डोनाल्ड ट्रंप के आते ही आई ‘आफत’, अमेरिका के पास भारत की तुलना में आधा हुआ विदेशी मुद्रा भंडार!

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डोनाल्ड ट्रंप के आते ही आई ‘आफत’, अमेरिका के पास भारत की तुलना में आधा हुआ विदेशी मुद्रा भंडार!

Last Updated:January 29, 2025, 09:43 ISTAmerica Forex Foreign Reserve: अमेरिका के पास केवल 250 अरब डॉलर का भंडार है. वहीं चीन के पास 3.2 ट्रिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. भारत के पास 623.9 अरब डॉलर और जापान के पास 1200 अरब डॉलर से अधिक का भंडा…और पढ़ेंअमेरिका के पास केवल 250 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है.हाइलाइट्सअमेरिका के पास केवल 250 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार.चीन के पास 3.2 ट्रिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है.भारत के पास 623.9 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है.एक आम धारणा है कि जिस देश के पास जितना अधिक विदेशी मुद्रा भंडार होगा उसकी आर्थिक सेहत उतनी ही अच्छी होगी. वह दुनिया में आर्थिक महाशक्ति कहलाएगा. इसमें काफी हद तक सच्चाई भी है. इस वक्त दुनिया में चीन एक बड़ी आर्थिक महाशक्ति है. वह अपने इशारों पर दुनिया को घुमाने की ताकत रखता है. उसके पास इस वक्त कुल 3.2 ट्रिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. यह राशि भारत की इकोनॉमी के बराबर है. भारत की अर्थव्यवस्था करीब 3.5 ट्रिलियन डॉलर की है और इसे मोदी सरकार पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इधर, 17 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के पास कुल विदेशी मुद्रा भंडार 623.9 अरब डॉलर रिकॉर्ड किया गया. इस हिसाब से देखें तो चीन के पास हमारी तुलना में पांच गुना से भी अधिक विदेशी मुद्रा भंडार है.

इस सूची में चीन के बाद दूसरे नंबर पर जापान है. इसके पास करीब 1.2 ट्रिलियन डॉलर का विदेश मुद्रा भंडार है. यानी भारत की तुलना में करीब-करीब दोगुना. तीसरे नंबर पर स्विटजरलैंड है. इसके पास करीब 950 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. इस सूची में चौथे नंबर पर अपना देश है. मजेदार बात यह है कि जिस अमेरिकी डॉलर के लिए पूरी दुनिया मरती है उसी अमेरिका के पास केवल 250 अरब डॉलर के करीब विदेशी मुद्रा भंडार है. यह बड़ा ही गड़बड़ स्थिति है.

ऐसी स्थिति क्योंइस सवाल पर आने से पहले हमें यह देखना होगा कि आखिर किसी देश के विदेशी मुद्रा भंडार की जरूरत क्यों है. दरअसल, हम सभी को पता है कि खरीद-बिक्री के लिए पैसों की जरूरत होती है. लेकिन, हमारा पैसा केवल हमारे देश में चलेगा. ऐसे में एक से अधिक देशों के बीच कारोबार के लिए एक ऐसी मुद्रा की जरूरत होती है जो दोनों को स्वीकार्य हो. ऐसी स्थिति में दुनिया के तमाम देश सबसे ताकतवर इकोनॉमी वाले देश की मुद्रा में लेनदेन करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उस मुद्रा के डूबने की संभावना सबसे कम होती है. यही कारण है कि दुनिया सबसे अधिक अमेरिकी डॉलर को स्वीकार करती है. इसके साथ यूरोपीय संघ की मुद्रा यूरो, पाउंड और सोने की भी खूब डिमांड रहती है.

अमेरिका के पास विदेशी भंडार इतना कम क्यों?महाशक्ति के रूप में चीन के उभरने के बावजूद अमेरिका आज भी दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है. आज भी इसकी बादशाहत कायम है. उसके पास घरेलू इकोनॉमी में अरबों-खरबों डॉलर पड़ा हुआ है. इस बात को इस तरह समझिए. अगर हमारा रुपया इतना ताकतवर होता कि पूरी दुनिया उसे हासिल करने की होड़ लगाती. हर देश रुपये में अपनी विदेशी मुद्रा भंडार रखते. रुपये में दुनिया के किसी भी देश में खरीद-बिक्री होती, तो क्या होता? क्या फिर हमें अपने पास रुपये के भंडार की जरूरत पड़ती? हमारे बैंकों में खरबों रुपये पड़े हैं. सरकार को जब जरूरत पड़ती वह उस पैसे से किसी अन्य देश के साथ आसानी से कारोबार कर सकती थी. यही कारण है कि अमेरिका खुद अपनी तिजोरी में डॉलर बंद करके नहीं रखता है. वह फॉरेक्स रिजर्व के तौर पर सोना और कुछ अन्य मुद्राएं रखता है, जिसकी डॉलर में वैल्यू करीब 250 अरब डॉलर है.

चीन से टकरावडोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका और चीन के रिश्ते और खराब होने की आशंका है. डोनाल्ड ट्रंप चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने की बात कह रहे हैं लेकिन, चीन इस वक्त दुनिया के बाजार पर हावी है. उसकी किफायती चीजें पूरी दुनिया के बाजार में छाई हुई हैं. ऐसी स्थिति में अमेरिका चाहकर भी बहुत कुछ नहीं कर सकता. वह 100 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाकर भी मुकाबला नहीं कर सकता है. चीन में बनी चीजों पर प्रतिबंध लगाकर ट्रंप अपने देश में महंगाई नहीं बढ़ाना चाहेंगे, क्योंकि अमेरिका के भीतर बनी चीजें चीन में बनी चीजों की तुलना में काफी महंगी हैं. दूसरी तरह कई देशों के साथ चीन अपनी मुद्रा में कारोबार कर रहा है. ऐसा इसलिए कि दुनिया के कई देश चीन की इनोकॉमी की बादशाहत को भी स्वीकार करने लगे हैं.
First Published :January 29, 2025, 09:43 ISThomeknowledgeट्रंप के आते ही ‘आफत’, अमेरिका के पास भारत की तुलना में आधा फॉरेक्स रिजर्व!

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