Last Updated:January 17, 2025, 07:11 ISTWorld Bank India Forecast- विश्व बैंक ने कहा कि भारत की निजी खपत वृद्धि मजबूत श्रम बाजार, विस्तारित क्रेडिट और घटती मुद्रास्फीति से बढ़ेगी. हालांकि, सरकारी खपत वृद्धि सीमित रह सकती है.
भारत में कर राजस्व में वृद्धि से राजकोषीय घाटा कम होने की उम्मीद है.नई दिल्ली. विश्व बैंक ने कहा है कि भारत अगले दो वर्षों तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बनी रहेगी. ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.7 फीसदी पर स्थिर रखा गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा क्षेत्र में निरंतर विस्तार और विनिर्माण गतिविधियों में मजबूती की उम्मीद है. सरकार की लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार और कर सुधारों की पहल इन क्षेत्रों को बढ़ावा देगी. विश्व बैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के 2025 और 2026 में 2.7 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है, जो 2024 के समान रहेगा.
विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अगले दो वर्षों में 4 फीसदी की स्थिर वृद्धि का अनुमान है. विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमित गिल ने कहा, “अगले 25 साल विकासशील देशों के लिए पिछले 25 वर्षों की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण होंगे. उच्च ऋण, कमजोर निवेश और जलवायु परिवर्तन की बढ़ती लागत जैसी चुनौतियां इन देशों के सामने होंगी. इन चुनौतियों से निपटने के लिए घरेलू सुधारों पर जोर देना होगा.”
भारत की विकास दर और निजी खपतविश्व बैंक ने कहा कि भारत की निजी खपत वृद्धि मजबूत श्रम बाजार, विस्तारित क्रेडिट और घटती मुद्रास्फीति से बढ़ेगी. हालांकि, सरकारी खपत वृद्धि सीमित रह सकती है. भारत की विकास दर 2023-24 के 8.2 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 6.5 प्रतिशत होने का अनुमान है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश में कमी और कमजोर विनिर्माण गतिविधियों के कारण यह गिरावट देखी जाएगी. हालांकि, सेवा क्षेत्र स्थिर है और कृषि क्षेत्र में सुधार हुआ है. ग्रामीण क्षेत्रों में आय में सुधार के चलते निजी खपत लचीली बनी हुई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में उच्च मुद्रास्फीति और धीमी क्रेडिट वृद्धि ने खपत को प्रभावित किया है.
दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए चुनौतियांविश्व बैंक ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र (SAR) में राजकोषीय नीतियां कड़ी रहेंगी. भारत में कर राजस्व में वृद्धि से राजकोषीय घाटा कम होने की उम्मीद है. हालांकि, नीतिगत अनिश्चितताएं और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार नीतियों में बदलाव क्षेत्र के लिए जोखिम बने रहेंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि संरक्षणवादी नीतियों में वृद्धि, विशेष रूप से अमेरिका और यूरोप में, दक्षिण एशियाई देशों के निर्यात को प्रभावित कर सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च वस्तुओं की कीमतें, जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्राकृतिक आपदाएं, और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अपेक्षा से कमजोर वृद्धि दक्षिण एशियाई क्षेत्र की विकास संभावनाओं को प्रभावित कर सकती हैं.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 17, 2025, 07:11 ISThomebusinessविश्व बैंक ने भी माना भारतीय अर्थव्यवस्था का लोहा, कही खुश करने वाली बात
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