ट्रैफिक जाम से मिलेगा छुटकारा! डीएनडी के बाद दिल्‍ली में बनेगी दूसरी टोल रोड

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दिल्लीवालों के लिए एक जरूरी खबर आ गई है. डीएनडी के बाद दिल्‍ली में बनेगी दूसरी टोल रोड बनाने की तैयारी में है. दिल्ली में रिंग रोड के ऊपर प्रस्तावित एलिवेटेड कॉरिडोर अब टोल वाला हो सकता है. यानी इस रास्ते पर चलने वालों को जल्द ही टैक्स देना पड़ सकता है. इससे प्रोजेक्ट की लागत वसूली जा सकेगी और बाद में इसके रखरखाव के लिए भी फंड जुटाया जा सकेगा.

दिल्ली सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार, हाल ही में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) की एक बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि इस प्रोजेक्ट के लिए एक कंसल्टेंट की नियुक्ति की जाए, डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की जाए और टोल टैक्स मॉडल पर काम शुरू किया जाए. 

‘ड्यूल सिस्टम’ होगा लागू 

PWD के एक सीनियर अधिकारी ने जानकारी दी है कि सरकार अब इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को प्रभावी तरीके से लागू करना चाहती है. इसके लिए ‘ड्यूल सिस्टम’ लागू करने की योजना है, जिसमें लोग अपने हिसाब से ऑप्शन चुन सकेंगे या तो पुराने रास्तों से मुफ्त में जाएं या फिर नई प्रीमियम एलिवेटेड सड़क का इस्तेमाल करें और उसके बदले टोल टैक्स चुकाएं.

उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे आश्रम से नोएडा को जोड़ने वाला DND फ्लाईवे है, जिस पर लोग टोल देकर सफर करते हैं, वहीं अन्य लोग ऑप्शन के तौर पर दूसरी सड़कों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसी तर्ज पर दिल्ली में भी एलिवेटेड कॉरिडोर तैयार करने किया जा सकता है ताकि ट्रैफिक भी कम हो और सुविधा भी बढ़े. यह मॉडल न सिर्फ सरकार की लागत वसूली में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में ऐसी और सुविधाओं के लिए रास्ता भी खोलेगा.

एलिविटेड रोड बनाने में आएगा इतना खर्च

दिल्ली में रिंग रोड पर बनने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर की लागत काफी ज्यादा होने वाली है. 1 किलोमीटर एलिवेटेड रोड बनाने में लगभग 100 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है. दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि इस पूरे प्रोजेक्ट को बनाने में करीब 5,500 से 6,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.

कनेक्टिविटी होगी बेहतर 

अब बात करें रिंग रोड की लंबाई की, तो इनर रिंग रोड करीब 55 किलोमीटर लंबी है. लेकिन जो एलिवेटेड कॉरिडोर बनने जा रहा है, उसकी लंबाई लगभग 80 किलोमीटर के आसपास होगी. इसकी वजह ये है कि इसमें सिर्फ सीधी सड़क ही नहीं बनेगी, बल्कि बेहतर कनेक्टिविटी के लिए अलग-अलग जगहों पर रैंप, लूप और लिंक रोड्स भी बनाए जाएंगे ताकि जाम की समस्या कम हो सके और शहर के अलग-अलग हिस्सों से जुड़ाव बेहतर किया जा सके.

सरकार का मानना है कि अगर ये प्रोजेक्ट समय पर और सही तरीके से पूरा होता है तो दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव काफी हद तक कम किया जा सकता है. साथ ही, यह एलिवेटेड रोड राजधानी में सफर को ज्यादा आसान और तेज बनाएगी. ऐसे में टोल वसूलने का विचार इसी कारण सामने आया है, ताकि इस बड़ी लागत की भरपाई की जा सके और सड़क का रखरखाव भी भविष्य में सही तरीके से किया जा सके.

रिंग रोड में जाम से मिलेगी राहत

दिल्ली में रिंग रोड की भीड़ और जाम की समस्या को हल करने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. दिल्ली के लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री परवेश वर्मा ने सोमवार को बताया कि एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को लेकर तेजी से काम शुरू किया गया है. इसके लिए एक सलाहकार (कंसल्टेंट) नियुक्त करने का प्रोसेस जल्द पूरा किया जाएगा, इस प्रोजेक्ट की तकनीकी से जुड़ी रिपोर्ट को भी तैयार किया जाएगा.

यह एलिवेटेड कॉरिडोर योजना दिल्ली सरकार की उस बड़ी रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद रिंग रोड पर मौजूद ट्रैफिक के चोक पॉइंट्स को दूर करना है. उत्तर दिल्ली के शालीमार बाग से शुरू होकर आज़ादपुर तक फैली इनर रिंग रोड एक समय में राजधानी की प्रमुख सड़क हुआ करती थी, जिसका मकसद शहर के बीच से गुजरने वाले ट्रैफिक को दूसरे रास्तों से निकालना था। लेकिन अब यही सड़क हर दिन जाम में फंसी दिखती है.

इन जगहों पर लगता है सबसे ज्यादा जाम

पुरानी योजना के अनुसार, रिंग रोड को 1950 के दशक में एक बायपास की तरह बनाया गया था, जब दिल्ली की आबादी सिर्फ 30 लाख के आसपास थी. आज दिल्ली-एनसीआर की जनसंख्या 3 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है, लेकिन रिंग रोड का विस्तार इस बढ़ते दबाव के मुकाबले नहीं हुआ. जो सड़क पहले सिर्फ गुजरने वाले वाहनों के लिए थी, अब वही सड़क दिल्ली के भीतरी इलाकों की अहम लाइफलाइन बन चुकी है.

अब हालात ये हैं कि रिंग रोड पंजाबी बाग, साउथ एक्सटेंशन, लाजपत नगर, आश्रम जैसे घनी आबादी वाले इलाकों से होकर गुजरती है. इन जगहों पर स्कूल, अस्पताल, बाजार और दफ्तर हैं, जिनकी वजह से लोकल ट्रैफिक और रुकावटें लगातार बनी रहती हैं. AIIMS, मोलचंद, ढौला कुआं, आईटीओ और आश्रम जैसे चौराहे अब ट्रैफिक जाम के बड़े कारण बन चुके हैं. कुछ जगहों पर फ्लाईओवर और अंडरपास जरूर बने हैं, लेकिन ये जाम को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का ही काम करते हैं, पूरी तरह समाधान नहीं देते. 2024 में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस द्वारा किए गए एक सर्वे में बताया गया कि राजधानी के 134 ट्रैफिक हॉटस्पॉट्स में से कम से कम 12 रिंग रोड और आउटर रिंग रोड पर हैं.

इसी वजह से दिल्ली सरकार अब एक नए तरीके से सोच रही है, जिसमें एलिवेटेड रोड बनाकर एक प्रीमियम कॉरिडोर तैयार किया जाएगा. इस पर सफर करने वालों को टोल देना होगा, लेकिन वे जाम से बच सकेंगे. जो लोग टोल नहीं देना चाहते, वे नीचे की मौजूदा सड़कों का इस्तेमाल करते रहेंगे. सरकार को उम्मीद है कि इससे न सिर्फ रिंग रोड का दबाव कम होगा, बल्कि पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर होगी.

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