UAE Golden Visa : संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अपने गोल्डन वीजा को बहुत आसान बना दिया है. अब भारतीय नागरिक सिर्फ एक बार की AED 100,000 यानी 23.3 लाख रुपये की फीस देकर आजीवन वहां रहने के योग्य हो सकते हैं. अब उन्हें न तो कोई प्रॉपर्टी खरीदनी है, न बिज़नेस खोलना है. न ही टैक्स देने की जरूरत है. यह निजी तौर पर सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन भारत के नजरिये से इसका नफा-नुकसान देखने की जरूरत है. तो चलिए जानते हैं भारत के लिए यह कैसा साबित हो सकता है.
भारत के लिहाज से सबसे बड़ी चिंता है टैलेंट और पैसे का बाहर जाना. जब पढ़े-लिखे, समझदार प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर, इंजीनियर और आईटी एक्सपर्ट्स UAE जैसे देशों में बसने लगेंगे, तो भारत की रीढ़ मजबूत करने वाले लोग देश से दूर हो जाएंगे. साल 2023 में ही करीब 16 लाख भारतीयों ने विदेशी नागरिकता ली थी, जिनमें बड़ी संख्या खाड़ी देशों की थी. अब जब गोल्डन वीजा इतना सस्ता हो गया है, तो यह संख्या और भी तेजी से बढ़ सकती है. साथ ही, इस प्रक्रिया में जो फीस और रहन-सहन का खर्च होगा, वह भी करोड़ों रुपये भारत से बाहर ले जाएगा.
केरल और पंजाब पहले से ही बड़े पैमाने पर पलायन झेल रहे हैं. अब जब गोल्डन वीजा इतना सस्ता हो गया है, तो इन राज्यों से और ज्यादा लोग बाहर जाने लगेंगे. इससे स्थानीय लेबर की कमी हो सकती है, जिससे खेती, छोटे कारोबार और घरेलू सेवाओं पर असर पड़ेगा. ऐसे में भारत से न सिर्फ पैसा, बल्कि टैलेंट और मेहनतकश लोग भी धीरे-धीरे बाहर निकल सकते हैं.
भारत सरकार पर होगा दबाव
ऐसे में भारत की सरकार पर भी दबाव बनेगा कि वह ऐसी नीतियां बनाए, जिससे लोग भारत छोड़ने के बजाय यहीं रहकर काम करना पसंद करें. जैसे कि टैक्स सिस्टम को आसान करना, नौकरियों के मौके बढ़ाना और जीवन स्तर को सुधारना. दोहरी नागरिकता की मांग भी फिर से उठ सकती है, जो भारत में फिलहाल मान्य नहीं है. हालांकि यह वीजा भारत और यूएई के रिश्तों को मजबूत करता है, लेकिन भारत को यह भी देखना होगा कि इससे उसकी सामाजिक और आर्थिक हालत कमजोर तो नहीं हो रही?
क्यों इतने सस्ते में बुला रहा यूएई
दरअसल, UAE एक स्मार्ट चाल चल रहा है. यूएई खुद को न्यूयॉर्क या लंदन जैसे ग्लोबल सिटी की तरह बनाना चाहता है, जहां दुनियाभर की टैलेंट और निवेश आए. वह दुनियाभर के होनहार लोगों को अपने देश में बुला रहा है, खासकर टेक्नोलॉजी, हेल्थ, एजुकेशन और इनोवेशन के क्षेत्र में. जाहिर है कि भारतीय प्रोफेशनल्स और उद्यमी वहां नए बिजनेस शुरू करेंगे, जिससे UAE को टैक्स और रोजगार दोनों मिलेगा. उसका मकसद है कि वह तेल पर निर्भरता कम करके एक नॉलेज-बेस्ड इकोनॉमी बने.
साल 2019 से 2022 के बीच UAE ने 1.5 लाख से ज्यादा गोल्डन वीजा जारी किए थे और 2025 में 5,000 भारतीयों के आवेदन की उम्मीद है. 23.3 लाख रुपये की फीस से ही अगर 5,000 भारतीय आवेदन करें तो उसे करीब 1167 करोड़ रुपये की इनकम होगी. इसके अलावा यूएई को रियल एस्टेट और उपभोक्ता बाजार में भी फायदा होगा, क्योंकि वीजाधारक वहां घर किराए पर लेंगे, खरीदेंगे, और अपने बच्चों की पढ़ाई व इलाज पर खर्च करेंगे.
अब से पहले क्या थे गोल्डन वीजा के रूल
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने 2019 में “गोल्डन वीजा” नाम का एक खास वीजा सिस्टम शुरू किया था. इसका मकसद था कि दुनियाभर से निवेशक, स्टार्टअप वाले, प्रोफेशनल्स (जैसे डॉक्टर, साइंटिस्ट, आर्टिस्ट) जैसे लोग लंबे समय तक यूएई में रह सकें. उस समय गोल्डन वीजा पाने के लिए कुछ सख्त शर्तें थीं. शर्तें जैसे कि किसी को यूएई में कम से कम AED 2 मिलियन यानी लगभग 4.66 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदनी पड़ती थी और उसे 3 साल तक अपने पास रखना जरूरी होता था. या फिर किसी इन्वेस्टमेंट फंड या बिज़नेस में इतना ही पैसा लगाना पड़ता था और ये साबित करना पड़ता था कि ये पैसा उधार का नहीं है.
इसके अलावा हर साल सरकार को AED 250,000 यानी 58 लाख रुपये का टैक्स देना होता था. उद्यमियों के लिए भी नियम सख्त थे, जैसे अगर उनका बिज़नेस टेक्नोलॉजी या इनोवेशन से जुड़ा हो और उसकी वैल्यू कम से कम 1.17 करोड़ रुपये हो, तभी वे इस वीजा के पात्र माने जाते थे. इसके लिए उन्हें यूएई की सरकारी एजेंसियों से कई तरह के सर्टिफिकेट और अप्रूवल भी लेने होते थे. प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को भी सरकारी मंत्रालयों से लाइसेंस या सिफारिश पत्र लेना होता था.
गोल्डन वीजा लेने वालों को अपने पति/पत्नी, बच्चों और घरेलू स्टाफ को भी साथ लाने की अनुमति थी. इसकी वैधता 5 या 10 साल की होती थी और इसे रिन्यू भी किया जा सकता था. खास बात ये थी कि वीजा धारक अगर 6 महीने से ज्यादा यूएई से बाहर भी रहते तो भी उनका वीजा रद्द नहीं होता था, जो आम वीजा में नहीं होता.
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