नई दिल्ली. नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) का सड़क हादसों में हताहतों की संख्या कम करने के लिए बांस का प्रयोग करेगा. इनका इस्तेमाल क्रैश बैरियर में किया जाएगा. एनएचएआई पिछले दिनों इसका ट्रायल भी कर चुकी है, जो सफल रहा है. इसके साथ ही, एनएचएआई ने निर्माणाधीन हाईवे पर इसे लगाने का फैसला लिया है.
एक्सप्रेसवे और हाईवे पर सड़क हादसों को रोकने के लिए दोनों स्टील के क्रैश बैरियर लगे होते हैं, जिससे अगर कोई वाहन असंतुलित होकर किनारे की ओर जाता है तो इन बैरियर की वजह से नीचे की ओर नहीं गिरता है और इनके सहारे आगे की ओर चला जाता है, इस दौरान अगर चालक ने वाहन को संभल लिया तो हादसा बच जाता है. लेकिन ये बैरियर स्टील के होते हैं तो टकराने पर झटका तेज लगता है.
बांस के क्रैश बैरियर से फायदा
एनएचएआई ने स्टील के बजाए बांस क्रैश बैरियर का निर्माण शुरू किया है. ये उसी तरह से हाईवे के किनारे लगाए जाते हैं, जैसे स्टील के लगाए जाते हैं. चूंकि ये बांस के होते हैं कि इसलिए वाहन के टकराने के बाद स्टील के मुकाबले कम झटके लगने की संभावना कम रहती है. झटके कम होने की वजह से जानमाल के नुकसान होने की आशंका भी कम रहती है.
10 किमी. हाईवे पर लगाए जा चुके हैं
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देश में सबसे पहला बांस क्रैश बैरियर वाणी-वरोरा लगाया गया है. इसका ट्रायल सफल रहा है. इसके बाद देश के विभिन्न हाईवे पर करीब 10 किमी.लंबे भाग पर में बांस क्रैश बैरियर लगाए जा चुके हैं. अब फैसला लिया गया है कि निर्माणाधीन अन्य हाईवे इस बैरियर को लगाया जाएगा.
राजस्व का भी होगा फायदा
बांस बैरियर का रीसाइक्लिंग मूल्य 50-70 प्रतिशत है, जबकि स्टील बैरियर का 30-50 प्रतिशत है. इस तरह इसके इस्तेमाल से एनएचएआई को राजस्व में भी लाभ होगा. इस बांस की प्रजाति बंबूसा बालकोआ का इस्तेमाल किया जाता है, जो काफी मजबूत होता है. इस तरह के क्रैश बैरियर स्टील का एक सही विकल्प बन सकते हैं.
Tags: Highway toll, Road and Transport MinistryFIRST PUBLISHED : December 20, 2024, 11:28 IST
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