अमेरिका को ले बैठेगी ट्रंप नीति! 3 साल बाद ऐसी स्थिति में पहुंचा शेयर बाजार कि भाग खड़े हुए निवेशक

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अमेरिका को ले बैठेगी ट्रंप नीति! 3 साल बाद ऐसी स्थिति में पहुंचा शेयर बाजार कि भाग खड़े हुए निवेशक

अमेरिकी शेयर बाजार ने 2022 के बाद से सबसे खराब तिमाही प्रदर्शन दर्ज किया है, जिससे ग्लोबल स्तर पर निवेशकों में चिंता व्याप्त है. विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर बढ़ती अनिश्चितता और इकॉनमिक इंडिकेटर्स में गिरावट ने मंदी की आशंका को बढ़ा दिया है.

ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की है कि वह 2 अप्रैल को विभिन्न देशों पर 20 फीसदी तक आयात शुल्क लगाएगा. व्हाइट हाउस का दावा है कि इससे सालाना 600 अरब डॉलर (लगभग 50 लाख करोड़ रुपये) की अतिरिक्त आय होगी. इसके अलावा, 1977 के एक कानून का उपयोग करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति को सभी आयातित वस्तुओं पर 20 फीसदी टैरिफ लगाने का अधिकार दिया गया है. पहले ही, आयात होने वाले वाहनों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने वाला एक आदेश जारी किया जा चुका है.

टेक शेयरों में भारी गिरावट, निवेशकों में दहशतट्रंप सरकार की नीतियों का सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ा है. प्रमुख टेक कंपनियों को ट्रैक करने वाला नैस्डैक इंडेक्स इस साल अब तक 10.4 फीसदी गिर चुका है. एसएंडपी 500 में 4.6 फीसदी और डॉव जोन्स में 1 फीसदी की गिरावट आई है. अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियां जैसे कि माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, अमेज़न, एल्फाबेट, ऐपल, एनवीडिया और टेस्ला में से पांच कंपनियों के शेयर 10% से अधिक गिरे, जिससे पूरे बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा. इन कंपनियों को “मैग्निफिसेंट सेवन” कहा जाता है.

ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी मुश्किलें बढ़ रही हैं. फोर्ड को छोड़कर, जनरल मोटर्स (GM) और स्टेलांटिस जैसी कंपनियों के शेयर क्रमशः 12 फीसदी और 14 फीसदी गिरे. टेस्ला के शेयर 36 फीसदी नीचे आ गए. माना जा रहा है कि टेस्ला सीईओ एलन मस्क के फैसलों से कस्टमर खुश नहीं हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मूताबिक, वेडबश सिक्योरिटीज के विश्लेषक डैन आइव्स ने बताया कि टैरिफ की वजह से कारों की कीमत 5,000 से 10,000 डॉलर (4.15 से 8.30 लाख रुपये) तक बढ़ सकती है.

कस्टमर का भरोसा डगमगाया, खर्च में कमीसरकार के फैसलों से आम लोगों का भी विश्वास कम हो रहा है. जनवरी में उपभोक्ता खर्च 0.6 फीसदी घटा, जबकि फरवरी में मात्र 0.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. उपभोक्ता विश्वास सूचकांक 2022 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. इसका असर जूते, कपड़े और लग्जरी सामान बेचने वाली कंपनियों पर पड़ा है, जिनके शेयर मार्च में 20 फीसदी तक गिरे.

निवेशक अमेरिका छोड़ कहां लगा रहे पैसा?इस उथल-पुथल के बीच, निवेशक अमेरिकी शेयर बाजार से पैसा निकालकर सोने और यूरोपीय बाजारों में लगा रहे हैं. बैंक ऑफ अमेरिका के सर्वे के मुताबिक, अमेरिकी शेयरों में निवेश कम करने वालों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. इस बीच, सोने की कीमतों में इस साल 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 3,160 डॉलर प्रति औंस (लगभग 2.62 लाख रुपये) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया.

यूरोपीय बाजार भी निवेशकों के लिए आकर्षक विकल्प बन रहे हैं. STOXX यूरोप 600 इंडेक्स ने एसएंडपी 500 को 9.8 फीसदी के अंतर से पीछे छोड़ दिया, जो 2015 के बाद सबसे बड़ा अंतर है. जर्मनी की राइनमेटल और फ्रांस की थेल्स जैसी डिफेंस कंपनियों के शेयर क्रमशः दोगुने और 77 फीसदी से अधिक चढ़े. यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच यूरोपीय देश अपनी सिक्योरिटी क्षमता बढ़ाने में जुटे हैं. अमेरिका हालांकि इस युद्ध को रुकवाने की दिशा में काम कर रहा है.

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