भारत के पास डॉलर-पाउंड घटा, फिर भी इतना कि 10-12 महीने का इम्पोर्ट हो जाएगा हैंडल

spot_img

Must Read

नई दिल्ली. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) बीते हफ्ते 4.88 अरब डॉलर घटकर 685.72 अरब डॉलर पर आ गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, यह गिरावट 16 मई को समाप्त सप्ताह में दर्ज की गई. हालांकि यह गिरावट चिंता का विषय लग सकती है, लेकिन अच्छी बात यह है कि देश का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व अब भी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर—704.89 अरब डॉलर (सितंबर 2024)—के बेहद करीब है.

इससे पहले भारत के विदेशी मुद्रा भंडार ने लगातार आठ हफ्तों तक बढ़त दर्ज की थी. यह बढ़त उस लंबे स्लंप के बाद आई थी, जब भंडार में करीब चार महीने तक गिरावट देखने को मिली थी. वर्तमान भंडार की स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के पास इतना फॉरेक्स स्टॉक है कि वह 10 से 12 महीनों तक के आयात खर्च को कवर कर सकता है—जो किसी भी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत संकेत है.

गिरावट क्यों आई?

RBI के आंकड़ों के अनुसार, इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह गोल्ड रिज़र्व्स में कमी है. भारत के पास फिलहाल 81.21 अरब डॉलर की सोने की होल्डिंग है, जो इस हफ्ते 5.12 अरब डॉलर घट गई. फॉरेन करेंसी असेट्स (FCA)—जो फॉरेक्स रिजर्व का सबसे बड़ा हिस्सा होते हैं—वो अब 581.65 अरब डॉलर पर हैं.

भारत क्यों रख रहा है ज्यादा गोल्ड?

हाल के वर्षों में दुनिया भर के सेंट्रल बैंक ‘सेफ हेवन’ असेट्स जैसे सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं. भारत भी इसी रास्ते पर है. RBI ने 2021 के बाद से अपने कुल फॉरेन रिज़र्व में सोने की हिस्सेदारी लगभग दोगुनी कर दी है. इसका कारण है डॉलर पर निर्भरता कम करना और भंडार में विविधता लाना.

पिछले साल की तुलना में कहां खड़ा है भारत?

2023 में भारत ने अपने फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व में लगभग 58 अरब डॉलर का इजाफा किया, जबकि 2022 में इसमें 71 अरब डॉलर की गिरावट आई थी. 2024 में अब तक देश ने 20 अरब डॉलर से अधिक का फॉरेक्स भंडार जोड़ा है—जो बताता है कि भारत धीरे-धीरे एक स्थिर मुद्रा नीति की ओर बढ़ रहा है.

फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व क्यों जरूरी है?

फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार एक देश की आर्थिक सुरक्षा की कुंजी होता है. इसे सेंट्रल बैंक—यानी RBI—द्वारा डॉलर, यूरो, येन और पाउंड जैसी प्रमुख विदेशी मुद्राओं में रखा जाता है. RBI जरूरत के समय डॉलर बेचकर या खरीदकर रुपये की कीमत को स्थिर करता है. जब रुपया मजबूत होता है, RBI डॉलर खरीदता है; और जब रुपया कमजोर होता है, तो डॉलर बेचकर बाजार में संतुलन लाता है.

ये भी पढे़ं- 2025 में इन 4 स्टॉक्स पर रखें नजर, सीनियर एनालिस्ट ने एक अनूठे फॉर्मूले से की इनकी पहचान

हालांकि इस सप्ताह फॉरेन रिजर्व में गिरावट हुई है, लेकिन भारत की मौजूदा स्थिति अब भी बेहद मजबूत है. आयात को कवर करने की पूरी क्षमता, सोने की रणनीतिक हिस्सेदारी और मुद्रा स्थिरता की नीति के चलते भारत वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं में भी संतुलन बनाए हुए है. आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि RBI अपनी नीतियों से कैसे रुपये को स्थिर रखता है और किस तरह फॉरेक्स भंडार को और मजबूत करता है.

stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news

English News

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -