सालाना आधार पर मंहगाई दर हुई लगभग आधी, लेकिन बिहार में संतोषजनक दायरे से बाहर

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नई दिल्ली. खुदरा महंगाई अगस्त महीने में मासिक स्तर पर मामूली बढ़कर 3.65 प्रतिशत पर रही है. आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. यह लगातार दूसरा महीना है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति का यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक के चार प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के दायरे में है. यह जुलाई में पांच साल के निचले स्तर 3.6 प्रतिशत पर थी. जबकि अगस्त, 2023 में यह 6.83 प्रतिशत थी.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने कहा, ‘‘सालाना आधार पर अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक अगस्त में 3.65 प्रतिशत रहा. यह पिछले पांच साल में महंगाई का दूसरा सबसे निचला स्तर है.’’ आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों की महंगाई आलोच्य महीने में 10.71 प्रतिशत और दलहन तथा इसके उत्पादों की मुद्रास्फीति 13.6 प्रतिशत रही. मसालों के मामले में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में 4.4 प्रतिशत की कमी आई जबकि तेल और वसा की महंगाई 0.86 प्रतिशत कम हुई.

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खाद्य वस्तुओं की महंगाई अगस्त महीने में मामूली बढ़कर 5.66 प्रतिशत रही जो जुलाई में 5.42 प्रतिशत थी. अगस्त महीने की खाद्य मुद्रास्फीति का आंकड़ा जून, 2023 के बाद दूसरा सबसे निचला स्तर है. एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, ‘‘वस्तुओं के स्तर पर टमाटर की महंगाई सालाना आधार पर 47.91 प्रतिशत घटी. वहीं, मासिक आधार पर इसमें 28.8 प्रतिशत की कमी आई है.’’आंकड़ों के अनुसार, शहरी केंद्रों में खुदरा मुद्रास्फीति 3.14 प्रतिशत रही जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 4.16 प्रतिशत रही. बिहार में महंगाई सबसे ज्यादा 6.62 प्रतिशत रही, जबकि तेलंगाना में यह सबसे कम 2.02 प्रतिशत रही.

सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. महंगाई दर सितंबर, 2023 से छह प्रतिशत के नीचे बनी हुई है. मुद्रास्फीति के बारे में इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि तुलनात्मक आधार सामान्य होने के साथ हमारा अनुमान है कि सितंबर में यह तेजी से बढ़कर करीब 4.8 प्रतिशत हो सकती है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसके 4.4 प्रतिशत से 4.7 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है.

उन्होंने कहा, ‘‘मुख्य (कोर)-सीपीआई मुद्रास्फीति अगस्त, 2024 में 3.7 प्रतिशत की ओर बढ़ी जो जुलाई, 2024 में 3.6 प्रतिशत थी. लेकिन इसमें अनियमित रूप से गिरावट होने की संभावना है. हमारा अनुमान कि जिंस की कीमतों में हाल की नरमी के बावजूद वित्त वर्ष की बची हुई अवधि के दौरान मुख्य सीपीआई मुद्रास्फीति बढ़ेगी. इसका कारण सेवाओं की मांग के साथ-साथ कपास की बुवाई में सालाना आधार पर गिरावट है.’’

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