Last Updated:March 17, 2025, 15:06 ISTबैंक ऑफ इंग्लैंड से सोना निकासी में बिलंब हो रहा है, जिससे वैश्विक बाजार प्रभावित हो रहे हैं. निवेशक ट्रंप के टैरिफ के डर से सोना न्यूयॉर्क भेज रहे हैं. भारत पर भी बढ़ती कीमतों का असर पड़ सकता है.हाइलाइट्सबैंक ऑफ इंग्लैंड से सोना निकालने में देरी हो रही है.सोने की कीमतों में तेजी से भारत पर असर पड़ सकता है.निवेशक सोना न्यूयॉर्क भेज रहे हैं, जिससे आपूर्ति प्रभावित हो रही है.बैंक ऑफ इंग्लैंड (BoE) से हाल के महीनों में बड़ी मात्रा में सोना निकाला जा रहा है. निवेशकों को आशंका है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोने के आयात पर टैरिफ लगा सकते हैं. इससे बचने के लिए ट्रेडर्स ने पहले से ही सोने को लंदन से न्यूयॉर्क भेजना शुरू कर दिया है. भेजने की यह प्रक्रिया काफी धीमी है, जिससे सोने की आपूर्ति प्रभावित हो रही है और कीमतें बढ़ रही हैं. लेकिन मुख्य सवाल यहीं उठता है कि यह प्रोसेस इतना धीमा क्यों है? सवाल उठ रहे हैं कि क्या जिसके पास दुनिया में अपना सोना सुरक्षित रखा था, क्या उसके पास अब उतना सोना नहीं है कि लौटाया जा सके?
सवाल तो काफी हैं, लेकिन इसका असर वैश्विक बाजारों पर दिख रहा है. सोने की कीमतों में तेजी आने से भारत जैसे देशों पर असर पड़ सकता है, क्योंकि भारत दुनिया में सोने का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. अगर लंदन में सोने की उपलब्धता कम होती है, तो भारत को ऊंची कीमतों पर सोना खरीदना पड़ सकता है.
पूरी कहानी कुछ यूं हैबैंक ऑफ इंग्लैंड दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड कस्टोडियन में से एक है. यहां से पिछले कुछ महीनों में गोल्ड रिजर्व में एक असामान्य कमी आई है. याहू फाइनेंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, हजारों गोल्ड बार BoE के वॉल्ट्स से निकाले गए हैं.
व्यापारी गोल्ड को लंदन से न्यूयॉर्क की तरफ भेज रहे हैं. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इससे लॉजिस्टिकल समस्याएं पैदा हो गई हैं, जिसके कारण गोल्ड निकासी का समय कुछ दिनों से बढ़कर कई हफ्तों तक पहुंच गया है. इस स्थिति ने 400-ट्रॉय-औंस बार की कमी भी पैदा कर दी है, जो लंदन में मानक हैं, क्योंकि न्यूयॉर्क की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इन्हें पिघलाकर दोबारा ढाला जा रहा है.
ऐसा क्यों हो रहा है?निकासी में यह उछाल इस अटकलबाजी से प्रेरित है कि भविष्य में ट्रम्प प्रशासन गोल्ड आयात पर टैरिफ लगा सकता है, जिससे गोल्ड को एक देश से दूसरे में ले जाना (खासकर अमेरिका में) महंगा हो जाएगा. बाजार के प्रतिभागी विशेष रूप से बुलियन बैंक और हेज फंड, इस संभावित लागत से बचने के लिए गोल्ड को न्यूयॉर्क में ट्रांसफर कर रहे हैं.
कुछ जरूरी प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न: बैंक ऑफ इंग्लैंड गोल्ड विवाद क्या है?उत्तर: 17 मार्च 2025 तक ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट किया कि बैंक ऑफ इंग्लैंड, जो 400,000 से अधिक गोल्ड बार (लगभग 5,000 मीट्रिक टन) स्टोर करता है, अपने वॉल्ट्स से गोल्ड निकालने में देरी के कारण जांच के दायरे में है. ब्लूमबर्ग ने बताया कि वेटिंग टाइम आठ हफ्तों तक बढ़ गया है, जो सामान्य दिनों से कहीं अधिक है, जिससे प्रबंधन और इसके रिजर्व की सोने के सच में मौजूद होने पर भी सवाल पैदा करता है. बता दें कि बैंक ऑफ अमेरिका यूके की सरकार, विदेशी केंद्रीय बैंकों और अपने कमर्शियल कस्टमर्स के लिए सोने को स्टोर करता है.
