First Pan India Film: Mohanlal की L2: Empuraan पहली ऐसी मलयालम फिल्म बनने वाली है जो पहले दिन 50 करोड़ से ज्यादा की ओपनिंग लेने वाली है. ये खबर खुद मोहनलाल के ऑफिशियल इंस्टा हैंडल से दी गई है. कुछ महीने पहले रिलीज हुई पुष्पा 2 ने तो पहले दिन पैन इंडिया 164.25 करोड़ कमाए थे. ये हालिया उदाहरण हैं. इसके पहले के डेटा देखें तो 2015 की बाहुबली से लेकर आरआरआर, केजीएफ, पुष्पा और बाहुबली 2 जैसी तमाम साउथ फिल्में हैं जिन्होंने पैन इंडिया पसंद किया गया.
पिछले एक दशक की पैन इंडिया फिल्मों को देखें तो साफ पता चलता है कि इस मामले में बॉलीवुड को साउथ की फिल्मों ने पीछे कर दिया है. उनकी फिल्में हिंदी पट्टी में जितनी देखी जाती हैं, बॉलीवुड की फिल्मों को वैसा परफॉर्म करने में साउथ में मुश्किल आती है. कमाल की बात ये है कि पैन इंडिया फिल्म बनाने का चलन भी सबसे पहले साउथ इंडिया में ही शुरू हुआ था. ये कहानी भी काफी इंट्रेस्टिंग है.
क्या आप जानते हैं कि पहली पैन इंडिया फिल्म किसी इंडस्ट्री से थी और कब बनी थी? इसका जवाब बॉलीवुड तो बिल्कुल भी नहीं है. तो चलिए जानते हैं कि देश में बनी पहली पैन इंडिया फिल्म के बारे में.
कब आई थी पहली पैन इंडिया फिल्म और क्या नाम था?
पहली पैन इंडिया फिल्म आजादी के एक साल बाद ही आ गई थी. ये कहानी साल 1948 की है. उस साल चंद्रलेखा नाम की फिल्म को कई अलग-अलग भाषाओं में रिलीज किया गया था. ये फिल्म तमिल में बनाई गई थी. ये फिल्म न सिर्फ सफल हुई थी, बल्कि सफलता के सारे रिकॉर्ड बना डाले थे.
क्या है इस फिल्म के बनने की कहानी
राजश्री प्रोडक्शन के फाउंडर ताराचतंद बड़जात्या ने इस प्रोडक्शन हाउस की स्थापना के पहले जब वो एक फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर हुआ करते थे, तब उन्होंने अपने बिजनेस को बढ़ाने की सोची. इस दौरान साल 1943 में उनकी मुलाकात तमिल सिनेमा के सबसे बड़े फिल्ममेकर्स में से एक जेमिनी पिक्चर्स के एसएस वासन से हुई. ये वासन ही थे जो एक पीरियड ड्रामा बना रहे थे जिसका नाम था चंद्रलेखा.
बड़जात्या ने सुझाया, बनाएं हिंदी में भी फिल्म
ताराचंद बड़जात्या ने उन्हें हिंदी फिल्म बनाने के लिए भी राजी कर लिया. सूरज बड़जात्या ने इस बारे में हाल में ही मिड डे से बताया कि – ”फिल्म के मेकर्स ने फिल्म को न सिर्फ डब किया बल्कि लिपसिंक ठीक करने के लिए एक्टर्स के साथ कुछ खास हिस्सों को शूट भी किया. जब डब्ड वर्जन रिलीज के लिए तैयार हुआ तो मेरे दादाजी और श्री वासन ने बिजनेस पर बात करने के लिए मुलाकात की.”
बड़जात्या को मिले पैन इंडिया डिस्ट्रीब्यूशन के राइट्स
इसके बाद बड़जात्या को पूरे देश में फिल्म के डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े राइट्स मिल गए. इसके बाद पहली बार किसी तमिल फिल्म को पूरे देश में रिलीज किया गया. इसे तमिल और हिंदी में साल 1948 में रिलीज किया गया. इसे बाद में और भी कई लैंग्वेज में डब किया गया और ये फिल्म पहली पैन इंडिया फिल्म बन गई.
फिल्म ने बनाए थे कमाई के रिकॉर्ड
सूरज बड़जात्या ने इसी इंटरव्यू के दौरान ये भी बताया कि चंद्रलेखा उसे समय की बाहुबली थी या फिर आज की पुष्पा जितनी बड़ी थी. 30 लाख में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 1.55 करोड़ रुपये की कमाई की थी.
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