BlackBerry Failure Story: 2008 में बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बने. जब वे इस पद पर पहुंचे, तब वे ब्लैकबेरी (BlackBerry) का फोन इस्तेमाल करते थे. राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने ब्लैकबेरी को इस्तेमाल करना जारी रखा. उन्होंने एक बार कहा था कि वे ब्लैकबेरी के बिना नहीं रह सकते. इस समय तक बिजनेस क्लास लोगों के लिए स्मार्टफोन का मतलब केवल और केवल ब्लैकबेरी होता था. लेकिन आज, जब हम 2025 में हैं, बहुत से लोग तो इस ब्रांड का नाम ही नहीं जानते. 2010 के आसपास पैदा हुए लोगों को तो पता भी नहीं होगा कि ब्लैकबेरी नाम की कोई कंपनी फोन भी बनाती रही होगी. लेकिन ये कैसे हुआ? कैसे ब्लैकबेरी लोगों को मन से उतर गया? एक समय का सबसे पॉपुलर फोन कहां खो गया? चलिए आपको विस्तार से बताते हैं.
ब्लैकबेरी फोन दरअसल पहला ऐसा फोन था, जिसे बिजनेस क्लास ने पसंद किया. उसका QWERTY कीबोर्ड, इनबिल्ट सिक्योरिटी और BBM (ब्लैकबेरी मैसेंजर) चैट उसे खास बनाती थी. BBM दरअसल एक इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस थी, जो खासतौर पर BlackBerry फोन यूज़र्स के लिए थी. बिलकुल वैसे ही, जैसे आज हम वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं. BBM को यूज करने के लिए एक PIN की जरूरत होती थी, जिससे यूज़र्स एक-दूसरे से कनेक्ट हो सकते थे. कनेक्ट होने के बाद टेक्स्ट मैसेज, इमेज, वॉयस नोट, स्टिकर्स और ग्रुप चैट भी की जा सकती थी. BBM का इस्तेमाल बहुत सेफ, सिक्योर और फास्ट मैसेजिंग के लिए होता था. तब तक एंड्रॉयड और आईफोन थे ही नहीं. न ही वॉट्सऐप था. इसलिए बिजनेस प्रोफेशनल इस मैसेंजिंग सर्विस का इस्तेमाल करते थे. हम कह सकते हैं कि बीबीएम इस इंडस्ट्री का फर्स्ट मूवर था.
ब्लैकबेरी : छोटे से आइडिया से बनी बड़ी कंपनी
1984 में कनाडा के दो इंजीनियरों माइक लैज़ारिडिट (Mike Lazaridis) और डगलस फ्रेजिन (Douglas Fregin) ने मिलकर रिसर्च इन मोशन (Research In Motion -RIM) नाम की कंपनी बनाई. शुरुआती दिनों में RIM ने वायरलेस डेटा ट्रांसमिशन और पेजिंग सिस्टम्स पर काम किया.
लेकिन असली क्रांति 1999 में आई, जब उन्होंने BlackBerry 850 पेश किया. यह एक छोटा-सा डिवाइस था, जो ईमेल भेजने और रिसीव करने की क्षमता रखता था. धीरे-धीरे RIM ने इसे मोबाइल फोन में बदल दिया और एक ऐसा डिवाइस दुनिया के सामने रखा, जिसे चलाना मतलब प्रोफेशनल हो जाना माना जाने लगा. अब ईमेल चेक करने के लिए लैपटॉप या कंप्यूटर खोलने की जरूरत नहीं थी.
ब्लैकबेरी ने 2000 के दशक की शुरुआत में ही बिजनेस वर्ल्ड पर अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी. ब्लैकबेरी फोन की खूबियों ने इसे बड़ी-बड़ी कंपनियों, बैंकिंग सेक्टर और यहां तक कि व्हाइट हाउस तक पहुंचा दिया. सीएनएन बिजनेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा एजेंसियां ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को ये फोन इस्तेमाल न करने की सलाह दी, लेकिन वे नहीं माने. उन्होंने यहां तक दिया कि वे ब्लैकबेरी के बिना रह नहीं सकते. ब्लैकबेरी अब सिर्फ एक फोन नहीं था, यह पावर बन चुका था.
