ट्रंप के खिलाफ घर से ही बगावत शुरू, अपनी ही पार्टी के नेताओं ने लताड़ा, कहा- वे संविधान के खिलाफ

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जब महंगाई सिर चढ़कर बोल रही हो और हर आम आदमी अपनी जेब संभालने में लगा हो, तब अगर सरकार एक ऐसा फैसला ले ले, जिससे रोज़मर्रा की चीजें और महंगी हो जाएं, तो सवाल उठना लाज़िमी है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ ऐसा ही किया. टैरिफ बढ़ाकर एक नया ट्रेड वॉर छेड़ दिया. दुनिया के साथ तो वॉर है ही, यहां तक कि उनके खुद के दल (रिपब्लिकन) के नेता भी खुश नहीं हैं. डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ के चलते रिपब्लिकन पार्टी में बगावत शुरू हो चुकी है. चार सीनेटर्स ने डेमोक्रैट्स के साथ मिलकर कनाडा से आयात पर 25 फीसदी टैरिफ के खिलाफ प्रस्ताव पास किया. मिच मैककोनल, रैंड पॉल, सुसन कोलिन्स और लिसा मुर्कोव्स्की ने टैरिफ को “असंवैधानिक, अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक और कूटनीतिक रूप से खतरनाक” बताया. ट्रंप के ही पूर्व उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ने इसे जनता पर बोझ बताया. आलोचकों का कहना है कि यह टैरिफ अमेरिकी परिवारों, खासकर किसानों और कनाडा के साथ व्यापार पर निर्भर इंडस्ट्री को बुरी तरह प्रभावित करेगा. रिपब्लिकन नेताओं का यह विरोध ट्रंप के प्रभाव को कम कर रहा है. क्या यह ट्रंप की ‘टैरिफ वॉर’ का अंत की शुरुआत है?

वॉल स्ट्रीट सहित दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट और अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं के बीच ट्रंप ने भारी भरकम टैरिफ की घोषणा की, जिसे उन्होंने ‘फ्रीडम डे’ कहा. लेकिन उसके बाद के हालात साफ हैं. अभी टैरिफ लागू होने में समय बाकी है, लेकिन भारत समेत बड़े देशों की इकॉनमी हिलने लगी है, उनके बाजार डांवाडोल हैं. ट्रंप द्वारा कनाडा से आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा के तुरंत बाद चार रिपब्लिकन सांसदों ने डेमोक्रेट्स के प्रस्ताव के समर्थन में वोट देकर ट्रंप का खुला विरोध किया. इस प्रस्ताव का कोई कानूनी असर नहीं है, लेकिन इसमें एक बात साफ होती है कि ट्रंप की नीति को लेकर रिपब्लिकन पार्टी के अंदर ही गहरा असंतोष है.

ट्रंप के खिलाफ जाकर किया डेमोक्रेट को सपोर्टद गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व सीनेट मेजॉरिटी लीडर मिच मैककोनेल ने इसे “खराब नीति” बताते हुए कहा कि यह कामकाजी वर्ग पर आर्थिक बोझ बढ़ाएगी. उनके अनुसार, टैरिफ से वस्तुओं और सेवाओं के दाम बढ़ते हैं. यह एक तरह का टैक्स है जो सीधे आम लोगों पर पड़ता है. ट्रंप के पूर्व उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने बताया कि इससे हर अमेरिकी परिवार पर सालाना ₹2.91 लाख (लगभग $3,500) का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

इन चार रिपब्लिकन नेताओं ने ट्रंप के अनुरोध के बावजूद डेमोक्रेट सीनेटर टिम कैन के प्रस्ताव का समर्थन किया, जो ‘इंटरनेशनल इमरजेंसी इकॉनमिक पावर्स एक्ट’ के तहत ट्रंप को मिली शक्तियों को सीमित करने के लिए लाया गया था. मैककोनेल ने कहा कि अमेरिका की समृद्धि उसके सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने में है, न कि उनके खिलाफ जाकर. उन्होंने चीन की अनुचित ट्रेड पॉलिसी का सामना करने के लिए सहयोगी देशों के साथ एकजुटता की बात कही.

संविधान के भी खिलाफ गए ट्रंप!रैंड पॉल ने तो इसे संविधान के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि टैक्स सबसे पहले प्रतिनिधि सभा में आते हैं, फिर सीनेट से गुजरते हैं और अंत में राष्ट्रपति के पास जाते हैं. अगर सब कुछ राष्ट्रपति अकेले तय करने लगे तो ये एकतरफा शासन बन जाएगा. उन्होंने फॉक्स न्यूज़ से कहा, “व्यापार और समृद्धि एक-दूसरे के अनुपात में चलते हैं. पिछले 70 सालों में व्यापार जितना बढ़ा, देश उतना ही समृद्ध हुआ. कनाडा के साथ व्यापार हमें अमीर बना रहा है, और कनाडा भी इससे लाभ में है.”

सीनेटर सुसान कॉलिन्स ने कहा कि उनके राज्य में कृषि और पेपर इंडस्ट्री पर इसका बुरा असर पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि फेंटानिल नामक नशीली दवा मुख्य रूप से अमेरिका में दक्षिणी सीमा से आती है, न कि कनाडा से.

ट्रंप के खिलाफ अमेरिकी लोग भी सड़कों पर उतर रहे हैं और कड़ा विरोध जता रहे हैं-

Trump is literally hated. pic.twitter.com/382dOKJVqY

— Aes🇺🇸 (@AesPolitics1) April 5, 2025

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