आजमगढ़: डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने एवं उसमें किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से नंदिनी कृषक समृद्धि योजना चलाई जा रही है. इस योजना से जहां प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़ेगा . वहीं गौवंश में भी सुधार होगा. सरकार प्रदेश के किसानों और पशुपालकों को डेयरी खोलने के लिए के लिए प्रोत्साहित कर रही है. जिससे दूध उत्पादन के साथ-साथ रोजगार एवं आय में भी वृद्धि हो सके. सरकार के द्वारा किसानों को दूध बिक्री के लिए संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके साथ ही दूध बिक्री की भी व्यवस्था की जाएगी.
किसानों को आत्मनिर्भर बनाने काप्रयास
नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत किसानों को सरकार के द्वारा 25 उन्नत नस्ल की गाय दी जा रही हैं. जिनके साथ में डेयरी का काम शुरू कर सकते हैं. डेयरी शुरू करने के लिए लागत का 50 फ़ीसदी सरकार की तरफ से अनुदान दिया जाएगा. इस योजना में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. किसानों को उनके गांव में सरकारी समिति के माध्यम से दूध बेचने की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाएगी. इस योजना के तहत सभी किसानों का डेटाबेस भी तैयार किया जाएगा. जिसका उद्देश्य किसानों को भविष्य में सभी योजनाओं के लाभ के लिए सरकार के पास पर्याप्त डाटा के तौर पर उपयोग किया जाएगा.
दुधारू पशुओं की बढ़ोतरी का है लक्ष्य
प्रदेश में दूध देने वाली दुधारू पशुओं की बढ़ोतरी के लिए उन्नत नस्ल के अधिक से अधिक दुधारू गायों की यूनिट की स्थापना के लिए नंदिनी कृषक समृद्धि योजना की शुरुआत की गई है. इसके तहत दुधारू गायों में साहीवाल गिर थारपारकर एवं गंगातीरी प्रजाति की गायों को ही शामिल किया गया है. योगी सरकार ने योजना के तहत 25 दुधारू गायों की एक यूनिट स्थापित करने के लिए 62 लाख 50 हजार रुपए की धनराशि तय की है. इसमें सरकार की तरफ से लाभार्थी को कुल खर्च पर 50 फ़ीसदी अनुदान भी दिया जाएगा.
ऐसे मिलेगी सब्सिडी
सरकार की तरफ से लाभार्थी को इस योजना का लाभ तीन चरणों में दिया जाएगा. पहले चरण में इकाई के निर्माण पर परियोजना लागत का 25 फ़ीसदी अनुदान दिया जाएगा. वहीं दूसरे चरण में 25 दुधारू गायों की खरीद उनके तीन वर्ष के बीमा और आयात पर परियोजना लागत का 12.5 फ़ीसदी अनुदान दिया जाएगा. जबकि तीसरे चरण में परियोजना लागत की शेष 12.5 प्रतिशत की राशि अनुदान लाभार्थी को प्राप्त होगा.
यह पात्रता है जरूरी
इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी के पास कम से कम 3 वर्षों का गौपालन का अनुभव होना अनिवार्य है. इसके साथ ही यूनिट की स्थापना के लिए 0.5 एकड़ भूमि भी जरूरी है. साथ ही लाभार्थी के पास लगभग 1.5 एकड़ भूमि हरिथाचार्य के लिए होनी ही चाहिए. यह भूमि उसकी खुद की हो सकती है या फिर उसे न्यूनतम 7 वर्षों के लिए लीज पर भी लिया जा सकता है.
ऐसे करें आवेदन
योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए आवेदक सीडीओ कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा आधिकारिक वेबसाइट animalhusb.up.nic.in पर उपलब्ध फॉर्म भरकर निर्धारित अवधि में रजिस्टर्ड डाक से अथवा सीधे मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी कार्यालय विकास भवन में जमा कर सकते हैं.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : December 6, 2024, 11:37 IST
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