  बहुत ज़्यादाजापान               0.33                                  कमभारत                 0.47-0.50                         बहुत ज़्यादाजर्मनी                0.31                                   काफ़ी कम

मतलब -जर्मनी और जापान में गरीब और अमीर के बीच का फर्क कम है.– भारत और चीन में अमीरी-गरीबी का फासला बहुत ज़्यादा है।– अमेरिका भी आय असमानता काफी ज्यादा है.

बड़ी इकोनॉमी होने और समृद्ध देश होने में अंतर है (OXBIG NEWS NETWORK AI)

इकोनॉमी और समृद्धि में क्या अंतर है

बड़ी इकोनॉमी का मतलब देश में समृद्धि नहीं होती. जैसे भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. लेकिन देश के अंदर अब भी करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं. वहीं जर्मनी भारत से कहीं छोटी इकोनॉमी है, लेकिन हर नागरिक को मुफ्त हेल्थकेयर, अच्छी शिक्षा और बेसिक सुविधाएं मिलती हैं.

इकोनॉमी– देश की कुल आर्थिक ताकत, उत्पादन, GDP वगैरह का आंकड़ा.– सिर्फ़ अमीरों के पैसे से भी GDP बढ़ सकती है.– अमेरिका और भारत की GDP बहुत तेज़ी से बढ़ती है.– मतलब एक देश इकोनॉमी में ताकतवर हो सकता है, लेकिन समृद्धि में नहीं.

समृद्धि– लोगों की असली ज़िन्दगी की गुणवत्ता, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और खुशहाली.– GDP बड़ी होने के साथ, अगर आम आदमी का जीवन स्तर सुधरे तभी समृद्धि.– आय असमानता से गरीब तबका पीछे रह सकता है– स्कैंडेनेवियन देश (नॉर्वे, फिनलैंड) कम GDP के बावजूद समृद्ध माने जाते हैं.

दुनिया की शीर्ष पांच इकोनॉमी वाले देशों में गरीबी की स्थिति कैसी

भारत –2022-23 – भारत में अत्यंत गरीबी दर 2.3% थी, जो 2011-12 में 16.2% थी. इस अवधि में लगभग 171 मिलियन (17.1 करोड़) लोगों को अत्यंत गरीबी से बाहर निकाला गया.2024 – विश्व बैंक के अनुसार, लगभग 129 मिलियन (12.9 करोड़) भारतीय अब भी अत्यंत गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं.

अमेरिका – 2022 में 11.5% अमेरिकी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे थे, जो लगभग 37.9 मिलियन (3.7 करोड़) लोगों के बराबर है.

चीन – चीन ने पिछले तीन दशकों में 800 मिलियन से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. हालांकि 2024 में चीन की आबादी का 38.2% “संवेदनशील मध्य वर्ग” में आता है, जो आर्थिक असुरक्षा का संकेत देता है.

जापान – जापान में गरीबी दर अपेक्षाकृत कम है, लेकिन सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.जर्मनी – उपलब्ध आंकड़े: जर्मनी में गरीबी दर अपेक्षाकृत कम है, लेकिन सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैॆ.

अमेरिका और चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भी गरीबी एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दा है. जापान और जर्मनी में गरीबी दर अपेक्षाकृत कम है, लेकिन सटीक आंकड़ों की कमी है.

दुनिया की चौथी बड़ी इकोनॉमी बनने से भारत की इंटरनेशनल स्तर पर साख बढ़ेगी, इनवेस्टमेंट बढ़ेगा. (OXBIG NEWS NETWORK AI)

चौथी बड़ी इकोनॉमी बनने से क्या फर्क पड़ेगा

भारत की अंतरराष्ट्रीय बातचीत में साख बढ़ेगी– G20, BRICS, WTO, IMF जैसी संस्थाओं में बड़ा और निर्णायक रोल रहेगा– उधार या निवेश के लिए बेहतर दरें और भरोसा पैदा होगा– वैश्विक स्तर पर इंडिया की ब्रांड वैल्यू।

विदेशी निवेश में इजाफ़ा– विदेशी कंपनियां और निवेशक भारत को एक बड़े, उभरते बाज़ार के रूप में ज़्यादा तवज्जो देंगे.– उद्योग, टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप और मैन्युफैक्चरिंग में निवेश बढ़ेगा.

अर्थव्यवस्था में रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर– GDP बढ़ने के साथ सड़कों, हाइवे, रेलवे, एयरपोर्ट, मेट्रो, डिजिटल इंफ्रा जैसी परियोजनाओं में तेज़ी.– रोजगार के नए अवसर.

कर्ज़ और क्रेडिट रेटिंग में सुधार– GDP बड़ी होने से भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग बेहतर होगी.य– सस्ते ब्याज पर विदेशी लोन, ज्यादा निवेश के मौके।

क्या तब्दीली आएगी?

– मध्यम वर्ग की संख्या में तेज़ इजाफ़ा– गरीबी में कमी (अगर विकास समावेशी हुआ तो)– बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल सेवाएं– इंटरनेशनल डिप्लोमेसी में भारत का बड़ा रोल– मैन्युफैक्चरिंग, IT और स्टार्टअप सेक्टर का और विस्तार

मगर चुनौतियां भी– आय असमानता बढ़ने का खतरा– बड़े शहरों में अंधाधुंध विकास, छोटे शहर पीछे न रह जाएं– ग्रामीण-शहरी अंतर को पाटने की ज़रूरत– विकास का असली फायदा निचले तबके तक पहुँचना चाहिए.

stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news

English News

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -