UN ने घटाई भारत की GDP ग्रोथ रेट, लेकिन कम नहीं होगी रफ्तार, RBI करेगा मेहरबान

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नई दिल्ली. संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भारत की साल 2025 की आर्थिक विकास दर का अनुमान घटाकर 6.3% कर दिया है. पहले यह अनुमान 6.6% था. हालांकि यह गिरावट है, फिर भी भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा. यह मजबूती मुख्य रूप से आम लोगों की खरीददारी और खर्च, और सरकार की तरफ से हो रहे भारी निवेश के कारण बनी हुई है.

UN ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसका नाम है The World Economic Situation and Prospects as of mid-2025. इसमें बताया गया है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था एक मुश्किल दौर से गुजर रही है, जहां व्यापार को लेकर तनाव बढ़ रहा है और नीतियों को लेकर अनिश्चितता भी बनी हुई है. अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ (आयात कर) के कारण उत्पादन की लागत बढ़ रही है. साथ ही, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो रही है और वित्तीय अस्थिरता बढ़ रही है.

अमेरिकी नीति का कितना असर

भारत की GDP साल 2024 में 7.1% के मुकाबले 2025 में घटकर 6.3% रहने का अनुमान है. लेकिन सर्विस सेक्टर से होने वाला निर्यात, लोगों का लगातार खर्च करना और सरकारी निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा देते रहेंगे. अमेरिका की टैरिफ नीति का भारत के कुछ क्षेत्रों पर असर जरूर पड़ सकता है, लेकिन दवाइयों, इलेक्ट्रॉनिक्स, चिप्स, एनर्जी और कॉपर जैसे क्षेत्रों को कुछ हद तक छूट मिली हुई है. हालांकि यह छूट स्थायी नहीं हो सकती.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में बेरोजगारी की स्थिति काफी हद तक स्थिर है, लेकिन महिलाओं की भागीदारी अब भी कम है. महंगाई (Inflation) की बात करें तो 2024 में यह 4.9% की बजाय 2025 में घटकर 4.3% हो सकती है. यह दर भारतीय रिजर्व बैंक के लक्ष्य के दायरे में है.

महंगाई में कमी की वजह से भारत समेत दक्षिण एशिया के कई देशों के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में कटौती की दिशा में बढ़ रहे हैं. भारत में फरवरी 2025 में RBI ने भी ब्याज दरों को कम करने की शुरुआत की है. वहीं बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश IMF के समर्थन से आर्थिक सुधारों और वित्तीय अनुशासन पर ध्यान दे रहे हैं.

क्या मंदी की चपेट में आएगी दुनिया

दुनिया की बात करें तो 2025 में वैश्विक GDP विकास दर केवल 2.4 फीसदी रहने की उम्मीद है, जो 2024 में 2.9% थी. जनवरी 2025 में जो अनुमान था, उससे यह 0.4% कम है. यह मंदी नहीं है, परंतु ज़्यादातर देशों और क्षेत्रों में विकास की रफ्तार धीमी हो रही है.

अमेरिका में भी विकास दर 2024 में 2.8% से घटकर 2025 में 1.6% हो सकती है. इसके पीछे बढ़े हुए टैरिफ, पॉलिसी में अनिश्चितता और निजी निवेश में गिरावट जैसे कारण मुख्य हैं. चीन की अर्थव्यवस्था भी 4.6 फीसदी की दर से ही बढ़ने की उम्मीद है, जो कमजोर उपभोक्ता भावना और अचल संपत्ति क्षेत्र की दिक्कतों की वजह से है.

ब्राज़ील, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका जैसे बड़े विकासशील देशों में भी व्यापार कमजोर पड़ने, निवेश धीमा होने और वस्तुओं की कीमतों में गिरावट की वजह से आर्थिक विकास प्रभावित हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते टैरिफ और व्यापार में रुकावट का सबसे ज़्यादा असर गरीब और विकासशील देशों पर पड़ रहा है. इससे उनके लिए रोजगार बनाना, गरीबी कम करना और असमानता को घटाना और भी मुश्किल हो जाएगा.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर मिल-जुलकर काम करने की ज़रूरत है. व्यापार नियमों को मज़बूत करना और गरीब देशों को विशेष सहायता देना जरूरी है, जिससे दुनिया में समावेशी और टिकाऊ विकास संभव हो सके.

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