70 रुपये में मिलेगा लाखों का फायदा, कृत्रिम गर्भाधान से बहेगी दूध की नदियां, 95% बछड़ियों की गारंटी!

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Last Updated:July 16, 2025, 18:13 ISTAnimal Husbandry Scheme: बाड़मेर में कृत्रिम गर्भाधान से थारपारकर गाय और मुर्रा भैंस में 95% मादा बछड़ियां पैदा हो रही हैं. महज 70 रुपये में सीमन उपलब्ध है, जिससे दुग्ध उत्पादन बढ़ रहा है. पशुपालकों को महंगे जानवर…और पढ़ेंहाइलाइट्सबाड़मेर में 70 रुपये में कृत्रिम गर्भाधान उपलब्धथारपारकर गाय और मुर्रा भैंस में 95% मादा बछड़ियांदुग्ध उत्पादन बढ़ाने में कृत्रिम गर्भाधान का योगदानबाड़मेर. अब पशुपालकों को लाखों कमाने के लिए ना बड़े फार्म की जरूरत है और ना महंगे जानवरों की. महज 70 रुपये में कृत्रिम गर्भाधान करवाकर अब थार के पशुपालक दुग्ध उत्पादन में नया इतिहास रच रहे हैं. पश्चिम राजस्थान के सरहदी बाड़मेर में थारपारकर और मुर्रा नस्ल में कृत्रिम गर्भाधान से न केवल 95 फीसदी बछड़िया पैदा होगी बल्कि इससे पशुपालक नर नस्ल पर ब्रेक लगा सकते है.

पशुपालन विभाग की इस पहल से मुर्रा भैंस और थारपारकर गाय जैसी देश की बेहतरीन नस्लें अब स्थानीय खेतों-खलिहानों में दिख रही हैं. पशुपालन विभाग महज 70 रुपये में पशुपालकों को सीमन मुहैया करवा रहा है जिससे मुर्रा भैंस और थारपारकर गाय में 95 फीसदी बछड़िया पैदा हो रही है. उन्नत वीर्य से तैयार हो रही ये नई नस्लें न सिर्फ सेहतमंद हैं बल्कि इनसे मिलने वाला दूध भी ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण है.

बैल पालने की समस्या से मिलेगी निजात
खेतों की जुताई, परिवहन और अन्य कार्य में कभी उपयोग में आने वाला बैल अब बीते दौर की बात हो जाएगी. महंगे चारे,पानी व रखरखाव के कारण बैल को पालना पशुपालकों के लिए चुनौती बना हुआ था, लेकिन अब कृत्रिम गर्भाधान में सेक्स सॉर्टेड सीमन का उपयोग किया जाएगा, जोकि पशुपालको के लिए वरदान साबित होगा.

महज 70 रुपये में पशुपालक को होगा उपलब्धबाड़मेर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ नारायण सिंह सोलंकी के मुताबिक बाड़मेर में मुर्रा और थारपारकर नस्लों में सेक्स सॉर्टेड सीमन स्ट्रिप लगाए जाएंगे, जिससे पशुपालकों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि पशुपालकों से महज 70 रुपये में उसे उपलब्ध करवाया जाएगा. इससे 95 फीसदी मादा बछड़ियां पैदा होगी.

थारपारकर व मुर्रा नस्ल में दुग्ध उत्पादनसोलंकी के मुताबिक सेक्स सॉर्टेड सीमन ने बाड़मेर में मुर्रा भैंस व थारपारकर गायों में दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा. इससे न केवल अच्छी बछड़िया पैदा होगी बल्कि इनका दूध भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होगा.

यह है थारपारकर गाय की खासियतथारपारकर गाय राजस्थान में बाड़मेर, जोधपुर और जैसलमेर में मुख्य रूप से पाई जाती है. इस नस्ल की गाय भारत की सर्वश्रेष्ठ दुधारू गायों में गिनी जाती है.  इस गाय का उत्पत्ति स्थल पाकिस्तान के थारपारकर का है. पशु का रंग सफेद या धूसर होता है और इसकी पीठ के ऊपर हल्के धूसर (मटमैले) रंग की धारियां होती है. इसका औसतन दुग्ध उत्पादन 16-25 लीटर प्रति दिन होता है.

मुर्रा नस्ल की भैंस की यह है खासियतमुर्रा भैंस दूध उत्पादन के लिए पाली जाती है. यह मूलतः पंजाब का पशु है लेकिन अब दूसरे प्रान्तों और दूसरे देशों में भी पाली जाती है. हरियाणा में इसे ‘काला सोना’ कहा जाता है. दूध में वसा उत्पादन के लिए मुर्रा सबसे अच्छी नस्ल है. मुर्रा भैंस के सींग जलेबी आकार के होते हैं. इसके दूध में 7% वसा पाई जाती है. इसका रंग काला होता है. एक मुर्रा भैंस प्रतिदिन 10 से 15 लीटर तक दूध का उत्पादन देती है.निखिल वर्माएक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से News18Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे…और पढ़ेंएक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से News18Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे… और पढ़ेंLocation :Barmer,Rajasthanhomebusiness70 रुपये में मिलेगा लाखों का फायदा, कृत्रिम गर्भाधान से बहेगी दूध की नदियां

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