Last Updated:March 17, 2025, 14:59 ISTअमेरिकी मंदी और टैरिफ नीतियों के कारण भारतीय आईटी इंडस्ट्री को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. अमेरिकी कंपनियों द्वारा तकनीकी खर्चों में कटौती की वजह से भारतीय इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान होने का अनुमान है. य…और पढ़ेंहाइलाइट्स* अमेरिकी मंदी से भारतीय आईटी इंडस्ट्री को नुकसान की आशंका.* अमेरिकी कंपनियों द्वारा टेक खर्च में कटौती से भारतीय आईटी प्रभावित.* भारतीय आईटी कंपनियों की कमाई का 50% से अधिक हिस्सा अमेरिकी बाजार से.भारत का आउटसोर्सिंग उद्योग करीब 280 अरब डॉलर (लगभग 23 लाख करोड़ रुपये) का है और यह देश के निर्यात का एक बड़ा हिस्सा यहीं से जेनरेट होता है. लेकिन अमेरिका में संभावित मंदी और विदेशी उत्पादों व सेवाओं पर टैरिफ नीतियों के कारण इसकी ग्रोथ को लेकर चिंता बढ़ रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी कंपनियां अपने टेक्नोलॉजी संबंधी खर्चों में कटौती कर सकती हैं, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों का मुनाफा प्रभावित हो सकता है. चूंकि भारतीय आईटी कंपनियों की कमाई का 50% से अधिक हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है, इसलिए यह स्थिति पूरी इंडस्ट्री के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है.
आउटसोर्सिंग एक्सपर्ट और EIIRTrend के सीईओ परीख जैन का कहना है कि मौजूदा अनिश्चित माहौल में लंबी अवधि की योजनाएं बनाना मुश्किल होगा. भारतीय आईटी कंपनियों को उम्मीद थी कि अमेरिकी कंपनियां जल्द ही अपने टेक्नोलॉजी पर होने वाले खर्च को बढ़ाएंगी, लेकिन यह प्रक्रिया और धीमी हो सकती है. हालांकि, अगर अर्थव्यवस्था स्थिर होती है और ब्याज दरों में कटौती होती है, तो निवेशकों का भरोसा बढ़ सकता है और खर्चों में तेजी आ सकती है.
किन वजहों से बढ़ रही अस्थिरतावैश्विक आर्थिक स्थितियों, अमेरिकी नीतियों और भू-राजनीतिक घटनाओं ने आईटी सेक्टर में अस्थिरता बढ़ा दी है. चूंकि यह क्षेत्र ग्राहकों के टेक्नोलॉजी पर खर्च पर निर्भर करता है, ऐसे में अगर ये खर्च टाल दिए जाते हैं, तो आईटी कंपनियों की कमाई घट सकती है.
इकॉनमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंक्रेड इक्विटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह स्थिति आईटी खर्चों के पैटर्न को बदल सकती है. हालांकि, रुपये का अवमूल्यन और बड़ी डील्स जैसे कुछ सकारात्मक पहलू हैं, लेकिन वे इस चुनौती को पूरी तरह हल नहीं कर सकते.
अमेरिका में लोकलाइजेशन पर फोकसL&T टेक्नोलॉजी सर्विसेज के सीईओ अमित चड्ढा का कहना है कि कई भारतीय आईटी कंपनियां अमेरिका में लोकलाइजेशन पर ध्यान दे रही हैं. भले ही फिलहाल खर्च धीमे हैं, लेकिन इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन और डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग के चलते 2025 तक सुधार की उम्मीद है.
आईटी सेवा उद्योग FY24 में अब तक की सबसे धीमी ग्रोथ देख रहा है. हालांकि, जनवरी से सुधार के संकेत मिले हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में नई व्यापार-समर्थक सरकार के आने से ग्राहकों के खर्च का बजट स्पष्ट हो सकता है.
टैरिफ नीतियों का असरHFS ग्रुप के मुख्य विश्लेषक फिल फर्श्ट का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ नीतियों से लागत 20% तक बढ़ सकती है. इसके कारण कंपनियां अब AI-आधारित सेवाओं पर ज्यादा ध्यान दे सकती हैं. जेनरेटिव AI और एजेंटिक टेक्नोलॉजी जैसी नई तकनीकों का उपयोग बढ़ सकता है.
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो गई है, जिससे वहां की कंपनियों का खर्च प्रभावित हो सकता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जनवरी से मार्च के बीच कंपनियों ने सतर्क रुख अपनाया है और वे ‘वेट-एंड-वॉच’ नीति अपना रही हैं.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :March 17, 2025, 14:59 ISThomebusinessमंदी के डर से खर्च घटा रहीं अमेरिकी कंपनियां, मुरझाया भारत की सबसे बड़ा उद्योग
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