लगातार सातवें साल इस छोटे से देश से मिला भारत को सबसे ज्यादा एफडीआई

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नई दिल्ली. भारत की अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेश की भूमिका लगातार बढ़ रही है, और इसमें सिंगापुर की भूमिका सबसे अहम बन गई है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत को कुल 81.04 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) मिला, जिसमें अकेले सिंगापुर की हिस्सेदारी करीब 14.94 अरब डॉलर रही. यानी कुल FDI का 19% हिस्सा इस छोटे से देश से आया. यह आंकड़ा न केवल बीते वर्ष के मुकाबले लगभग 27% ज्यादा है, बल्कि यह लगातार सातवां साल है जब सिंगापुर भारत का शीर्ष FDI स्रोत बना है.

इस स्थायी बढ़त के पीछे सिर्फ कर छूट या आसान कानून नहीं हैं, बल्कि यह भारत और सिंगापुर के गहरे रणनीतिक, आर्थिक और वित्तीय रिश्तों का प्रमाण भी है. यह साझेदारी भारत की तकनीक, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टार्टअप और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों को नई ऊर्जा दे रही है.

सिंगापुर क्यों बन रहा है भारत का निवेश केंद्र?

वैश्विक वित्तीय केंद्र की भूमिका

सिंगापुर आज एशिया का प्रमुख फाइनेंशियल हब है. वहां से दुनियाभर के प्राइवेट इक्विटी (PE) और वेंचर कैपिटल (VC) फंड भारत जैसे उभरते बाजारों में पैसा लगाते हैं. इन फंड्स के लिए सिंगापुर से भारत में निवेश करना कानूनी, वित्तीय और लॉजिस्टिक रूप से सबसे आसान विकल्प है.

दोहरे कराधान से बचाव समझौता (DTAA)

भारत और सिंगापुर के बीच हुआ DTAA समझौता निवेशकों को दो बार टैक्स देने से बचाता है. इससे टैक्स की लागत कम होती है और निवेश आकर्षक बनता है. यही वजह है कि कई कंपनियां मॉरीशस से निकलकर अब सिंगापुर के रास्ते निवेश कर रही हैं.

मजबूत द्विपक्षीय रिश्ते और CECA

भारत और सिंगापुर के बीच 2005 में हुआ Comprehensive Economic Cooperation Agreement (CECA) व्यापार, सेवा और निवेश के प्रवाह को आसान बनाता है. साथ ही, नियमित बिजनेस समिट्स और उच्च स्तरीय दौरे रिश्तों को और गहरा कर रहे हैं.

किन सेक्टरों में आ रहा है निवेश?

स्टार्टअप और तकनीक

सिंगापुर से आ रहा अधिकांश निवेश भारत के स्टार्टअप्स, SaaS कंपनियों, फिनटेक और ई-कॉमर्स सेक्टर में लगाया जा रहा है. बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे शहर इसके केंद्र बने हैं.

मैन्युफैक्चरिंग और PLI स्कीम

‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और ऑटोमोबाइल सेक्टर में सिंगापुर आधारित कंपनियों का निवेश तेजी से बढ़ा है.

रिन्यूएबल एनर्जीभारत की ग्रीन एनर्जी पॉलिसी, खासकर सोलर और विंड प्रोजेक्ट्स, सिंगापुर के ESG (Environmental, Social, Governance) फंड्स को आकर्षित कर रही है.

वित्तीय सेवाएं

फिनटेक, बीमा, डिजिटल बैंकिंग और NBFCs में भी FDI लगातार बढ़ रहा है.

भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

नौकरियों का निर्माण

FDI से जुड़े प्रोजेक्ट्स विशेष रूप से युवाओं को रोजगार दे रहे हैं, खासकर टियर 2 और टियर 3 शहरों में.

टेक्नोलॉजी और स्किल ट्रांसफर

सिंगापुर जैसे विकसित बाजारों से आने वाली तकनीक और मैनेजमेंट नॉलेज भारत के उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी बना रही है.

निर्यात और वैश्विक वैल्यू चेन में भागीदारी

FDI के जरिए भारत ग्लोबल वैल्यू चेन का हिस्सा बन रहा है, जिससे निर्यात और आर्थिक स्थिरता दोनों को बढ़ावा मिल रहा है.

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