Last Updated:March 23, 2025, 18:47 ISTDelhi Budget News: दिल्ली में नवनियुक्त रेखा गुप्ता सरकार 25 मार्च 2025 को अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश करेगी. समाज और बिजनेस क्लास के हर तबके को इससे बहुत सारी उम्मीदें हैं. बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली की…और पढ़ेंरेखा गुप्ता सरकार अपना पहला बजट पेश करने वाली है. शराब कारोबारियों को इससे काफी उम्मीद है. (फाइल फोटो/पीटीआई)हाइलाइट्सदिल्ली सरकार 25 मार्च को पेश करेगी बजटशराब कारोबारियों को नई सरकार से उम्मीदलेवल प्लेइंग फील्ड मुहैया कराने की डिमांडनई दिल्ली. देश की राजधानी में भाजपा की सरकार बने हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है. रेखा गुप्ता की अगुआई वाली सरकार अब अपना पहला बजट पेश करने वाली है. 25 मार्च 2025 को दिल्ली विधानसभा में बजट पेश किया जाएगा, जबकि 24 मार्च से सदन का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है. आमलोगों के साथ ही कारोबार जगत के लोगों को भी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से काफी उम्मीदें हैं. बता दें कि पूर्व में दिल्ली की शराब नीति काफी विवादों में रही, जिस वजह से इस सेक्टर को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा. अब शराब कारोबारियों को रेखा गुप्ता की सरकार से काफी उम्मीदें हैं. बजट से पहले शराब कारोबारियों ने डोमेस्टिक ब्रांड के लिए समान अवसर मुहैया कराने की मांग की है, ताकि घरेलू शराब ब्रांड भी दिल्ली में अपनी जगह बना सके.
दिल्ली में इंपोर्टेड ब्रांडों से मुकाबला कर रहे प्रीमियम शराब के घरेलू निर्माताओं को उम्मीद है कि नई सरकार उन्हें समान अवसर प्रदान करेगी, जिससे राजधानी में स्थानीय शराब की बेहतरीन किस्मों के लिए द्वार खुलेंगे. शराब उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि दिल्ली में नई सरकार के आने के बाद शराब के शौकीनों को उम्मीद है कि वे एक बार फिर घरेलू सिंगल-माल्ट व्हिस्की, वाइन और जिन जैसे बेहतरीन इंडियन अल्कोहल का स्वाद ले सकेंगे. उन्होंने दावा किया कि मौजूदा एक्साइज पॉलिसी के तहत हाई ब्रांड-लाइसेंस फी ने इंडियन अल्कोहल मैन्यूफैक्चरर को दिल्ली के बाजार से बाहर रहने के लिए मजबूर किया है. कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बीव्रेज कंप्नीज के डायरेक्टर जनरल अनंत अयर ने कहा कि दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी इंपोर्टेड अल्कोहल ब्रांडों का पक्ष लेती है. आज दिल्ली में घरेलू ब्रांडों को पेश करना बहुत महंगा और अव्यावहारिक है, खासकर प्रीमियम भारतीय ब्रांड, जिनका सेल वॉल्यूम कम है.
समान अवसर की मांगअनंत अय्यर ने आगे कहा, ‘हम दिल्ली सरकार से लगातार आग्रह कर रहे हैं कि हमें समान अवसर प्रदान किए जाएं. हम चाहते हैं कि बाजार में हेल्दी कॉम्प्टीशिन बनी रहे. सरकार को घरेलू मादक पेय पदार्थों पर वही ब्रांड-लाइसेंस शुल्क देना चाहिए, जो इंपोर्टेड ब्रांड्स को दिया गया है. यह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुकूल भी है और इसे साकार करने के लिए यह जरूरी है कि सरकार डोमेस्टिक ब्रांड के साथ खड़ी हो जो 50 लाख किसानों का सपोर्ट करती है. एक्सपर्ट की मानें तो हाई रजिस्ट्रेशन कॉस्ट उचित नहीं है, क्योंकि बड़ी संख्या में हाई-एंड प्रोडक्ट जैसे भारतीय सिंगल-माल्ट व्हिस्की, वाइन और जिन राष्ट्रीय राजधानी में उपलब्ध नहीं हैं.
क्या कहते हैं इंडस्ट्री एक्सपर्टअल्कोहन इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट ने कहा कि मौजूदा पॉलिसी के कारण दिल्ली में कंज्यूमर प्रीमियम भारतीय ब्रांड खरीदने में असमर्थ हैं और उन्हें पड़ोसी राज्यों में जाकर खरीदना पड़ता है. इससे दिल्ली सरकार को राजस्व का नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि मौजूदा शराब नीति के अनुसार, सभी भारतीय व्हिस्की को दिल्ली में बेचने के लिए प्रत्येक उत्पाद के लिए 25 लाख रुपये का ब्रांड-लाइसेंस शुल्क देना पड़ता है, लेकिन इंपोर्टेड उत्पादों (जिन्हें BIO या बोतलबंद मूल कहा जाता है) पर प्रत्येक ब्रांड के लिए केवल 50,000 रुपये से 3 लाख रुपये का लाइसेंस फी लिया जाता है. वहीं, भारतीय व्हिस्की के लिए ब्रांड-लाइसेंस शुल्क 25 लाख रुपये प्रति ब्रांड और रम, जिन और वोदका के लिए 12 लाख रुपये प्रति ब्रांड है. भारतीय ब्रांडी लाइसेंस शुल्क 8 लाख रुपये और बीयर के लिए 15 लाख रुपये प्रति ब्रांड है. तुलनात्मक रूप से इंपोर्टेड शराब के लिए लाइसेंस शुल्क व्हिस्की, रम, जिन, वोदका और ब्रांडी के पांच ब्रांडों के लिए 15 लाख रुपये और प्रत्येक अतिरिक्त ब्रांड के लिए 50,000 रुपये है. उन्होंने कहा कि इंपोर्टेड वाइन और लिकर ब्रांड के लिए लाइसेंस शुल्क 10 ब्रांडों के लिए 7 लाख रुपये और प्रत्येक अतिरिक्त ब्रांड के लिए 50,000 रुपये है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 23, 2025, 18:47 ISThomedelhi-ncrशराब कारोबारियों की CM रेखा गुप्ता से खास डिमांड, बजट में पूरी होगी मुराद?
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