पंडित जी की किताब रानी और रिशू की जिंदगी में लाएगी नई तबाही, पढ़िए ‘फिर हाई हसीन दिलरुबा’ का Spoiler Free रिव्यू

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‘पंडित जी कहते हैं…’, लेखक दिनेश पंडित कौन हैं? ये तो किसी को नहीं पता, लेकिन उनकी कलम लोगों की जिंदगियां तबाह करने की ताकत रखती है ये तो ‘हसीन दिलरुबा’ देखने के बाद सबको पता चल ही गया होगा। तापसी पन्नू और विक्रांत मैसी की ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ में भी दिनेश पंडित ने कुछ ऐसा ही किया, लेकिन इस नए ट्विस्ट के साथ। अब ये ट्विस्ट अच्छा है या बुरा ये तो ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ का रिव्यू पढ़ने के बाद ही आपको पता चलेगा। 

कुछ ऐसी है फिल्म की कहानी (Spoiler Free)

हर‍िद्वार के ज्वालापुर से भागकर रानी कश्यप (तापसी पन्नू) और रिशू सक्सेना (विक्रांत मैसी) प्यार के शहर आगरा में जा बसते हैं। किंतु पुलिस के डर से साथ नहीं रह पाते हैं। रानी विधवा की जिंदगी जी रही होती है और रिशू पैसे कमाने के लिए बच्चों को पढ़ाने लगता है। रिशू एक दलाल के साथ डिल करता है और रानी के साथ देश छोड़ने का प्लान बनाता है, लेकिन फिर रानी की जिंदगी में अभिमन्यु (सन्नी कौशल) की एंट्री होती है और नई मुसीबत खड़ी हो जाती है। नील के चाचा (जिमी शेरगिल) की वजह से मुसीबत बढ़ जाती है और फिर शुरू होता है असली थ्रिल।

कैरेक्टर्स और एक्टिंग

तापसी पन्नू की एक्ट‍िंग आपको उनकी तारीफ करने पर मजबूर कर देगी। सीधे सादे विक्रांत जब प्यार के लिए पागलपन की हद पार करते हैं तब फिल्म का मजा दोगुना हो जाता है। सन्नी कौशल, इनके कैरेक्टर के बारे में ज्यादा कुछ कह नहीं सकते हैं क्योंकि इनके कैरेक्ट के बारे में जीतना कहेंगे उतना सस्पेंस खुलते जाएगा। इसलिए सीधे आते हैं नील के चाचा पर। फिल्म में जब जिमी शेरगिल के कैरेक्टर की एंट्री होती है तब बहुत तगड़ा माहौल बनाया जाता है। किंतु जब वह एक्शन में आते हैं तब वह उतने शातिर और खूंखार नहीं लग पाते हैं। इसका कारण उनकी एक्टिंग नहीं बल्कि लेखक की गलती है। उन्होंने उनके कैरेक्टर को उतना डेवलप होने नहीं दिया।

डायलॉग्स 

इस फिल्म की खास‍ियत ही इसकी पंचलाइन्स हैं। जब लगता ह कि रानी (तापसी) प्यार के इस खेल में हार गई तभी उनके मुंह से निकलता है, ‘पता है पंडित जी क्या कहते हैं…।’ इस एक डायलॉग्स से पूरी फिल्म का समा बंध जाता है और मजा आने लगता है। लेकिन ये मजा दोगुना तब होता है जब रिशू (विक्रांत) और अभिमन्यु (सन्नी) भी पंडित जी की जुबानी बोलने लगते हैं। 

बैकग्राउंड म्यूजिक

बैकग्राउंड म्यूजिक थोड़ा कमजोर लगा। जब-जब अभिमन्यु (सन्नी) आते हैं तब-तब अगर एक तगड़ा म्यूजिक चलाया जाता तो फिल्म के सस्पेंस का लेवल और बढ़ जाता। 

क्लाइमैक्स

पूरी फिल्म सस्पेंस से भरी हुई है। जब लगता है कि यहां कहानी खत्म हो गई है तब एक नया ट्विस्ट आ जाता है और फिर क्लाइमैक्स में जो सीन दिखाया जाता है वो चौंका देने वाला होता है। 

देखें या नहीं?

अगर आप सस्पेंस थ्रिलर के शौकीन हैं तो आपको ये फिल्म आपके लिए है। अगर आपने ‘हसीन दिलरुबा’ देखी है तो आपको ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ देखनी चाहिए। अगर आपको ‘हसीन दिलरुबा’ की कहानी याद नहीं है तो पहले वो देखें और फिर ये देखें क्योंकि दोनों की कहानी आपस में जुड़ी हुई है।

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