DGCA में ये कैसा संकट…बस आधे टेक्निकल स्‍टाफ से चल रहा काम

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DGCA News: देश के एविएशन रेगुलेटर DGCA को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. DGCA तकरीबन आधे टेक्निकल स्‍टाफ के साथ काम कर रहा है. फ्लाइट ऑपरेशन इंस्‍पेक्‍टर से लेकर एयरोनॉटिकल इंजीनियर तक के पद खाली पड़े हैं. ऐसे में फ्लाइट ऑपरेशंस और पैसेंजर्स की सेफ्टी पर गंभीर सवाल उठे हैं. बता दें कि DGCA ही वह संस्‍था है जो एविएशन सेक्‍टर में सेफ्टी ऑडिट करता है और उसमें सुधार करने का निर्देश देता है. टेक्निकल स्‍टाफ में घोर कमी की वजह से विमानों के संचालन की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठना लाजमी है. बता दें कि जून में अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट टेकऑफ करते ही क्रैश हो गई थी. इस हादसे में 260 लोग मारे गए थे. उसके बाद अब DGCA में टेक्निकल स्‍टाफ की कमी की बात सामने आई है.

भारत की एविएशन इंडस्ट्री भले ही दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती हवाई सेवाओं में गिनी जाती हो, लेकिन देश की विमानन सुरक्षा नियामक संस्था DGCA (Directorate General of Civil Aviation) गहरे संकट से जूझ रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, DGCA के पास उसकी आवश्यकता का केवल 50% तकनीकी स्टाफ ही मौजूद है. कुल 1,063 तकनीकी पदों में से 48% यानी 510 पद खाली हैं, जिससे भारत की विमानन सुरक्षा और निगरानी संबंधी कार्य प्रभावित हो रहे हैं. DGCA की जिम्मेदारियां बेहद व्यापक हैं – एयरलाइनों के संचालन की निगरानी से लेकर हवाई अड्डों के प्रमाणन तक. इसके तकनीकी अधिकारियों की भूमिका बेहद अहम होती है, जो विमानों की एयरवर्दिनेस जांच, ऑपरेशनल सर्वेइलेंस और सुरक्षा ऑडिट जैसे कार्यों को अंजाम देते हैं.

बढ़ती उड़ानों के बीच घटते संसाधन

यह संकट ऐसे समय में सामने आया है जब भारत में विमानन क्षेत्र में बूम देखने को मिल रहा है. कोरोना महामारी के बाद भारत, अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन चुका है. लेकिन, हाल ही में एयर इंडिया फ्लाइट 171 की दुर्घटना (जिसमें 260 लोगों की मौत हो गई थी) ने सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ऐसे में DGCA में विशेषज्ञ अधिकारियों की भारी कमी चिंता का विषय बन गई है. ‘हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स’ की रिपेार्ट के अनुसार, साल 2022 में सरकार ने DGCA के लिए 400 नए पद मंजूर किए थे, लेकिन अब तक उन्हें भरा नहीं जा सका है. ये खाली पद फ्लाइट ऑपरेशन इंस्पेक्टर, एयरवर्दिनेस ऑफिसर, एयर सेफ्टी ऑफिसर और एरोनॉटिकल इंजीनियर जैसे महत्वपूर्ण पद हैं, जो विमानन सुरक्षा की पहली पंक्ति में होते हैं.

सीनियर पोस्‍ट भी खाली

तकनीकी कर्मचारियों के अलावा DGCA में वरिष्ठ नेतृत्व का भी घोर अभाव है. संस्था के 18 उप-महानिदेशक (DDG) पदों में से सभी खाली हैं, जिनमें से कई पद पांच वर्षों से अधिक समय से खाली पड़े हैं. इसके चलते न केवल वर्तमान कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है, बल्कि अगली नेतृत्व पीढ़ी तैयार करने में भी बाधा आ रही है. एक पूर्व DGCA अधिकारी ने कहा, ‘DDG के खाली पदों के कारण JDG (ज्वाइंट डायरेक्टर जनरल) के लिए योग्य लोग नहीं मिल पा रहे हैं, क्योंकि इसके लिए कम से कम तीन साल का DDG अनुभव जरूरी होता है.’

संसद की स्‍थाई समिति की बैठक में चर्चा

इन समस्याओं को लेकर 9 जुलाई को संसदीय स्थाई समिति की बैठक में भी विमर्श हुआ. इसमें अधिकारियों की कमी, धीमी भर्ती प्रक्रिया और DGCA की सीमित स्वायत्तता पर चिंता जताई गई. वर्तमान में DGCA नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन एक सांविधिक संस्था है, जिसकी वित्तीय और भर्ती शक्तियां सीमित हैं. वहीं, अमेरिका की FAA और यूरोप की EASA जैसी संस्थाएं काफी हद तक स्वायत्त और स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं, जिससे वे नीतिगत फैसले तेजी से ले पाती हैं. एक अधिकारी ने बताया कि अगर आप दिल्ली पुलिस से सभी DCP हटा दें और केवल कमिश्‍नर और इंस्‍पेक्‍टर बचें, तो सिस्टम कैसे चलेगा? DGCA की स्थिति भी कुछ वैसी ही है. पूर्व संयुक्त महानिदेशक जेएस रावत ने कहा कि सरकार को योग्य विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए प्रतिस्पर्धी वेतन और सुविधाएं देनी चाहिए. भारत का विमानन क्षेत्र जिस गति से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए DGCA को उसी अनुपात में संसाधन और विशेषज्ञता मुहैया करानी होगी.

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