प्रश्न: ये देरी अब क्यों हो रही है?उत्तर: रॉयटर्स ने रिपोर्ट किया कि 2024 के अंत में सोना निकालने के अनुरोधों में उछाल आया, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शासन के तहत टैरिफ और लंदन और न्यूयॉर्क बाजारों के बीच कीमत के अंतर के डर से प्रेरित था. फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया कि बैंक इस देरी के लिए लॉजिस्टिकल चुनौतियों को एक कारण बताता है. उसने कहा है कि गोल्ड की भौतिक प्रकृति के लिए सेफ ट्रांसपोर्टेशन और ब्रिंक्स जैसी फर्मों के साथ समन्वय की आवश्यकता होती है, जो अत्यधिक व्यस्त हैं.
प्रश्न: क्या बैंक के पास पर्याप्त सोना नहीं है? कोई सबूत है?उत्तर: अभी तक ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है, लेकिन इस पर चर्चाएं जारी हैं. बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, सोना खास मालिकों के नाम पर सुरक्षित रखा जाता है. बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर एंड्रयू बेली ने 2025 की शुरुआत में कहा था कि हाल ही में बैंक के कुल सोने का सिर्फ 2% ही इधर-उधर हुआ है. हालांकि, फाइनेंशियल एक्सपर्ट पीटर शिफ ने मार्च 2025 में एक पॉडकास्ट में कहा कि बैंक अपने सोने का कुछ हिस्सा लीज पर दे सकता है या आंशिक रिजर्व प्रणाली अपना सकता है, जिससे इसकी उपलब्धता कम हो सकती है.
प्रश्न: क्या पहले भी ऐसा हुआ है?उत्तर: हां, पहले भी ऐसे मामले सामने आए हैं. बीबीसी की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, वेनेजुएला को बैंक से अपना सोना वापस लेने में कई साल लग गए और इसे राजनयिक दबाव के बाद ही हासिल किया जा सका. जर्मनी ने भी 2017 में खुलासा किया कि उसे लंदन समेत विदेशी वॉल्ट्स से अपना सोना वापस लाने में लगभग 10 साल लग गए थे.
प्रश्न: बैंक इस बारे में क्या कह रहा है?उत्तर: बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर एंड्रयू बेली ने 2025 में कहा कि लंदन दुनिया के 10 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 830 लाख करोड़ रुपये) के सोना बाजार में अहम भूमिका निभा रहा है और हाल ही में हुए बदलाव इसके कुल स्टॉक का सिर्फ 2 फीसदी हैं. बैंक के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि किसी भी देरी का कारण सुरक्षा और शिपिंग से जुड़ी समस्याएं हैं, न कि सोने की कमी.
प्रश्न: इसका वैश्विक सोना बाजार पर क्या असर पड़ सकता है?उत्तर: ब्लूमबर्ग ने मार्च 2025 में बताया कि लंदन में सोने की उपलब्धता कम होने से बाजार में लिक्विडिटी प्रभावित हुई है. एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार, अगर लंदन में भरोसा कम होता है, तो निवेशक दुबई जैसे अन्य केंद्रों की ओर रुख कर सकते हैं या देश अपने सोने को खुद ही सुरक्षित रखने पर जोर दे सकते हैं.
प्रश्न: भारत पर इसका क्या असर होगा?उत्तर: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड उपभोक्ता है. भारत ने 2024 में 800 टन सोना आयात किया था. वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लंदन में सोने की उपलब्धता में दिक्कतें आती हैं, तो भारत को दुबई जैसे बाजारों से आयात पर निर्भर होना पड़ सकता है, जिससे लागत बढ़ सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक के पास 800 टन सोने का भंडार है, जिसमें से 100 टन बैंक ऑफ इंग्लैंड में रखा गया है. 2024 में 100 टन सोना वापस लाया गया था, जिसे विशेषज्ञों ने भू-राजनीतिक जोखिमों से जोड़ा है.
प्रश्न: क्या इससे सोने की वैश्विक मांग पर असर पड़ेगा?उत्तर: एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक, रूस और तुर्की जैसे देश इस स्थिति को देखते हुए अपने क्षेत्रीय सोना बाजार को मजबूत कर सकते हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रुपये के कमजोर होने से सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है, क्योंकि यहां सोने का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व बहुत ज्यादा है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :March 17, 2025, 12:34 ISThomebusinessकोई घालमेल तो नहीं?जिसकी रखवाली में दुनिया ने रखा सोना, लौटाने में कर रहा देरी
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