Last Updated:January 16, 2025, 16:31 ISTफिक्की ने अर्थशास्त्रियों के बीच कराए एक सर्वे में 2024-25 के लिए 6.4 प्रतिशत की वार्षिक औसत जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है.नई दिल्ली. देश की दिग्गज उद्योग संस्था FICCI (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) ने चालू वित्त वर्ष (2024-25) के लिए भारत के वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है. इसकी सबसे बड़ी वजह अर्थशास्त्रियो के एक सर्वे में निकलकर आई. दरअसल, अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपेक्षित प्रभाव पर अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए अर्थशास्त्रियों ने भारत सहित अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों के लिए निर्यात, विदेशी पूंजी प्रवाह और उत्पादन लागत के मोर्चे पर अल्पकालिक व्यवधानों की संभावना का संकेत दिया है.
इससे पहले उद्योग मंडल ने भारतीय अर्थव्यवस्था के सात प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया था. फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (फिक्की) के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण के अनुसार, संशोधित अनुमान व्यापक अपेक्षाओं के अनुरूप है. फिक्की का ताजा अनुमान 2023-24 में दर्ज वृद्धि दर की तुलना में काफी कम है. बीते वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही थी.
सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने दी राय
यह सर्वेक्षण दिसंबर, 2024 में आयोजित किया गया था और इसमें उद्योग, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख अर्थशास्त्रियों से बातचीत की गई थी. भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों ने 2025 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में उचित वृद्धि के संकेत के साथ-साथ सावधानी बरतने की बात भी कही. अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपेक्षित प्रभाव पर अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए अर्थशास्त्रियों ने भारत सहित अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों के लिए निर्यात, विदेशी पूंजी प्रवाह और उत्पादन लागत के मोर्चे पर अल्पकालिक व्यवधानों की संभावना का संकेत दिया.
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि कर कटौती (व्यक्तिगत और कारोबारी) की संभावना से अमेरिका का राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है, जबकि उच्च शुल्क और सख्त इमिग्रेशन नियम, लेबर कॉस्ट और मुद्रास्फीति को बढ़ा सकते हैं.
इसके जवाब में फेडरल रिजर्व नीतिगत दरों में अनुमान से कम कटौती कर सकता है. इससे भारत समेत उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह कम हो सकता है, जिससे रुपये में उतार-चढ़ाव हो सकता है. संभावित अमेरिकी-चीन व्यापार संघर्ष सहित व्यापार तनाव, अल्पावधि में आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित कर सकते हैं और उत्पादन की लागत बढ़ा सकते हैं. हालांकि, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अमेरिका, भारत के प्रति एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगा.
एक फरवरी को पेश होने वाला 2025-26 का केंद्रीय बजट वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और धीमी होती घरेलू वृद्धि के बीच आ रहा है. इसे देखते हुए अर्थशास्त्रियों ने अपनी उम्मीदें साझा कीं हैं, जो आगामी बजट में सरकार की नीति को आकार दे सकती हैं.
(भाषा से इनपुट के साथ)
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :January 16, 2025, 16:31 ISThomebusinessभारत को भी आर्थिक चोट पहुंचा सकते हैं ट्रंप! अर्थशास्त्रियों को लग रहा है डर
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