खूब भरा सरकार का खजाना, डायरेक्‍ट टैक्‍स से आए 25.86 लाख करोड़

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Last Updated:March 18, 2025, 15:21 ISTचालू वित्त वर्ष में 16 मार्च तक देश के प्रत्यक्ष कर संग्रह में 16.2% की वृद्धि हुई है, जो 25.86 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. कॉर्पोरेट टैक्स, पर्सनल इनकम टैक्स और एसटीटी में भी वृद्धि हुई है.कर संग्रह में उछाल एक मजबूत व्यापक आर्थिक वित्तीय स्थिति को दर्शाता है.हाइलाइट्सप्रत्यक्ष कर संग्रह 25.86 लाख करोड़ रुपये पहुंचा.कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन 12.40 लाख करोड़ रुपये हुआ.पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन 12.90 लाख करोड़ रुपये हुआ.नई दिल्ली. चालू वित्त वर्ष में 16 मार्च तक देश के प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 16.2 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि दर्ज की गई है, और यह 25.86 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. प्रत्यक्ष करों में कॉर्पोरेट टैक्स, पर्सनल इनकम टैक्स और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स शामिल हैं.

चालू वित्त वर्ष में 16 मार्च तक कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन बढ़कर 12.40 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 10.1 लाख करोड़ रुपये था. पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 10.91 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 12.90 लाख करोड़ रुपये हो गया.

एसटीटी कलेक्‍शन भी बढासिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) कलेक्शन में भी तीव्र वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 34,131 करोड़ रुपये की तुलना में 53,095 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. संपत्ति कर सहित अन्य करों में मामूली गिरावट देखी गई, जो 3,656 करोड़ रुपये से घटकर 3,399 करोड़ रुपये रह गया. रिफंड में 32.51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 4.6 लाख करोड़ रुपये हो गया. रिफंड घटाने के बाद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 21.26 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 18.8 लाख करोड़ रुपये से 13.13 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.

मजबूत वित्‍तीय स्थिति का परिचायककर संग्रह में उछाल एक मजबूत व्यापक आर्थिक वित्तीय स्थिति को दर्शाता है, जिसमें सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश करने के लिए अधिक धन जुटा रही है. यह राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने में भी मदद करता है. कम राजकोषीय घाटे का मतलब है कि सरकार को कम उधार लेना पड़ता है, जिससे बड़ी कंपनियों के लिए बैंकिंग सिस्टम में उधार लेने और निवेश करने के लिए अधिक पैसा बचता है. इससे आर्थिक विकास दर में वृद्धि होती है और अधिक रोजगार सृजन होता है. इसके अलावा, कम राजकोषीय घाटा मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित रखता है, जिससे अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत होती है और स्थिरता के साथ विकास सुनिश्चित होता है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :March 18, 2025, 15:20 ISThomebusinessखूब भरा सरकार का खजाना, डायरेक्‍ट टैक्‍स से आए 25.86 लाख करोड़

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