आपने अजय देवगन की मूवी ‘रेड’ तो देखी ही होगी. 2018 में आई वह मूवी काफी चर्चा में रही थी. लेकिन क्या आप जानते हैं, वह मूवी एक सच्ची घटना पर आधारित थी. फिल्म को थोड़ा नाटकीय ढंग से पेश किया गया, लेकिन घटना पूरी तरह सत्य थी. इनकम टैक्स विभाग की वो रेड भारत की सबसे बड़ी रेड थी. उससे पहले किसी भी एक बिजनेसमैन पर वैसी रेड नहीं हुई थी. प्लान के हिसाब से यह रेड एक दिन में पूरी हो जानी चाहिए थी, लेकिन इसे पूरा होने में दो दिन और तीन रातें लगीं. इतना पैसा बरामद हुआ कि उसे गिनने में 18 घंटे का वक्त लगा. पैसा गिनने के लिए 45 लोगों की टीम लगी और उसमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारी तक शामिल रहे.सरदार इंदर सिंह का नाम था सेंटर में
यह रेड सरदार इंदर सिंह के ठिकानों पर हुई थी. तो आपको पहले यह बता दें कि इंदर सिंह थे कौन. सरदार इंदर सिंह कानपुर के एक मानी कारोबारी और पूर्व राज्यसभा सांसद थे. 1928 में इंदर सिंह ने कानपुर में सिंह इंजीनियरिंग वर्क्स की स्थापना की थी, जो भारत में पहला स्टील री-रोलिंग मिल था. इसके अलावा उन्होंने उत्तर भारत में सबसे बड़ा रेलवे वैगन कारखाना (सिंह वैगन फैक्ट्री) को स्थापित किया और भारतीय रेलवे के लिए टाई बार के सबसे बड़े सप्लायर बने. राजनीति की बात करें तो इंदर सिंह 1946 से 1951 तक पंजाब विधानसभा के सदस्य (MLA) रहे. बाद में उन्हें बतौर सांसद राज्यसभा भेजा गया.
16 जुलाई 1981 को सुबह 8 बजे इनकम टैक्स के 90 से अधिक ऑफिसर 200 पुलिसकर्मियों की टीम ने सरदार इंदर सिंह के आवास पर दबिश दी. उनका आवास कानपुर के स्वरूप नगर में था. इस रेड या ऑपरेशन की कमान अलक कुमार बटब्याल, तत्कालीन उप निदेशक (खुफिया) और कानपुर के आयकर आयुक्त शारदा प्रसाद पांडे के हाथों में थी.
यह रेड न केवल सरदार इंदर सिंह के ठिकानों पर थी, बल्कि उनके परिवार के अन्य लोगों के निवास स्थानों पर भी हुई. इनमें कानपुर के प्रमुख इलाकों जैसे तिलक नगर, लाजपत नगर, और आर्य नगर में इंदर सिंह की पत्नी, बेटों और दामादों के आवास शामिल थे.
क्या-क्या मिला था रेड में?
इस रेड में जो-जो मिला, उसकी चर्चा पूरे देश में हुई. बताया जाता है कि पहले ही दिन कानपुर में 92 लाख रुपये का कैश बरामद किया गया. 1981 में 92 लाख की कीमत आज के कई सौ करोड़ों में होगी.
इसके अलावा दिल्ली के लॉकरों से 72,000 रुपये की अतिरिक्त नकदी मिली. 1.10 लाख रुपये की एफडी की रसीदें मिली. यह पहले दिन का हिसाब-किताब था. चूंकि ये रेड 2 दिन और 3 रातों तक चली, इस पूरे समय में 1.6 करोड़ रुपये का कैश बरामद किया गया.
इस कैश के अवाला 250 तोला सोना मिला. इसमें 2 सोने की ईंटें भी शामिल थीं. लगभग 8 लाख रुपये की कीमत के गहने मिले और 144 गिनी (1.85 लाख रुपये की कीमत) बरामद की गईं.
इस रेड में कानपुर, दिल्ली, और मसूरी में विभिन्न नामों से संचालित 15 बैंक लॉकर खोले गए. कानपुर के दो लॉकरों से 6 सोने की ईंट मिलीं, जिनकी कुल कीमत लगभग 30 लाख रुपये थीं. हर ईंट का वजट 250 तोला था.
छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज बरामद हुए, जो सरदार इंदर सिंह और उनके परिवार की 16 महंगी संपत्तियों से संबंधित थे. इनमें कानपुर में 4, कन्नौज में 7, मुंबई में 2, और दिल्ली में 1 संपत्ति शामिल थी.
सरदार इंदर सिंह की पत्नी मोहिंदर कौर के आवास से 500 तोला सोने की 2 ईंटें और 144 सोने के सिक्के बरामद हुए, जिनका कुल वजन 6,977 ग्राम था. यह सबकुछ गोल्ड (कंट्रोल) एक्ट, 1968 के उल्लंघन के दायरे में आया.
क्यों की गई थी ये रेड?
बताया जाता है कि सरदार इंदर सिंह के परिवार में आंतरिक विवाद था. इसी विवाद के कारण आयकर विभाग को किसी ने गुप्त सूचना थी. इसी जानकारी के आधार पर छापेमारी की गई. यह बात ज्यादा चर्चा में रही. लेकिन इस रेड के पीछे एक राजनीतिक कारण भी चर्चा का विषय बना.
सरदार इंदर सिंह की पत्नी मोहिंदर कौर पूर्व केंद्रीय मंत्री जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम की साली थीं. कुछ लोग दावा करते हैं कि तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और जगजीवन राम के बीच किसी बात को लेकर तनाव था. इसी तनाव के कारण इंदिरा गांधी ने इस रेड को हरी झंडी दी.
आयकर विभाग को लंबे समय से संदेह था कि सरदार इंदर सिंह और उनके परिवार ने अपनी आय और संपत्ति को छिपाया है. उनकी बड़ी औद्योगिक गतिविधियों और प्रभावशाली स्थिति के बावजूद उनकी घोषित आय संदिग्ध थी. इसकी जानकारी वित्त मंत्रालय के माध्यम यह जानकारी इंदिरा गांधी तक पहुंची थी.
रेड के बाद क्या हुआ?
छापेमारी के बाद आयकर विभाग ने सरदार इंदर सिंह, उनकी पत्नी मोहिंदर कौर, चार बेटों, दो दामादों, और अन्य परिवार के सदस्यों के खिलाफ नोटिस जारी किए. सरदार इंदर सिंह की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा, हालांकि वह और उनका परिवार कानूनी रूप से इस मामले का सामना करता रहा. मोहिंदर कौर के खिलाफ गोल्ड (कंट्रोल) एक्ट, 1968 के उल्लंघन के लिए केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग ने कार्रवाई शुरू की.
13 अक्टूबर 1981 को आयकर अधिकारी, सेंट्रल सर्कल III, कानपुर ने आयकर अधिनियम की धारा 132(5) के तहत एक सारांशिक आकलन आदेश जारी किया, जिसमें सरदार इंदर सिंह के परिवार को 15 लाख रुपये से अधिक का कर भुगतान करने का आदेश दिया गया. फिल्म रेड में सरदार इंदर सिंह के करेक्टर को रमेश्वर सिंह (सौरभ शुक्ला) ने निभाया. अजय देवगन ने आयकर अधिकारी अमय पटनायक की भूमिका निभाई, जो अलक कुमार बटब्याल से प्रेरित थी.
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