पुराने CAA विरोध प्रदर्शन के Video को वक्फ संशोधन बिल से जोड़कर गलत तरीके से किया जा रहा वायरल

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नई दिल्ली (विश्वास न्यूज). सोशल मीडिया पर भीड़ पर लाठीचार्ज करती पुलिस का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह उत्तर प्रदेश में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन का है. जहां पर पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज कर उन्हें भगा दिया.

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है. असल में वीडियो का वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है. वीडियो वीडियो करीब पांच साल पुराना है और गोरखपुर का है. सीएए के प्रदर्शन के दौरान पथराव होने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. 

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर ‘गौरव देवेन्द्र श्रीवास्तव’ ने 19 मार्च 2025 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “उत्तर प्रदेश में वक्फ बिल के खिलाफ एकत्र हुए लोगों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज.”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें.

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च किया. हमें वायरल वीडियो दिनेश अग्रवाल नामक एक यूट्यूब चैनल पर 3 मार्च 2020 को अपलोड हुआ मिला, जिसके बाद ये साफ होता है कि वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं है.

गूगल पर अन्य कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें वायरल वीडियो से जुड़ी एक रिपोर्ट लाइव हिंदुस्तान के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मिली. वीडियो को 20 दिसंबर 2019 को अपलोड किया गया था. मौजूद जानकारी के मुताबिक, वीडियो गोरखपुर में सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान का है. नखास चौक पर लोग प्रदर्शन करने के लिए जुटे थे. इसी दौरान कुछ लोगों ने वहां पर पथराव कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे.

पड़ताल के दौरान हमें दावे से जुड़ी एक अन्य वीडियो रिपोर्ट यूपी तक के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मिली. वीडियो को 21 दिसंबर 2019 को शेयर किया गया था. वीडियो में वायरल वीडियो से मिलते-जुलते दृश्यों को देखा जा सकता है. यहां पर भी वीडियो को सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन का ही बताया गया है.

पहले भी यह वीडियो एक अन्य दावे के साथ वायरल हो चुका है. उस दौरान हमने इस स्टोरी को कवर करने वाले गोरखपुर के स्थानीय पत्रकार धीरेंद्र से बात की थी. उनका कहना था, ‘यह वीडियो 2019 का नखास के पास का है. प्रदर्शनकारियों के उग्र होने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था.’ पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है.

अंत में हमने वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया. हमने पाया कि यूजर को एक हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं.

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यूपी पुलिस के लाठीचार्ज के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है. असल में वीडियो का वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है. वीडियो  करीब पांच साल पुराना है और गोरखपुर का है. सीएए के प्रदर्शन के दौरान पथराव होने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. 

[डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट Shakti Collective के पार्ट के तहत पहले vishvasnews पर छपी थी. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.]

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