फैक्ट चेक
यह वीडियो 2018 का है, जिसमें पप्पू यादव मुज़फ्फरपुर में कथित हमले के बाद भावुक हो गए थे. यह बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद उनके बयान से नहीं जुड़ा है. |
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर बिहार के पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह कार के अंदर से मीडिया से बात करते हुए रोते दिखाई दे रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो नेता सह उद्योगपति बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद लॉरेंस बिश्नोई को चुनौती देने के बाद पप्पू यादव की पिटाई के बाद का है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार गुट) के वरिष्ठ नेता 66 वर्षीय सिद्दीकी की अक्तूबर 12, 2024 को मुंबई के बांद्रा में उनके बेटे जीशान सिद्दीकी के ऑफिस के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से जुड़े बिश्नोई गिरोह के सदस्यों ने हत्या की ज़िम्मेदारी ली थी. जवाब में, पप्पू यादव ने एक एक्स-पोस्ट के ज़रिये सुझाव दिया था कि अगर कानून इजाज़त दे तो वह “24 घंटे में बिश्नोई नेटवर्क को नष्ट कर सकते हैं.”
पप्पू यादव के बयान के बाद से यह वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जाने लगा. इसमें उनको कार में बैठे हुए और पत्रकारों से कहते हुए देखा जा सकता है, “….किस तरीके से मारा, मैं बता नहीं सकता..”
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो के साथ कैप्शन दिया, “पप्पू यादव आज शाम में लॉरेंस बिश्नोई को ठिकाने लगा रहे थे, पता ना किसी ने रास्ते में इन्हें कूट दिया जोर-जोर से रो रहे हैं. #BabaSiddiqueShotDead” पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों वाले अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखें.
हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि वीडियो पुराना है और बाबा सिद्दीकी की हत्या से पहले का है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
वायरल वीडियो के कीफ़्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें सितंबर 6, 2018 को द क्विंट हिंदी द्वारा अपलोड किया गया एक यूट्यूब वीडियो (आर्काइव यहां) मिला. वीडियो के साथ जानकारी देते हुए बताया गया है कि ‘नारी बचाओ यात्रा’ की ओर जाते समय ‘भारत बंद’ के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा हमला किए जाने के बाद पत्रकारों से बात करते समय पप्पू यादव रो पड़े. वायरल क्लिप 0:39 टाइमस्टैम्प पर दिखाई देती है, जो पुष्टि करती है कि यह सिद्दीकी की हत्या से पहले का है.

एनडीटीवी की 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में तब किए गए संशोधनों के विरोध में सितंबर 6 को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया था. पप्पू यादव ने मीडिया को बताया था कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए वॉकथॉन में जाते समय कुछ प्रदर्शनकारियों ने उन्हें रोका और उन पर हमला किया. इस रिपोर्ट में कार में बैठे यादव की एक तस्वीर मौजूद है, जो वायरल वीडियो के दृश्यों से मेल खाती है.
एबीपी लाइव और अमर उजाला जैसे अन्य मीडिया आउटलेट्स ने भी इसी तरह की जानकारी के साथ रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें कहा गया कि बिहार के मुज़फ्फरपुर में पप्पू यादव पर प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर हमला किया था. हालांकि, न्यूज़ एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट में मुज़फ्फरपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के हवाले से यादव पर किसी भी हमले से इनकार किया गया था.
विरोध प्रदर्शन क्यों किए जा रहे थे?
सितंबर 2018 में, 35 उच्च जाति समूहों ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में संशोधन का विरोध करने के लिए ‘भारत बंद’ का आह्वान किया था. राज्यसभा ने सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले को निष्प्रभावी करने के लिए एक विधेयक पारित किया, जिसमें अधिनियम के तहत गिरफ़्तार किए गए लोगों की तत्काल गिरफ़्तारी के प्रावधान को हटा दिया गया था, जिसमें गिरफ़्तारी से पहले पुलिस द्वारा शुरुआती जांच की ज़रूरत थी. विरोध प्रदर्शनों का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के उस फ़ैसले को बहाल करना था, जिसके दौरान अब वायरल हो रही क्लिप रिकॉर्ड की गई थी.
निर्णय
लोकसभा सांसद पप्पू यादव का 2018 का एक वीडियो, जिसमें वे कथित तौर पर प्रदर्शनकारियों द्वारा हमला किए जाने के बाद रो पड़े थे, को बाबा सिद्दीकी की हत्या और लॉरेंस बिश्नोई को दी गई चुनौती से जोड़कर गलत तरीके से शेयर किया जा रहा है.
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