कैसे हुई ब्लैकबेरी की गिरावट की शुरुआत
सबकुछ अच्छा चल रहा था, जब तक कि आईफोन की एंट्री नहीं हुई थी. 2007 में पहला आईफोन आया. उसमें फुल टचस्क्रीन थी, इंटरनेट ब्राउजिंग कर सकते थे, ऐप स्टोर से अलग-अलग ऐप्स डाउनलोड करके यूज कर सकते थे. फोन इस्तेमाल करने वाले लोगों आईफोन के कॉन्सेप्ट अच्छा लगा. लेकिन ब्लैकबेरी के कर्ता-धर्ताओं को यह मजाक लगा. लूजिंग द सिग्नल नाम की एक पुस्तक में छपा है कि ब्लैकबेरी के सीईओ जिम बैल्सिली और माइक लैज़ारिडिट ने कहा “यह एक खिलौना है.” उनका मानना था कि प्रोफेशनल यूजर टचस्क्रीन को नहीं अपनाएंगे. QWERTY कीबोर्ड हमेशा चलता रहेगा. बस! यही भ्रम ब्लैकबेरी को ले डूबा.
आईफोन का ऐप स्टोर आ चुका था. इसमें कई तरह के अलग-अलग ऐप्स थे. मोबाइल ऐप्स के जमाने में ब्लैकबेरी के पास कोई ऐप इकोसिस्टम नहीं था. यूजर एक्सपीरियंस की जगह कंपनी सिर्फ सिक्योरिटी और बिजनेस ईमेल तक सीमित रही. इसी बीच एंड्रॉयड ने भी एंट्री ले ली. फुल टचस्क्रीन का जलवा जोर पकड़ रहा था, जबकि ब्लैकबेरी ने इस बदलाव को नहीं देखा. वह अपनी आंखें मूंदकर बैठे रहे. 2010 तक आते-आते एंड्रॉयड और आईफोन ने बाजार को हिला दिया, जबकि ब्लैकबेरी पुराने सॉफ्टवेयर और पुराने डिजाइन में उलझी रही.
निवेशकों को भी समझ आ गया था कि ब्लैकबेरी का कोई भविष्य नहीं है. यही वजह थी कि इसका शेयर प्राइस 2011 में 140 डॉलर था, जो 2013 तक गिरकर 10 डॉलर प्रति शेयर से नीचे चला गया.
ब्लैकबेरी: देर आए, लेकिन दुरुस्त नहीं
जब तक ब्लैकबेरी वालों की आंखें खुली, तब तक काफी देर हो चुकी थी. 2013 में ब्लैकबेरी ने नया ऑपरेटिंग सिस्टम BlackBerry 10 और टच स्क्रीन फोन पेश किए. इस फोन की खासियत थी कि इसमें एंड्रॉयड ऐप्स भी चल सकती थीं. लेकिन ग्राहकों का मन बदल चुका था, और डेवलपर्स का भी. ऐप डेवलपर्स अब एंड्रॉयड और iOS के लिए ऐप बनाते थे, ब्लैकबेरी के लिए नहीं. यूजर्स ने न तो फिर ब्लैकबेरी के नए ऑपरेटिंग सिस्टम को भाव दिया और न ही टचस्क्रीन फोन को. 2-3 साल जूझने के बाद 2016 में कंपनी ने आधिकारिक रूप से हार मान ली. घोषणा कर दी कि वह अब मोबाइल फोन नहीं बनाएगी.
अब क्या करती है ब्लैकबेरी?
फोन बाजार से बोरिया-बिस्तर समेटने के बाद ब्लैकबेरी ने खुद को नया रूप दिया. अब यह कंपनी एक साइबर सिक्योरिटी और ऑटोमोटिव सॉफ्टवेयर कंपनी है. वह अब कार कंपनियों को सॉफ्टवेयर बेचती है. सरकारी एजेंसियों को डेटा सिक्योरिटी सर्विस मुहैया कराती है. एक गलतफहमी, लापरवाही, और टेक्नोलॉजी के बदलाव को समय पर न अपनाने की गलती ने ब्लैकबेरी के फोन को इतिहास के पन्नों में दफन कर दिया.
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News