पाकिस्तान में डोनाल्ड ट्रंप का ‘हाफिज’, 2 बार शाहबाज से मिला, फूंक रहा अरबों डॉलर

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नई दिल्ली. हाफिज शब्द का उर्दू भाषा में बहुत इस्तेमाल किया जाता है. आपने गानों में भी इसका जिक्र सुना होगा. हाफिज का मतलब आमतौर पर रक्षक या साथ देने वाला माना जाता है. अब जब आप इस शब्द का अर्थ समझ गए हैं तो हम आपको बताते हैं कि पाकिस्तान में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक हाफिज है. इस शख्स का नाम गैंट्री थॉमस बीच (Gentry Thomas Beach) है. अमेरिकी हेज फंड मैनेजर और निवेशक Gentry Thomas Beach पाकिस्तान में बड़े आर्थिक बदलाव की पटकथा लिखने निकले हैं. अमेरिका के टेक्सस में पले-बढ़े बीच ने डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के साथ मिलकर कई बिजनेस वेंचर किए हैं और खुद को ट्रंप परिवार का “बहुत पुराना दोस्त और सहयोगी” कहते हैं. 2025 में उन्होंने पाकिस्तान की यात्राएं की हैं. उनकी पाकिस्तान यात्राएं अचानक नहीं थीं. इसके पीछे एक सुनियोजित रणनीति है जिसमें रियल एस्टेट, गोल्ड माइनिंग, एनर्जी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में निवेश का ऐलान शामिल है.

बीच की यह कोशिश सिर्फ आर्थिक पहल नहीं है, बल्कि एक तरह से अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों को “बिज़नेस ब्रिज” के ज़रिए फिर से परिभाषित करने का प्रयास है. उन्होंने खुद कहा कि “हम पाकिस्तान को दक्षिण एशिया में अमेरिका का सबसे बड़ी आर्थिक भागीदार बनाना चाहते हैं.” उन्होंने इस्लामाबाद और कराची को “future global investment hubs” बताया और दावा किया कि ट्रंप फिर सत्ता में आए, तो पाकिस्तान उनके एजेंडे का हिस्सा होगा.

White Bridge Group: नई पहचान, बड़ा एजेंडा

Beach ने पाकिस्तान में White Bridge नाम से कई सब्सिडियरी कंपनियों की घोषणा की है.

White Bridge Real Estate: इस्लामाबाद, कराची और लाहौर में लग्ज़री कमर्शियल व रेसिडेंशियल प्रोजेक्ट्स की योजना. दुनिया के बड़े ब्रांड्स को इन प्रॉपर्टीज में लाया जाएगा.

White Bridge Mining: Apex Energy के साथ समझौता, खासतौर पर रेयर मिनरल्स और प्लेसर गोल्ड की खोज के लिए. इस प्रोजेक्ट को अमेरिका के Trusted Partner Program से जोड़कर दिखाया जा रहा है.

White Bridge Technologies: भविष्य में एआई, साइबर सिक्योरिटी और ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. Beach ने संकेत दिए हैं कि पाकिस्तान को “Silicon Valley of South Asia” बनाया जा सकता है.

राजनीतिक रिश्ता या निवेश?

Gentry Beach का ट्रंप परिवार से रिश्ता नया नहीं है. 2016 के चुनाव में वे ट्रंप के फाइनेंशियल सपोर्टर रहे और कई PACs में उनका नाम जुड़ा रहा. पाकिस्तान में यह सवाल उठ रहा है कि Beach का असली एजेंडा क्या है, निवेश या ट्रंप की अगली चुनावी तैयारी का सॉफ्ट पावर अभियान? कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस निवेश योजना में “political signaling” भी छुपा है. अगर ट्रंप फिर राष्ट्रपति बने, तो यह प्रोजेक्ट्स “American Strategic Influence” के रूप में सामने आ सकते हैं.

शहबाज शरीफ से मुलाकातें और सरकारी सहयोग

Beach ने जनवरी और फरवरी 2025 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से दो बार मुलाकात की. उनके साथ हुई बैठकों में उन्होंने प्रधानमंत्री को “visionary leader” कहा और भरोसा दिया कि वे पाकिस्तान को एशिया में एक निवेश हब बना सकते हैं. प्रधानमंत्री ऑफिस की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ में बताया गया कि Beach के प्रस्तावों को “welcome” किया गया है और पाकिस्तान Investment Board को इन पर तेज़ी से काम करने का निर्देश दिया गया है.

जोखिम और सवाल

हालांकि निवेश की बातें उत्साहित करती हैं, लेकिन पाकिस्तान में विदेशी निवेश के अतीत को देखते हुए कुछ सवाल उठते हैं: क्या ये डील्स सिर्फ घोषणाओं तक सीमित रहेंगी? क्या Beach और ट्रंप के संबंध इस डील को राजनीतिक रंग देंगे? क्या पाकिस्तान की बुनियादी ढांचे की स्थिति इतनी सक्षम है कि अरबों डॉलर का निवेश वास्तविकता बन सके?

Gentry Beach का पाकिस्तान में उभरता हुआ प्रभाव सिर्फ एक निवेशक की कहानी नहीं है — यह एक संभावित भू-राजनीतिक कथा भी बन सकती है जिसमें अमेरिका, ट्रंप, और दक्षिण एशिया के बदले समीकरण शामिल हैं. पाकिस्तान को इस समय पूंजी, तकनीक और स्थायित्व की सख्त ज़रूरत है, और ऐसे में Beach की योजनाएं उम्मीद तो देती हैं, लेकिन इन पर अमल और पारदर्शिता ही इन्हें सफल बनाएगी.

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