Agency:News18HindiLast Updated:February 17, 2025, 23:20 IST30 साल लंबे करियर और टॉप पद पर रहने के बावजूद आज तक पारेख के पास एचडीएफसी में 1 फीसदी से ज्यादा की कभी हिस्सेदारी नहीं रही.1978 में दीपक पारेक की सैलरी 3500 रुपये थी.नई दिल्ली. एचडीएफसी के पूर्व चेयरमैन पारेख वह शख्स हैं जिन्होंने कंपनी को जीरो से शिखर तक पहुंचाया है. पारेख ने 30 जून, 2023 को रिटायरमेंट की घोषणा की थी. 1 जुलाई, 2023 से एचडीएफसी बैंक में एचडीएफसी फाइनेंस का विलय हो गया. कई लोग सोचते होंगे कि दीपक पारेख के पास एचडीएफसी में बड़ी हिस्सेदारी होगी, लेकिन वे हैरान रह जाते हैं जब उन्हें पता चलता है कि उनके पास एचडीएफसी में 1 फीसदी से भी कम हिस्सा है.
30 साल लंबे करियर और टॉप पद पर रहने के बावजूद पारेख के पास एचडीएफसी में 1 फीसदी से ज्यादा की कभी हिस्सेदारी नहीं रही. आप पूछ सकते हैं क्यों? इसका कारण यह है कि वह हमेशा से एचडीएफसी के कर्मचारी रहे हैं. डिप्टी जनरल मैनेजर से लेकर चेयरमैन तक, जो हिस्सा उन्हें मिला वह कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन के परिणामस्वरूप मिला.
पारेख के चाचा के पास थी 0.4 फीसदी हिस्सेदारीब्लूमबर्ग के एक इंटरव्यू के मुताबिक, एचडीएफसी की शुरुआत करने वाले पारेख या उनके चाचा के पास कोई हिस्सा नहीं था क्योंकि उनके पास इसे खरीदने के लिए पैसे नहीं थे और न ही उनकी ऐसी कोई मंशा थी. किराए के घर में रहने वाले पारेख के चाचा के पास एचडीएफसी में कोई इक्विटी नहीं थी. पारेख ने ब्लूमबर्ग को बताया कि एचडीएफसी में उनका हिस्सा केवल 0.4 फीसदी था.
‘जो है वह काफी है’अपनी प्रोफेशनल सफर में कभी भी दीपक पारेख ने नहीं चाहा कि उनके पास बड़ी स्वामित्व हिस्सेदारी हो. पारेख ने एक बार बताया था, “आप इस पैसे से क्या करने जा रहे हैं, और चीजें हासिल करेंगे? आप दिन में 2 बार भोजन करते हैं, जब आपका जाने का समय आ जाए, तो आप चले जाएं. जो है वह काफी है.
कितनी थी एचडीएफसी सैलरीजब दीपक पारेख ने 1978 में कंपनी जॉइन की तब उन्हें 3500 रुपये बेसिक सैलरी, 500 रुपये डीए, 15 फीसदी एचआरए और 10 सिटी कॉम्पेन्सेंट्री अलाउंट मिलता था. इसके अलावा उन्हें कंपनी की ओर से मेडिकल बेनेफिट, लीव ट्रैवल फैसिलिटी, पीएफ और ग्रेच्युटी भी मिलती थी. पारेख की अंतिम सैलरी 2,47,00,000 रुपये थी.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :February 17, 2025, 23:20 ISThomebusinessHDFC में फाउंडर दीपक पारेख की कभी नहीं रही 1% से ज्यादा हिस्सेदारी, जानिए वजह
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