Last Updated:February 01, 2025, 22:02 ISTBudget Income Tax: निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में इनकम टैक्स की छूट सीमा को मौजूदा के सात लाख रुपए से बढ़ाकर 12 लाख रुपए सालाना कर दिया है. यानी जिन लोगों की आय 12 लाख रुपए सालाना है, उन्हें अ…और पढ़ेंपीएम मोदी ने आम बजट के लिए निर्मला सीतारमण की तारीफ की है. (फाइल फोटो)हाइलाइट्सआम बजट में आयकर छूट सीमा 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख की गई.अब 12 लाख तक की आय पर अब कोई टैक्स नहीं देना होगा.वेतनभोगी वर्ग को 75 हजार का अतिरिक्त लाभ मिलेगा.नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार ने 2014 में एनडीए सरकार द्वारा शुरू की गई सैलेरी वर्ग के लोगों को आयकर में राहत देने की व्यवस्था को जारी रखते हुए इनकम टैक्स छूट की सीमा में बड़ी छलांग लगाई है. यह यूपीए की तरफ से करदाताओं को छोटी-छोटी राहत देने की प्रथा से बिल्कुल अलग नजर आ रही है. दरअसल, केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया गया और इसमें आयकर दाताओं को राहत देते हुए घोषणा की गई कि 12 लाख रुपये तक की कुल आय तक कोई आयकर देना नहीं होगा. नई कर व्यवस्था के तहत जो लोग अपने आयकर का भुगतान करते हैं, उनके लिए जो राहत दी गई, उसके अनुसार अब प्रति माह 1 लाख रुपए की औसत आय वाले लोगों को कोई कर नहीं देना पड़ेगा.
वहीं, वेतनभोगी वर्ग को इसके अलावा 75 हजार रुपए का और अतिरिक्त लाभ कर सीमा की छूट में मिलेगा, मतलब वह 12.75 लाख तक अब कर नहीं देना होगा, यानी नई कर व्यवस्था के तहत आयकर छूट सीमा 7 लाख रुपए प्रति वर्ष से बढ़ाकर 12 रुपए प्रति वर्ष किया गया है. यूपीए सरकार के तहत, 2005 में आयकर छूट सीमा 1 लाख रुपए थी और 2012 में इस छूट सीमा को दोगुना करके 2 लाख रुपए करने में मनमोहन सिंह सरकार को सात साल लग गए.
वेतनभोगी, मध्यम वर्ग के करदाताओं की लंबे समय से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी की सरकार ने 2014 में आयकर छूट सीमा को 25 प्रतिशत बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दिया था. मोदी 2.0 की शुरुआत 2019 में मध्यम वर्ग के करदाताओं के लिए एक और मेगा बोनस के साथ हुई, जिसमें आयकर छूट सीमा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई.
वहीं, मोदी सरकार के प्रयास के तहत वित्त वर्ष 2020-21 में करदाताओं को बिना किसी सामान्य कटौती और छूट के कम कर दरों की पेशकश करने के लिए कम जटिल नई कर व्यवस्था की शुरुआत की गई. इसके बाद इस व्यवस्था के तहत 2023 में, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने छूट की सीमा 2 लाख रुपये बढ़ा दी, जिससे नई व्यवस्था के तहत आयकर छूट सीमा प्रभावी रूप से 7 लाख रुपए हो गई.
अब इसको ऐसे समझते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करते हुए व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दिया था. इसका मतलब यह था कि जो व्यक्ति 2.5 लाख तक की सालाना आय कमाते थे, उन्हें टैक्स नहीं देना पड़ेगा. वहीं, इसी बजट में वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दी गई थी. इसके अलावा, टैक्स में छूट प्राप्त करने के लिए सेक्शन 80सी की सीमा 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपए कर दी गई थी.
इसके बाद मोदी सरकार का 2020 का बजट ऐतिहासिक था, क्योंकि इसमें सरकार एक नया आयकर स्लैब लेकर आई, इस स्लैब में करदाताओं को यह विकल्प दिया गया कि वे पुराने स्लैब में छूट और डिडक्शन के साथ रहें या नए स्लैब में कम कर दरों के साथ बिना छूट के रहें. 2023 में सरकार ने एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया, जिसमें नए आयकर स्लैब के तहत 7 लाख रुपए तक के आय वाले करदाताओं के लिए टैक्स रिबेट की सीमा बढ़ा दी. इससे उन करदाताओं को राहत मिली, जिनकी आय 7 लाख रुपये तक थी. इसके साथ ही, नया टैक्स स्लैब लागू किया गया, जिसमें 50,000 रुपए की मानक कटौती भी लागू की गई.
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मोदी सरकार ने आयकर व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए, नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब में सुधार किया गया, जिसमें 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगाया गया, जबकि पहले यह सीमा 5 लाख रुपए थी. इसके अलावा, 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत, 12 लाख रुपए तक की आय पर 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपए तक की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स की व्यवस्था की. इसके बाद निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जो बजट पेश किया, उसमें नई कर व्यवस्था के तहत आयकर छूट सीमा 7 लाख रुपए प्रति वर्ष से बढ़ाकर 12 रुपए प्रति वर्ष करने का ऐलान कर दिया.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :February 01, 2025, 22:02 ISThomebusinessटैक्स छूट को 2 लाख करने में UPA को 7 साल लगे, कैसे मोदी सरकार ने पलट दिया खेल
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