नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर को दावत दी. दोनों के बीच हुई इस मुलाकात की चर्चा दुनियाभर में हो रही है. इस मुलाकात में 2 बातें ऐसी हैं जो किसी को भी अपना सिर खुजाने पर मजबूर कर सकती है. पहला यह कि किसी लोकतांत्रिक देश का सर्वोच्च नेता किसी दूसरे लोकतांत्रिक देश सर्वोच्च नेता से औपचारिक मुलाकात की बजाय उस देश के सेना प्रमुख से क्यों मिल रहा है. क्या पाकिस्तानी आर्मी चीफ को हेड ऑफ स्टेट के तौर पर न्योता दिया गया? अगर हां, तो क्यों? अगला और ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल कि पाकिस्तान खुलकर ईरान का समर्थन करता है और अमेरिका इज़रायल का. ऐसे में दोनों की मुलाकात ने कई तरह प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं.इन सवालों का जवाब पाकिस्तान की जमीन के अंदर गड़ा है. अल जजीरा में छपे के एक लेख में मिडिल ईस्ट इंस्टी मार्विन वेनबॉम लिखते हैं कि पाकिस्तान के मौजूदा आर्मी चीफ से ट्रंप के पुराने संबंध हैं. उनका दावा है कि मुनीर ने काबुल में 2021 में हुए एक धमाके के मुख्य आरोपी को पकड़वाने में मदद की थी. लेकिन इस नजदीकी का कारण सिर्फ इतना नहीं है बल्कि इससे कहीं अधिक है. वेनबॉम ही बताते हैं कि पाकिस्तान ने यूएस को रेयर अर्थ मेटल की असीमित मात्रा देने का वादा कर दिया है. वही रेयर अर्थ मेटल्स जिसके निर्यात पर अंकुश लगाने की घोषणा कुछ दिन पहले चीन ने की थी और तब पूरी दुनिया की इंडस्ट्रीज के हाथ-पांव फूल गए थे. रेयर अर्थ मेटल क्या है, पाकिस्तान में यह कितना और कहां-कहां है और चीन में इसमें कैसे एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है. इस लेख में हम यही बात करेंगे.
पाकिस्तान के पास दुनिया की सबसे अहम धातुओं में गिने जाने वाले रेयर अर्थ मेटल्स (REMs) का विशाल भंडार मौजूद है. ये धातुएं स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक गाड़ियों, रडार और मिसाइल सिस्टम जैसे हाईटेक उत्पादों में इस्तेमाल होती हैं. बलूचिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वा (KP) और गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे इलाकों में ये खजाना दबा हुआ है, जिसकी कुल वैल्यू करीब 50 लाख करोड़ डॉलर आंकी गई है. अब इस खजाने पर चीन और अमेरिका, दोनों की नज़र है.
क्या हैं रेयर अर्थ मेटल्स?
रेयर अर्थ मेटल्स जैसे – नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम और सैमेरियम – आधुनिक टेक्नोलॉजी और रक्षा सेक्टर के लिए बेहद जरूरी हैं. ये धातुएं सामान्य धातुओं की तरह ज़्यादा मात्रा में नहीं मिलतीं और इनकी प्रोसेसिंग भी कठिन होती है.
पाकिस्तान में कहां मिलते हैं?
बलूचिस्तान: यहां बस्तनाइसाइट और जेनोटाइम जैसे स्रोतों से REMs मिलते हैं. यह पाकिस्तान का सबसे संभावनाशील क्षेत्र माना जाता है.
खैबर-पख्तूनख्वा (KP): रत्नों के लिए मशहूर यह इलाका अब गैडोलिनियम और टरबियम जैसे मेटल्स के लिए भी चर्चा में है.
गिलगित-बाल्टिस्तान: अभी यहां कम खोज हुई है, लेकिन खनिज संभावनाएं इसे भविष्य की बड़ी उम्मीद बनाती हैं.
चुनौती क्या है?
पाकिस्तान का माइनिंग सेक्टर आधुनिक तकनीक और निवेश की कमी से जूझ रहा है. रेयर अर्थ मेटल्स की खोज और प्रोसेसिंग में भारी टेक्नोलॉजी की ज़रूरत होती है, जो पाकिस्तान के पास नहीं है. ऐसे में उसे बाहर से सहयोग की जरूरत है.
चीन की दिलचस्पी क्यों?
चीन फिलहाल वैश्विक REMs सप्लाई का 80–90% हिस्सा कंट्रोल करता है. पाकिस्तान के इस नए भंडार में उसकी दिलचस्पी बढ़ना लाजिमी है. चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत चीन पहले से ही पाकिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश कर रहा है. अब इसके दूसरे चरण में रेयर अर्थ मेटल्स की खदानों पर फोकस हो सकता है. चीन माइनिंग और प्रोसेसिंग में दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपर्ट है. वो पाकिस्तान को टेक्नोलॉजी और फंडिंग दे सकता है. चीन चाहता है कि सप्लाई चेन पर उसका नियंत्रण और गहरा हो. पाकिस्तान के जरिए उसकी पकड़ और मजबूत हो सकती है.
अमेरिका की एंट्री और भू-राजनीतिक जंग
हाल में पाकिस्तान ने अमेरिका को भी REMs के एक्सेस का प्रस्ताव दिया है, जिसमें नो टैरिफ ट्रेड डील और क्रिप्टो सेक्टर सहयोग की पेशकश भी शामिल है. अमेरिका चीन की मोनोपॉली को खत्म करना चाहता है ताकि टेक्नोलॉजी और रक्षा जैसे सेक्टरों में चीन पर निर्भरता कम हो. अगर अमेरिका पाकिस्तान के साथ खनन समझौता करता है, तो वह चीन को सीधे चुनौती देगा. लेकिन इसके लिए अमेरिका को भी बड़ा निवेश करना होगा. अगर पाकिस्तान अमेरिका के साथ जाता है, तो चीन का CPEC निवेश और वैश्विक पकड़ दोनों को झटका लग सकता है.
आगे क्या?
पाकिस्तान को फायदा: अगर चीन और अमेरिका दोनों माइनिंग में उतरते हैं, तो पाकिस्तान की इकॉनमी को बड़ा बूस्ट मिल सकता है.
टकराव का खतरा: अमेरिका की एंट्री से चीन-पाकिस्तान रिश्तों में तनाव आ सकता है.
भविष्य का दांव: यह सिर्फ खनन का नहीं, बल्कि ग्लोबल टेक्नोलॉजी, पावर बैलेंस और सप्लाई चेन कंट्रोल का बड़ा खेल है – जिसमें पाकिस्तान एक अहम मोहरा बनकर उभरा है.
कहीं यूक्रेन वाला न हो हाल!
रेयर अर्थ मेटल्स को लेकर पाकिस्तान इस वक्त अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति के केंद्र में है. लेकिन अमेरिका के साथ किसी भी डील को करने से पहले पाकिस्तान को ये बात ध्यान में रखनी कि इस तरह के खनिज का सौदा यूएस पहले यूक्रेन के साथ भी कर चुका है. यूक्रेन का अभी क्या हाल है ये किसी से छुपा नहीं है.
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News