आर्थिक हालात ठीक हुए लेकिन अभी सब चंगा नहीं, आरबीआई गवर्नर ने दिखाया आईना

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Last Updated:June 15, 2025, 18:29 ISTडी सुब्बाराव ने मोदी सरकार के 11 सालों में आर्थिक तरक्की की सराहना की, लेकिन रोजगार, मैन्युफैक्चरिंग और सुधारों की कमी को चुनौतियां बताया. भारत की जीडीपी 4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंची है.डी सुब्बाराव 2008-13 तक आरबीआई के गवर्नर रहे हैं.हाइलाइट्सभारत की GDP 4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंची.रोजगार और मैन्युफैक्चरिंग में कमी बनी चुनौती.सुधारों में राज्य सरकारों की भूमिका अहम.नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के 11 सालों में देश की आर्थिक तरक्की की सराहना करते हुए कहा कि भारत आज वैश्विक स्तर पर एक उभरती आर्थिक शक्ति बन चुका है. उन्होंने कहा कि जीडीपी ग्रोथ, महंगाई पर काबू, रुपये की स्थिरता और मजबूत फाइनेंशियल पोजिशन इस दौरान भारत की बड़ी उपलब्धियां रही हैं. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि अच्छी नौकरियों का अभाव, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की धीमी चाल और दूसरे चरण के बड़े सुधारों की कमी अभी भी भारत की चुनौतियां हैं.सुब्बाराव ने समाचार एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि जब 2014 में मोदी सरकार आई थी, तब आर्थिक हालात बहुत बेहतर नहीं थे—वृद्धि दर कम थी, महंगाई ऊंची थी, रुपया अस्थिर था और बैंकिंग सिस्टम एनपीए से जूझ रहा था. लेकिन आज, 11 साल बाद हालात पूरी तरह बदल चुके हैं. उन्होंने कहा, “अब भारत एक स्थिर, बढ़ती और फाइनेंशियली सशक्त अर्थव्यवस्था बन चुका है.”

GDP ग्रोथ शानदार, लेकिन अभी भी गरीब देश

सुब्बाराव ने माना कि भारत की जीडीपी अब 4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है और जल्द ही हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे. लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ जीडीपी बढ़ना ही सब कुछ नहीं है. “प्रति व्यक्ति आय के मामले में हम अभी भी काफी पीछे हैं. हमारी प्रति व्यक्ति आय करीब 2,878 डॉलर है, जिससे हम दुनिया में 136वें नंबर पर हैं. ब्रिक्स और G20 जैसे ग्रुप्स में भी हम सबसे गरीब देश हैं.”

रोजगार और मैन्युफैक्चरिंग में निराशा

उन्होंने खास तौर पर रोजगार की स्थिति पर चिंता जताई. उनके मुताबिक, “पिछले 11 साल में संगठित क्षेत्र में अच्छी और उत्पादक नौकरियां नहीं बढ़ीं. ज्यादातर नौकरियां असंगठित, कम वेतन वाली और अंशकालिक हैं.” मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर उन्होंने कहा कि 2014 से अब तक इसका जीडीपी में योगदान करीब 16.7% से 17% ही हुआ है, जो कि निराशाजनक है. उन्होंने कहा कि एमएसएमई सेक्टर पर खास फोकस की जरूरत है क्योंकि यहीं से सबसे ज्यादा रोजगार पैदा हो सकते हैं.

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सुधारों से पीछे हटती दिखी सरकार

पूर्व गवर्नर ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में कुछ सुधारों की कोशिश की थी, लेकिन धीरे-धीरे वह रिफॉर्म एजेंडे से पीछे हट गई. उन्होंने भूमि, श्रम, टैक्स और एफडीआई जैसे क्षेत्रों में सुधार की जरूरत को दोहराया. उनका कहना था कि पहले की तरह केंद्र सरकार अकेले सुधार नहीं कर सकती क्योंकि अब जमीन, श्रम जैसे क्षेत्रों में राज्य सरकारों की भी भूमिका है. लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार राज्यों से बातचीत की पहल करती नहीं दिखती. उन्होंने कहा, “1991 में पहले चरण के सुधार केंद्र ने खुद लागू किए, लेकिन अब अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए राज्यों की साझेदारी जरूरी है. दुर्भाग्य से सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं दिखती.”Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessआर्थिक हालात ठीक हुए लेकिन अभी सब चंगा नहीं, आरबीआई गवर्नर ने दिखाया आईना

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