गुमनाम था कभी, लेकिन आज भारत की रीढ़ बना ये वर्ग, 2047 तक बदल देगा पूरी तस्वीर-तकदीर!

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Last Updated:January 27, 2025, 14:50 ISTअनुमान है कि भारत के मिडल क्लास वर्ग की संख्या 2047 तक 102 करोड़ तक पहुंच जाएगी. 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार, यह वर्ग भारत की कुल आय का 50%, खर्च का 48%, और बचत का 52% योगदान देता है. 2024 तक यह भारत की तस्वीर…और पढ़ेंहाइलाइट्सभारत का मध्यम वर्ग 2047 तक 102 करोड़ तक पहुंच सकता है.2020-21 में मध्यम वर्ग ने कुल आय का 50% योगदान दिया.ग्रामीण भारत में 20% लोग मध्यम वर्ग में आते हैं.नई दिल्ली. भारत का मध्यम वर्ग भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव की कहानी है. जो कभी एक गुमनाम वर्ग था, अब देश के विकास की रीढ़ बन चुका है. आर्थिक सुधारों और शहरीकरण ने इसे एक नई पहचान दी है. यह वर्ग 2047 तक देश की तस्वीर बदलने की कुव्वत रखता है. इस मिडल क्लास की कहानी समझने के लिए आपको ‘द राइज़ ऑफ मिडल क्लास इंडिया’ नामक डॉक्यूमेंट पर नजर डालने की जरूरत है, जिसे PRICE (पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज़ कंज्यूमर इकॉनमी) ने अपने सर्वे के नतीजों में पिरोकर पेश किया है.

भारत में मध्यम वर्ग तेजी से उभर रहा है और यह अब देश की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था का अहम हिस्सा बन चुका है. 2020-21 में भारत में लगभग 43 करोड़ लोग मध्यम वर्ग का हिस्सा थे. इस वर्ग को 5 लाख से 30 लाख रुपये की वार्षिक आय वाले परिवारों के रूप में परिभाषित किया गया है. 2047 तक, यह संख्या बढ़कर 102 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है.

मध्यम वर्ग का विस्तार शहरीकरण, बढ़ती आय और आर्थिक सुधारों की वजह से हो रहा है. 2020-21 में यह वर्ग देश की कुल आय का 50%, खर्च का 48%, और बचत का 52% हिस्सा रखता था. उदाहरण के लिए, मध्यम वर्ग ने 84,120 अरब रुपये की कुल आय अर्जित की, जिसमें से 62,223 अरब रुपये खर्च किए और 11,774 अरब रुपये बचाए. यह आंकड़े इस वर्ग की आर्थिक ताकत को स्पष्ट रूप से दिखाते हैं.

ग्रामीण भारत में 20 फीसदी लोग मिडल क्लास वालेग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मध्यम वर्ग की स्थिति में बड़ा अंतर है. ग्रामीण भारत में कुल 91.9 करोड़ की जनसंख्या में से लगभग 20% मध्यम वर्ग में आते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 56% है. हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में मध्यम वर्ग तेजी से बढ़ रहा है, और यह दिखाता है कि आर्थिक प्रगति धीरे-धीरे छोटे शहरों और गांवों तक पहुंच रही है.

गरीबों से 50 गुना कमाता है अमीर वर्गआय में असमानता की बात करें तो 2020-21 में गरीब परिवारों की औसत वार्षिक आय 82,300 रुपये थी, जबकि मध्यम वर्ग की आय 6.86 लाख रुपये और अमीर परिवारों की 20.47 लाख रुपये थी. अमीर वर्ग गरीबों से 50 गुना अधिक कमाता है. इसी तरह, खर्च के मामले में भी गरीब परिवार अपनी आय से अधिक खर्च करने को मजबूर हैं, जबकि मध्यम वर्ग अपनी आय का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य, शिक्षा और बेहतर लाइफस्टाइल पर खर्च करता है.

मध्यम वर्ग में स्वरोजगार और उद्यमशीलता भी बढ़ती हुई नजर आती है. 22 फीसदी से अधिक भारतीय परिवार अब गैर-कृषि स्वरोजगार से जुड़े हुए हैं, जिसमें डॉक्टर, वकील, छोटे दुकानदार और अन्य पेशेवर शामिल हैं. यह प्रवृत्ति न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही है, बल्कि आर्थिक विकास को भी गति दे रही है.

2047 तक, भारत की जनसंख्या 1.66 अरब तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें से 61 फीसदी मध्यम वर्ग का हिस्सा होंगे. साथ ही, सबसे निचले आय वर्ग की संख्या 2020-21 में 92.8 करोड़ से घटकर 2047 तक 20.9 करोड़ रह जाएगी.

मध्यम वर्ग का यह उदय भारत को वैश्विक स्तर पर एक आर्थिक महाशक्ति बनाने की क्षमता रखता है. लेकिन इसके लिए आय असमानता को कम करने, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करने और ग्रामीण क्षेत्रों को आर्थिक प्रगति से जोड़ने की आवश्यकता है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 27, 2025, 14:50 ISThomebusinessगुमनाम था कभी, लेकिन आज भारत की रीढ़ बना ये वर्ग, 2047 तक बदल देगा पूरी तस्वीर

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