CLAIM शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पर हुए लाठीचार्ज का यह वीडियो हालिया है. FACT CHECK बूम ने पाया कि वायरल दावा गलत है. शंकराचार्य पर हुए लाठीचार्ज की यह घटना साल 2015 की है. तब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी.
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सोशल मीडिया पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पर हुए पुलिस लाठीचार्ज का वीडियो हालिया बताकर वायरल हो रहा है. इसको शेयर करते हुए यूजर योगी सरकार पर निशाना साध रहे हैं. बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि शंकराचार्य का यह वीडियो साल 2015 का है. तब उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गणेश विसर्जन को लेकर हुए विवाद के बाद पुलिस ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद समेत कई साधुओं पर लाठियां बरसाई थीं. उस वक्त राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी.
गौरतलब है कि महाकुंभ भगदड़ पर दिए गए मुखर बयानों की वजह से शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद इन दिनों काफी चर्चा में हैं. उन्होंने महाकुंभ की खराब व्यवस्था के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और उनसे इस्तीफे की मांग की है. इसी बीच सोशल मीडिया पर यूजर्स इस पुराने वीडियो को शेयर कर रहे हैं, जिसमें पुलिस अविमुक्तेश्वरानंद को लाठी से मारते दिख रही है. एक्स पर इसे पोस्ट करते हुए एक यूजर ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह को टैग किया और लिखा, ‘शंकराचार्य जी पर लाठीचार्ज करवाना बहुत ही शर्मनाक है इसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है.’ यूजर ने आगे लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा.
पोस्ट का आर्काइव लिंक. फेसबुक पर भी यह वीडियो हालिया लाठीचार्ज के दावे से वायरल है.
शंकराचार्य पर लाठीचार्ज की यह घटना 2015 की है
शंकराचार्य पर लाठीचार्ज की घटना से संबंधित खबरें सर्च करने पर हमें हाल की नहीं बल्कि साल 2015 की कई न्यूज रिपोर्ट मिलीं. 23 सितंबर 2015 की प्रभात खबर की एक रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गणेश की मूर्ति विसर्जित करने को लेकर संतों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. पुलिस की लाठीचार्ज में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद समेत कई साधु घायल हो गए. इस रिपोर्ट में अविमुक्तेश्वरानंद की एक तस्वीर भी मौजूद है. यहां से संकेत लेकर हमने संबंधित कीवर्ड्स के जरिए यूट्यूब पर घटना के वीडियो की तलाश की. हमें 23 सितंबर 2015 के घटना से जुड़े वीडियो रिपोर्ट में इसके विजुअल्स मिले. फर्स्ट इंडिया न्यूज की रिपोर्ट में बताया गया कि गंगा नदी में गणेश प्रतिमा के विसर्जन को लेकर यह विवाद शुरू हुआ. इस दौरान लोगों ने भी पुलिस पथराव किया था.
क्या था पूरा मामला
इंडिया टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, वाराणसी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए प्रशासन ने गंगा नदी में गणपति विसर्जन पर रोक लगा दी गई थी. तब द्वारका शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद, मराठा गणेशोत्सव समिति के सदस्य समेत कई साधु-संत मूर्ति विसर्जन की मांग लेकर धरने पर बैठ गए. इसके बाद पुलिस ने उनको हटाने के लिए 22 सितंबर 2015 की देर रात को बल का प्रयोग किया.
एबीपी न्यूज की वीडियो रिपोर्ट में योगी आदित्यनाथ का एक बयान भी मौजूद है, जिसमें वह इस लाठीचार्ज की आलोचना करते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते दिख रहे हैं. इन सभी रिपोर्टों में शंकराचार्य के वायरल वीडियो से मिलते-जुलते विजुअल्स देखे जा सकते हैं.
घटना के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे. साल 2021 में अखिलेश ने इस लाठीचार्ज के लिए अविमुक्तेश्वरानंद और संतों से माफी मांगी थी. इससे साफ है कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पर सपा के शासनकाल में हुए लाठीचार्ज के वीडियो को अभी का बताकर शेयर किया जा रहा है.
[डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट Shakti Collective के पार्ट के तहत पहले BOOM पर छपी थी. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.]
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