RBI policy: भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर उम्मीदों की उड़ान भरती दिख रही है. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर (Real GDP Growth Rate) को 6.5% रहने का अनुमान जताया है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि ग्रामीण मांग, कृषि उत्पादन और सेवा क्षेत्र की मजबूती इस विकास की प्रमुख वजह बन रहे हैं.
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की हालिया बैठक में यह अहम फैसला लिया गया कि रेपो रेट (Repo Rate) को 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 6% कर दिया जाए. रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर बैंक आरबीआई से पैसे उधार लेते हैं. इसका असर सीधा आपके होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है. रेपो रेट में कटौती का मतलब है कि बैंक अब सस्ते में कर्ज ले सकेंगे, और इस वजह से आम लोगों को भी सस्ते लोन मिल सकते हैं.
इकॉनमी से मिल रहे पॉजिटिव संकेतआरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष (2025-26) में भारत की अर्थव्यवस्था के लिए कई सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं. खासकर कृषि क्षेत्र में उम्मीदें काफी अच्छी हैं, क्योंकि फसल उत्पादन अच्छा बना हुआ है. इसका असर ग्रामीण मांग पर भी पड़ रहा है, जो अब भी मजबूत बनी हुई है.
औद्योगिक क्षेत्र, विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग, अब दोबारा रफ्तार पकड़ने लगा है. बिजनेस से जुड़े लोगों के बीच विश्वास बढ़ा है और उत्पादन क्षमता का बेहतर उपयोग हो रहा है. सेवा क्षेत्र की मजबूती और सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च में बढ़ोतरी ने निवेश गतिविधियों को गति दी है.
बाजार को बल मिल रहाआरबीआई गवर्नर ने बताया कि शहरी इलाकों में खर्च करने की प्रवृत्ति में भी इजाफा देखा जा रहा है. खासकर ऐसे खर्च देखे जा रहे हैं जो जरूरी नहीं होते, जैसे घूमना, फैशन या इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना. इस बढ़ते आत्मविश्वास का असर बाजार पर भी देखने को मिल रहा है.
वैश्विक स्तर पर ट्रेड को लेकर कुछ अनिश्चितताएं बरकरार हैं. दुनिया के कई हिस्सों में चल रही उथल-पुथल का असर भारत के सामान के निर्यात पर पड़ सकता है, लेकिन सर्विस सेक्टर का निर्यात स्थिर रहने की उम्मीद जताई गई है.
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, आरबीआई ने वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है. तिमाही अनुसार यह अनुमान इस प्रकार है- पहली तिमाही में 6.5%, दूसरी में 6.7%, तीसरी में 6.6% और चौथी तिमाही में 6.3% की वृद्धि की उम्मीद है.
इस अनुमान के पीछे बैंकों और कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट, सरकारी नीतियों का समर्थन, और लगातार सुधरते वित्तीय माहौल का बड़ा योगदान है. अगर यह ट्रेंड जारी रहता है, तो भारत निकट भविष्य में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह और पक्की कर सकता है.
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