नई दिल्ली. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष संजीव पुरी ने भरोसा जताया है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 (FY26) में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% की रफ्तार से बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर भले ही भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहे हों, लेकिन भारत की इकोनॉमी इतनी मजबूत है कि वह इन चुनौतियों से पार पा सकती है. पुरी के अनुसार, भारत को अपने हितों की रक्षा के लिए अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU) जैसे बड़े साझेदारों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को प्राथमिकता देनी चाहिए.
पुरी ने एक इंटरव्यू में कहा, “हम 6.5 फीसदी की GDP ग्रोथ का अनुमान रखते हैं. इसका आधार एक मजबूत आर्थिक नींव है. हाल ही में ब्याज दरें कुछ हद तक नरम हुई हैं, महंगाई भी काबू में है और 1 अप्रैल से लागू हुई व्यक्तिगत इनकम टैक्स रियायतें खपत बढ़ाने में मदद करेंगी.” उन्होंने यह भी बताया कि निजी निवेश में खासा उछाल देखा जा रहा है, खासकर ऊर्जा, परिवहन, मेटल, केमिकल और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में.
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हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं—जैसे मिडिल ईस्ट में तनाव, रूस-यूक्रेन संघर्ष और चीन की स्लो इकोनॉमी—के चलते कुछ निवेशक सतर्कता बरत सकते हैं. लेकिन वह मानते हैं कि भारत को इन स्थितियों में घरेलू मांग को मजबूती देकर अपनी प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना चाहिए. उनका कहना है कि शहरी मांग अभी थोड़ी सुस्त है लेकिन आने वाले दो-तीन तिमाहियों में इसमें भी तेजी आ सकती है, जबकि ग्रामीण मांग पहले ही सुधार के संकेत दे रही है.
CII प्रमुख ने यह भी सुझाव दिया कि भारत को एक तीन-स्तरीय टैरिफ स्ट्रक्चर (tariff architecture) पर विचार करना चाहिए जिससे देश की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़े और आयात-निर्यात संतुलन बेहतर हो. साथ ही, उन्होंने ब्याज दरों में आगे और कटौती की संभावना जताई जिससे निजी निवेश को और बढ़ावा मिल सके.
इस बीच, FY26 के लिए भारत की GDP ग्रोथ को लेकर कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने अपने अनुमान साझा किए हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की ग्रोथ रेट 6.2% रहने का अनुमान जताया है. वहीं, वर्ल्ड बैंक ने अपने पिछले अनुमान से इसे घटाकर अब 6.3% कर दिया है. मूडीज़ ने 6.5% का अनुमान बरकरार रखा है और साथ ही FY26 में महंगाई दर घटकर 4.5% रहने की उम्मीद जताई है.
इसके अलावा, डेलॉइट इंडिया का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले वित्त वर्ष में 6.5% से 6.7% के बीच बढ़ सकती है. दूसरी ओर, जापानी फर्म नोमुरा ने अपने हालिया अपडेट में भारत की GDP ग्रोथ को घटाकर 5.8% कर दिया है, और इसके पीछे उन्होंने वैश्विक व्यापार में सुस्ती और कमजोर निर्यात मांग को जिम्मेदार ठहराया है.
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पुरी का मानना है कि भारत को इस समय घरेलू स्तर पर कृषि, जलवायु परिवर्तन और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में निवेश बढ़ाकर लॉन्ग-टर्म कॉम्पिटिटिवनेस को प्राथमिकता देनी चाहिए. उन्होंने कहा, “इन डोमेस्टिक ड्राइवर्स को मजबूत बनाना जरूरी है ताकि वे वैश्विक अनिश्चितताओं का असर कम कर सकें. यही भारत की वास्तविक ताकत बनेंगे.”
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