डोनाल्‍ड ट्रंप का टैरिफ अमेरिकियों को याद दिला रहा नानी, घर बिक रहे न फ्लाइट टिकट, आटा-दाल भी महंगा

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Last Updated:May 16, 2025, 11:32 ISTडोनाल्‍ड ट्रंप की टैरिफ नीति अमेरिका पर भारी पड़ने लगी है. देश में महंगाई बढने से लोग खर्च करने से कतराने लगे हैं. इससे मांग कमजोर हुई है और मंदी की आशंका बढ गई है. अप्रैल में अमेरिकी प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्‍स पांच साल के उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गया. हाइलाइट्सट्रंप की टैरिफ नीति से अमेरिका में महंगाई बढ़ी.हवाई यात्रा और होटल की मांग में भारी गिरावट.रिटेल कीमतों में इजाफा, घरों की बिक्री में गिरावट.नई दिल्‍ली. अपनी जिस आक्रामक टैरिफ नीति के बल पर डोनाल्‍ड ट्रंप अमेरिका को फिर से ‘महान’ बनाने का सपना देख रहे हैं, वह अब यूएस के लिए ही जी का जंजाल बन गई है. अमेरिका की घरेलू अर्थव्यवस्था पर ट्रंप द्वारा दूसरे देशों पर थोपे गए भारी-भरकम आयात शुल्‍क का असर साफ देखा जा रहा है. अमेरिकी श्रम विभाग के ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल माह में अमेरिका में उत्पादक मूल्य सूचकांक (Producer Prices Index) में भारी गिरावट आई है. यह गिरावट पिछले पांच वर्षों में सबसे बड़ी है. यह इस बात का संकेत है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर मंदी के घने बादल मंडरा रहे हैं. होटल और हवाई यात्रा की मांग गिर रही है. आम अमेरिकी महंगाई के डर से अब खर्च करने से कतरा रहा हैं. वालमार्ट, प्रोक्‍टर एंड गैंबल और फोर्ड जैसी कंपनियों ने अपने प्रोडक्‍ट्स की कीमतों में टैरिफ की वजह से इजाफा कर दिया है.

अर्थशास्त्रियों की उन आशंकाओं को सही साबित किया है, जिसमें कहा गया था कि ट्रंप की संरक्षणवादी व्यापार नीतियां अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ से न सिर्फ आयातित सामग्रियों की लागत बढ़ी है, बल्कि कंपनियां इन बढ़ी हुई लागतों को ग्राहकों पर डालने के बजाय खुद झेल रही हैं, जिससे उनका मुनाफा प्रभावित हो रहा है. ट्रंप प्रशासन द्वारा टैरिफ में कुछ राहत दिए जाने के बावजूद मौजूदा हालात यह संकेत देते हैं कि अमेरिकी कंपनियां और आम जनता इस नीति के प्रभाव से जूझ रहे हैं. यदि शीघ्र ठोस नीतिगत बदलाव नहीं किए गए, तो अमेरिका की अर्थव्यवस्था को एक गंभीर मंदी का सामना करना पड़ सकता है.

मांग में गिरावट

रिपोर्ट के अनुसार, सर्विसेज की लागत में 2009 के बाद से सबसे अधिक गिरावट आई है. इसका मुख्य कारण एयरलाइन टिकट और होटल आवास जैसी सेवाओं की मांग में भारी गिरावट है. इस गिरावट का बड़ा हिस्सा व्यापारिक सेवाओं से जुड़ा है, जिसमें थोक और खुदरा विक्रेताओं द्वारा प्राप्त मार्जिन में परिवर्तन शामिल है. केवल व्यापारिक सेवाओं में ही 1.6% की गिरावट दर्ज की गई, जो कुल सेवाओं की कीमतों में दो-तिहाई से अधिक गिरावट के लिए जिम्मेदार है. होटल और मोटल के किरायों में 3.1% की गिरावट आई, वहीं एयरलाइन किरायों में 1.5% और पोर्टफोलियो प्रबंधन शुल्क में 6.9% की भारी कमी देखी गई.

रिटेल कीमतों में इजाफा

इस बीच खुदरा बाजार में भी इसका असर दिखने लगा है. देश की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी Walmart ने टैरिफ के कारण कई उत्पादों की कीमतें बढ़ाने की घोषणा की है. कंपनी के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर जॉन डेविड रेनी ने कहा कि, “हम हमेशा कीमतों को कम रखने का प्रयास करते हैं, लेकिन बढ़ते टैरिफ के कारण अब हमारी क्षमता की भी एक सीमा है.” उन्होंने स्पष्ट किया कि फल, सब्जियां, फर्नीचर जैसे उत्पाद अब उपभोक्ताओं को महंगे दामों पर मिलेंगे. वॉलमार्ट के अलावा प्रोक्‍टर और गेंबल और फोर्ड जैसी कंपनियां भी अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ा चुकी हैं.

रियल एस्‍टेट का बुरा हाल

हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में अमेरिका में घरों की बिक्री में 5.9% की गिरावट देखी गई. नेशनल एसोसिएशन ऑफ रियाल्टर्स (NAR) के मुताबिक, मौजूदा ऊंची मॉर्गेज दरें मकान खरीदने वालों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई हैं. NAR के मुख्य अर्थशास्त्री लॉरेंस युन ने कहा, “महंगाई और ब्याज दरों के कारण आम नागरिक घर खरीदने या बेचने से हिचक रहे हैं.”

मंदी की आशंका को और बल तब मिला जब जेपी मॉर्गन चेस ने एक रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2025 में अमेरिका के मंदी में जाने की संभावना 60 प्रतिशत तक है. रिपोर्ट में कहा गया कि व्यापार नीतियों में अनिश्चितता, घरेलू राजकोषीय मुद्दे, शेयर बाजार में भारी गिरावट और जनता के भरोसे में आई कमी से यह स्पष्ट है कि अमेरिका को आर्थिक संकट से बचाना अब बेहद कठिन होता जा रहा है.

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