Last Updated:May 23, 2025, 11:47 ISTभारत में वित्त वर्ष 2024-25 में शुद्ध एफडीआई 96.5% घटकर 353 मिलियन डॉलर पर आ गया. हालांकि, सकल एफडीआई प्रवाह 13.7% बढ़कर $81 बिलियन हुआ. भारतीय कंपनियों ने विदेशों में $29 बिलियन निवेश किया.भारतीय कंपनियों ने भी विदेशों में निवेश बढ़ाया है.हाइलाइट्सएफडीआई में 96.5% की गिरावट, शुद्ध निवेश $353 मिलियन.सकल एफडीआई प्रवाह 13.7% बढ़कर $81 बिलियन हुआ.भारतीय कंपनियों ने विदेशों में $29 बिलियन निवेश किया.नई दिल्ली. भारत में वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में भारी गिरावट देखी गई है. यह गिरावट करीब 96.5% रही और शुद्ध एफडीआई घटकर सिर्फ 353 मिलियन डॉलर पर आ गया, जो अब तक का रिकॉर्ड निचला स्तर है. इससे पिछले वर्ष यानी 2023-24 में यह आंकड़ा 10 बिलियन डॉलर था. यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा मासिक बुलेटिन में दी गई है. हालांकि, एफडीआई में गिरावट के बावजूद सकल एफडीआई प्रवाह में 13.7% की वृद्धि हुई है और यह आंकड़ा अब $81 बिलियन तक पहुंच गया है. यह निवेश मुख्य रूप से विनिर्माण, वित्तीय सेवाएं, ऊर्जा और संचार जैसे क्षेत्रों में हुआ है.
आरबीआई ने बताया कि इस गिरावट की वजह है प्रत्यावर्तन (repatriation) में तेजी और विदेशों में भारतीय कंपनियों द्वारा निवेश का बढ़ना. रिपोर्ट के मुताबिक, स्विगी, विशाल मेगामार्ट और हुंडई मोटर जैसी कंपनियों के सफल आईपीओ के चलते निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न मिला और उन्होंने खूब मुनाफावसूली.
$49 बिलियन की निकासी
वित्त वर्ष 2025 में भारत से $49 बिलियन की वापसी हुई, जो पिछले साल के $41 बिलियन से ज्यादा है. इनमें कई बड़े निजी इक्विटी (PE) और वेंचर कैपिटल (VC) निवेशकों ने बाजार से बाहर निकलने के लिए आईपीओ और शेयर बिक्री का रास्ता अपनाया. IVCA और EY की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीई/वीसी निवेशकों ने 26.7 बिलियन डॉलर का निकास किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7% अधिक है. इनमें से ज्यादातर निकास खुले बाजार और आईपीओ के माध्यम से हुए, जो भारतीय पूंजी बाजार की मजबूती को दर्शाता है.
इन कंपनियों से हुई निकासी
हुंडई मोटर ने अपनी हिस्सेदारी घटाकर 82.5% कर दी और आईपीओ से पूंजी निकाली. वहीं, स्विगी में एक विदेशी निवेशक ने 2 बिलियन डॉलर से अधिक का लाभ कमाया. इसी तरह सिंटेल ने एयरटेल में अपनी हिस्सेदारी बेची और बीएटी ने आईटीसी में हिस्सेदारी कम की, जिसकी राशि भी प्रत्यावर्तन में शामिल है.
भारतीय कंपनियों ने विदेशों में लगाया खूब पैसा
भारतीय कंपनियों ने भी विदेशों में निवेश बढ़ाया है. उन्होंने इस साल $29 बिलियन का विदेशी निवेश किया, जो पिछले साल के $17 बिलियन से कहीं अधिक है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रवृत्ति बताती है कि भारतीय कंपनियां अब वैश्विक स्तर पर विस्तार कर रही हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यह सब दिखाता है कि भारत का पूंजी बाजार अब परिपक्व हो रहा है, जहां विदेशी निवेशकों को न सिर्फ आसानी से निवेश के अवसर मिलते हैं, बल्कि वह बिना अड़चन के निकास भी कर पाते हैं. यह भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और पारदर्शिता को दर्शाता है.
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